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नारी शक्ति वंदन कानून


देश के संसदीय इतिहास में नारी सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण पेश करते हुए संसद के दोनों सदनों ने ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित कर दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की स्वीकृति के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम अब कानून का रूप ले चुका है। अधिनियम यह सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता है कि महिलाओं की आवाज़ को अब और भी अधिक प्रभावी ढंग से सुना जाए।

नारी सशक्तिकरण के नए युग की शुरूआत

नारी शक्ति वंदन अधिनियम भारत के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बनेगा। इससे जहां नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा, वहीं अधिनियम से नारी सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत होगी। यह सिर्फ एक कानून नहीं है, बल्कि इसके जरिए राष्ट्र निर्माण में अमूल्य भागीदारी निभाने वाली देश की माताओं, बहनों और बेटियों को उनका अधिकार मिला है। इस ऐतिहासिक कदम से महिलाओं की आवाज और बुलंद होगी, उनकी शक्ति, साहस और सामर्थ्य को एक नई पहचान मिलेगी। नारी शक्ति के सहयोग और सामर्थ्य के बिना एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण संभव नहीं है। देश की महिला शक्ति को उनका अधिकार देने वाला सरकार का यह निर्णय, आने वाले समय में एक विकसित और समृद्ध भारत के निर्माण का मुख्य स्तंभ बनेगा। लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया भर में लैंगिक समानता और समावेशी शासन का एक शक्तिशाली संदेश दिया है।

‘आधी आबादी को पूरा हक’ पीएम मोदी की प्राथमिकता

इस अधिनियम के माध्यम से 140 करोड़ की आबादी में 50 प्रतिशत हिस्से वाली मातृशक्ति को सच्चे अर्थों में सम्मानित करने का काम किया है। अब देश की महिलाएं न केवल नीतियों में भागीदार बनेंगी, बल्कि नीतियों के निर्धारण में भी अपना योगदान देंगी। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के दिन से ही महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता रही है। वर्तमान प्रावधान के अनुसार संसद में चुनकर आने वाले सदस्यों की तीनों श्रेणियों सामान्य (जिसमें ओबीसी शामिल हैं), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सरकार ने 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया गया है। जिससे देश में महिला सशक्तिकरण की एक नई दिशा तय होगी। संविधान संशोधन की धारा 330 (ए) और धारा 332 (ए) के माध्यम से महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार ने जहां एक ओर नारी शक्ति वंदन कानून बनाया, वहीं राज्य सरकार महिला हितकारी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर रही है। डबल इंजन की मध्यप्रदेश सरकार ने इसी क्रम में बहुचर्चित लाड़ली बहना योजना की धनराशि बढ़ाने की घोषणा की है। तीन अक्टूबर से लाभार्थी बहनों के खाते मे एक हजार नहीं बल्कि 1250 रुपए की धनराशि हस्तांतरित की जाएगी। जल्द ही राज्य सरकार लाड़ली बहना योजना की इस लाभ राशि को तीन हजार रुपए करने की योजना बना रही है। योजना से मध्यप्रदेश की 1.31 करोड़ बहनें लाभान्वित होगीं। कुछ समय पहले ही सरकार ने योजना के दायरे में अविवाहित बहनों को भी शामिल किया, जिससे लाड़ली बहना योजना का परिवार और भी विस्तृत हो गया है।

अब किसी पर आश्रित न रहना प्यारी बहना

मध्यप्रदेश सरकार महिलाओं को सशक्त करने के अपने वायदे के हर मोर्च पर खुद को साबित कर रही है। महिला की तरक्की का मार्ग प्रशस्त करते हुए अब लाड़ली बहना योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को बढ़ाया जा रहा है। तीन अक्टूबर से लाभार्थी बहनों के खाते में 1250 रुपए जमा किए जाएंगे। इस धनराशि से बहनें अपनी रोजमर्रा की छोटी बड़ी जरूरतों को खुद पूरा कर सकेंगी। उन्हें किसी पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। कुछ समय पहले तक इस योजना में केवल विवाहित, तलाकशुदा या परित्यक्ता या पति द्वारा छोड़ी गई बहनों को ही शामिल किया गया था, लेकिन अब 21 साल की अविवाहित बहनें भी योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना से अब तक 1.25 करोड़ से अधिक महिलाओं को 1000 रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं। पिछले तीन माह में 3600 करोड़ रुपए की राशि बहनों के खाते में हस्तांतरित की जा चुकी है। योजना का दायरा बढ़ने से लाड़ली बहना का परिवार अब 1.31 करोड़ बहनों का हो गया है।



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