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सफल माता-पिता की बच्चों के लिए कौशल, निपुर्ण नीतियां Best Parenting Skills in Hindi

Good Parenting Tips : बच्चे मासूम होते हैं। मासूमियत की वजह से अकसर कई बार बच्चें मना करने के बाद भी मनमानी करते हैं। जिसके कारण पेरेंट्स अभिभावक अपना गुस्सा डांट मासूम बच्चों पर उतारते हैं। बच्चों के साथ हमेशा मुस्कुराहट - प्यार से पेश आयें। ताकि बच्चे पेरेंट्स को दोस्त की तरह समझें। शोध अनुसार 91 प्रतिशत पेरेंट्स बच्चों को समझ नहीं पाते हैं।

पेरेंट्स और बच्चों के बीच में बड़ा गैप हो जाता है। जिसके कारण बच्चों का रवैया बर्ताव बदमिजाज दिल दुखदाई बनने लगता है। और बच्चे पेरेंट्स अभिभावकों से दूर बनाने लगते हैं। परिणाम स्वरूप बच्चे पेरेंट्स अभिभावकों की खास बाते इग्नोर करते हैं। जिससे बच्चे पेरेंट्स विरोधी होने लगते हैं।

बच्चों को समझें और बच्चों की छोटी-मोटी समस्याओं को सुने और समाधान करें। बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल के साथ बच्चों की भावनाओं समझना भी अति जरूरी है। बच्चों शैक्षणिक शिक्षा, सेहत देखभाल के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, अनुशासन, सही व्यवहार, सही गलत में अन्तर जैसे विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाना अति जरूरी है। जिन्हें Good Parenting, Effective Parenting कहा जाता है।

माता-पिता का बच्चों के प्रति कर्त्तव्य, निपुर्ण नीतियां / पेरेंटिंग टिप्स / पॉज़िटिव बेस्ट पेरेंटिंग टिप्स (Positive Best Parenting Tips), Good Parenting Skills Hindi Tips


अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करें 
कई पेरेंट्स बात-बात में अपने बच्चों के सामने दूसरे बच्चों की तरीफ और अच्छा प्रतियोगी मानने लगते हैं। जिससे बच्चों में एक तरह से नकारात्मक सोच बनती जाती है। बच्चों के व्यवहार में हीनभावना पैदा होने लगती है। बार-बार बच्चों को कोसने डाटने से बच्चे एकान्त पसंद, गुस्सा- मनमानी व्यवहार से ग्रसित होने लगते हैं।
बच्चे होमवर्क, स्टडी काॅम्पिटिशन और अन्य विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं में कमजोर रिजल्ट आने पर उनका आत्मविश्वास घटाये नहीं। बच्चों को डाटें कोसें नहीं। बच्चों का उत्साह बढ़ाये। आने वाले अवसरों के लिए बच्चों को अच्छे से तैयारी करवायें। जिससे बच्चों का आत्मविश्वास मजबूत बनें, और बच्चें आने वाली स्टडी काॅम्पिटिशन एव अन्य तरह की प्रतियोगिताओं के अच्छे से तैयार रहें। अकसर बच्चे धीरे-धीरे ग्रोथ की ओर बढ़ते हैं। धीमी ग्रोथ भी धीरे-धीरे बढ़कर सफलता की चरम सीमा पर पहुंच जाती है।
इसलिए जरूरी है कि अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों की ग्रोथ से नहीं करें। अपने बच्चों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए उनका उत्साह बढ़ायें। बच्चों की छोटी-मोटी खुशियों में शामिल रहें। बच्चों को बात बात में शाबाशी दें।

बच्चों के लिए समय निकालें 
अकसर अधिकत्तर पेरेंट्स नौकरीपेशा या व्यवसायी होते हैं। जिसके कारण पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं। और बच्चे चिड़चिड़े, गुस्सेबाज, एकान्तावास और सुस्त हो जाते हैं। बच्चों से दोस्त तरह रहें। जाॅब, बिजिनेस के साथ बच्चों को भी पूरा वक्त दें। घर से बाहर रहने पर भी बच्चों से फोन आदि के माध्यम से जुड़े रहें। बच्चों की हर बात सुनें, फिर प्यार से जबाव दें। और बच्चों की समस्याएं सुलझाएं। छुट्टी वाले दिन बच्चों के साथ रहें, उन्हें घुमाने ले जायें। बच्चों के साथ खूब एन्जाॅय करें। बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होने दें।

बच्चों से झूठा वादा नहीं करें 
कई बार पेरेंट्स बच्चों से छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलकर पीछा छुड़ा देते हैं। परन्तु बच्चे बहुत स्मार्ट होते हैं। बच्चों पेरेंट्स का वादा कभी नहीं भूलते हैं। समय आने पर बच्चे किए गये वादे पर खिलौना, वस्तु, घूमने, फिरने आदि तरह से वादा पूरा करने की जिद्द करते हैं। फिर पेरेंट्स लाचार हो जाते हैं। जिससे बच्चे पेरेंट्स को झूठा, फेंकू और अन्फे्रंडली समझने लगते हैं।
बच्चों को घर की वित्तीय समस्याएं और उलझनों के बारे में बतायें। वित्तीय स्थिति खराब होने पर बच्चों के समक्ष बात रखें। बच्चों को घर के दैनिक खर्चें और वित्तीय स्थिति से अवगत करायें। बच्चों से घर वित्तीय स्थिति के बारे में बनायें और फालतू खर्च, सेविंगस से अवगत करायें।
बच्चों की जिद से पीछा छुडाने के लिए झूठा वादा नहीं करें। बच्चों को निराश, चिड़चिड़े, गुस्सेबाज, अकेलापन से बचायें। पेरेंट्स के झूठे वादे करने, और बोलने की आदत से बच्चे भी पेरेंट्स से झूठ बोलना सीखते हैं।

बच्चों के साथ खेलें, टीबी देखें और बच्चों के मन की बात जानें 
बच्चों के साथ खेलें, साथ में बैठकर टीवी देखें, बच्चे मोबाईल में सर्च कर रहे हैं, कौन सी गेम्स खेल रहे हैं, सब चीजों पर बारीक नजर रखें। बच्चों के साथ खूब इन्जाॅय करें। बच्चों के साथ दोस्त की तरह पेश आयें। जिससे बच्चे अपने मन की हर बात आप तक आसानी से बोल दें। और पेरेंट्स बच्चों की हर तरह की मन की बातों और दैनिक दिनचर्या में होने वाली विषयों से अपडेट रह सकें। गलत दिखने पर बच्चों का सही मार्गदर्शन कर सकें।

माता-पिता सबसे अच्छे शिक्षक 
बच्चों के साथ खुलकर बाते हैं। बच्चों को सही और गलत से अवगत करवाते रहें। क्योंकि बच्चों के लिए पेरेंट्स की भूमिका बेस्ट टीचर रूप में होती है। है। बच्चों की समस्याओं को सुलझाएं, बच्चों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अकेलापन आदि समस्या जटिल होने पर चाईल्ड काउंसर को दिखायें। कई बार बच्चे पेरेंट्स के बजाय काउंसलर की बातों से ज्यादा प्रभावित होकर उत्साहित एवं मांसिक रूप से स्वस्थ हो जाते हैं। आॅफिस, व्यवसाय व्यस्थ दिनचर्या से समय निकालकर बच्चों से खूब बाते करें। बच्चों को सही गलत में अन्तर दिखायें और बच्चों का सही मार्गदर्शन करें। बच्चों की रूचि को समझें। और बच्चों को सफलता की ओर बढ़ाने के लिए उत्साहित करते रहें।

बच्चों का सही विकास मार्गदशन करें 
बच्चे जन्म से लेकर युवा अवस्था तक आते-आते पेरेंट्स से बहुत कुछ सीखता है। घर का माहौल बच्चों का भविष्य निर्धारित करता है। बच्चों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाते रहें। बच्चों को दूसरों की गलतियों कमजोरियों से सीख लेने की आदत डालवायें। घर, परिवार, समाज अपने आसपास होने वाली अच्छी बुरी घटनाओं से विशलेषण कर सही मार्गदर्शन करवायें। हमेशा अपने उत्तम ज्ञान बच्चों में बांटे। और बच्चों के से ज्ञानवधर्क तथ्यों - विषयों पर खूब चर्चा करें।

बच्चों की प्रशंसा करें 
बच्चों को प्यार करें। होमवर्क, स्पोट्स या फिर अन्य तरह से कुछ भी अच्छा करने पर नाईस, गुड़, वेलडन, वैरी गुड़ कहकर बात-बात में प्रशंसा करें। बच्चें क्रेडिट पाने से अधिक उत्साहित और प्रोत्साहित होते हैं। और भिविष्य में अच्छा करने की ललक बनी रहती है। कई पेरेंट्स अपने बच्चों के सामने दूसरे बच्चों प्रसंशा करते हैं, और अपने बच्चों को नालायक, मंदबुद्धि बताते हैं। अपने बच्चों को कोसें नहीं, बच्चों का उत्साह प्रोत्साहन बढ़ायें। क्योंकि आज का बच्चा कल का भविष्य है।

लड़का-लड़की को समान समझें, भेदभाव करने से बचें 
अकसर कई पेरेंट्स बच्चों में भेदभाव करते हैं। लड़का - लड़की को अलग-अलग दर्जा देते हैं। बच्चों को समान प्यार और अवसर दें। उदाहरण के लिए यदि लड़के अच्छी एजुकेशन, महंगे खिलौंना, अच्छे कपड़े, टाॅफी, बिस्किट, आदि मनपसंद चीजों के हकदार हैं तो लड़कियां भी उतनी ही हकदार हैं। दोनों को समान रूप से आंकें। समान रूप से लाड़ प्यार दुलार करें। अकसर कई बार भाई-बहन में भी आपस में लाड़ प्यार दुलार को लेकर शिकायत द्धेष भावना जाग्रत हो जाती है। और बच्चों को भेदभाव द्धेष से दूर रखें। बच्चों को हमेशा अच्छी शिक्षा प्रदान करें। निपुर्ण नीतियां बच्चों के चहुमुखी विकार के लिए अति जरूरी है। उपरोक्त सभी विचार अच्‍छी पेरेंटिंग टिप्स हैं।

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