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हस्त रेखा का ज्ञान चित्र सहित: Hast Rekha Gyan in hindi with Images 2023

Hast Rekha Gyan in hindi with images: हस्त रेखा ज्ञान भारतीय ज्योतिष का एक प्रमुख अंग माना जाता है. प्राचीन काल से इस विद्या का महत्त्व बहुत ज्यादा रहा है. माना जाता है कि जो व्यक्ति Hast Rekha Gyan प्राप्त कर लेता है वह किसी का भी हाथ देखकर उसके भविष्य में घटने वाली घटनाओं को जान सकता है. हस्त रेखा ज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम है कीरो (Cheiro) का और भारत में हस्त रेखा की सबसे ज्यादा पुस्तक कीरो की ही मिलती है. कीरो ने वैज्ञानिक पद्धति से भविष्य की गणना करना आरंभ किया था जो बहुत ही सटीक बैठती है और भारतीय ज्योतिष के ज्ञानी भी कीरो को अपना आदर्श मानते है.

हस्त रेखा का ज्ञान चित्र सहित: Hast Rekha Gyan in hindi with Images 2023

हस्त रेखा विज्ञान के दो भेद माने जाते है. जहाँ हाथ की रेखाओं से व्यक्ति के भूतकाल और भविष्य की घटनाओं का आकलन करने में सहायक होती है, वहीँ हाथ एवं उँगलियों की बनावट से व्यक्ति के स्वाभाव, उसका कार्य क्षेत्र इत्यादि का आकलन करने में सहायक होती है.

  1. हाथ की रेखाए
  2. हाथ एवं उँगलियों की बनावट

हस्त रेखा का ज्ञान प्राप्त करना कोई बहुत कठिन विषय नहीं है बस थोड़ी सी लगन और मेहनत आपको इस विद्या में पारंगत बना सकती है. आज के इस Hast Rekha Gyan in hindi लेख मैं आपको हस्त रेखा की मुख्य-मुख्य रेखाओं और उनका मानव जीवन पर प्रभाव से सम्बंधित जानकारी देने वाला हूँ.

हाथ की प्रमुख रेखाएं : Pramukh Hast Rekha

हाथ की हथेली में मुख्यतः सात बड़ी और सात छोटी रेखाओं का महत्त्व सबसे ज्यादा है क्यूँकि ये रेखाए व्यक्ति के जीवन से सम्बंधित समस्त बातों को अपने में समेट लेती है और व्यक्ति के वर्तमान एवं भविष्य का निर्धारण करती है और वो सात बड़ी रेखाएं है…

  1. जीवन रेखा
  2. ह्रदय रेखा
  3. मस्तिष्क रेखा
  4. भाग्य रेखा
  5. सूर्य रेखा
  6. स्वास्थ्य रेखा
  7. शुक्र मुद्रिका

हाथ की हथेली में सात छोटी रेखाएं है

  1. मंगल रेखा
  2. चन्द्र रेखा
  3. विवाह रेखा
  4. निकृष्ट रेखा

इसके अतिरिक्त तीन मणिबंध रेखाएं होती है इनका स्थान हथेली की जड़ और हाथ की कलाई में होता है.

यह सात रेखाएं व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ बता देती है. उदाहरण के लिए जीवन रेखा से किसी भी व्यक्ति की आयु का अनुमान हो जाता है जबकि वहीँ मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की मनोदशा, उसकी विद्या बुद्धि एवं जीवन में सफलता के आयाम इत्यादि की सूचक होती है, इसी तरह ह्रदय रेखा से व्यक्ति के स्वाभाव, उसके वैवाहिक जीवन का आकलन, और आपसी रिश्ते इत्यादि का आकलन होता है और भाग्य रेखा स्वयं अपने नाम से ही अपना परिचय दे देती है. हस्त रेखा ज्ञान के इस लेख में हम आज हाथ की सात महत्त्वपूर्ण रेखाओं के बारे में विस्तार से जानते है.

Hast Rekha Gyan in hindi with images : हस्त रेखा का ज्ञान

हस्त रेखा ज्ञान ज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण रेखाओं में से एक है जीवन रेखा, सबसे पहले जानते है जीवन रेखा के बारे में :-

१. जीवन रेखा : जीवन रेखा शब्द से ही इस रेखा का अनुमान हो जाता है. जीवन रेखा हाथ के अंगूठे और तर्जनी उंगली के मध्य से आरम्भ होकर हथेली के आधार तक जाती है. जीवन रेखा जितनी लम्बी और स्पष्ट होती है व्यक्ति की आयु उतनी ही लम्बी होती है यदि जीवन रेखा बीच में कही अस्पष्ट या टूटी हुई होती है तो उसे अल्प आयु या स्वास्थ्य का नुक्सान होने का आभास कराता है. यदि जीवन रेखा पूर्ण स्पष्ट होकर हथेली के आधार तक जाती है तो व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है जबकि अस्पष्ट और और टूटी हुई रेखा आयु में बाधा का आभास कराती है. जीवन रेखा की स्थिति नीचे image में देखें.

Hast Rekha Gyan in hindi with images

२. ह्रदय रेखा : यह रेखा सबसे छोटी उंगली (कनिष्का) के नीचे से निकलकर तर्जनी उंगली के मध्य तक पहुँचती है. यह रेखा व्यक्ति के स्वाभाव को दर्शाती है. ह्रदय रेखा जितनी लम्बी होती है व्यक्ति उतना ही म्रदुभाशी, सरल और जनप्रिय होता है इस प्रकार के व्यक्ति समाज में सर्व स्वीकार होते है और व्यक्तिगत जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ जीवन यापन करते है. इन लोगों के मन में छल कपट बहुत ही कम पाया जाता है और संतोषी प्रवत्ति के होते है. और जिन लोगों की ह्रदय रेखा छोटी होती है वह व्यक्ति असंतोषी, चिडचिडा, शंकालु अवं समाज से दूर रहने वाले वाली प्रवत्ति के होते है. ऐसे व्यक्ति छोटी सोच वाले होते है और जल्दी किसी पर विश्वास नहीं करते है. आम तौर पर इस प्रकार के व्यक्ति क्रूर प्रवत्ति के होते है.

३. मस्तिष्क रेखा : यह रेखा तर्जनी उंगली के नीचे से और जीवन रेखा के आरंभ स्थान से निकलती है और सबसे छोटी छोटी ऊँगली कनिष्का के नीचे हथेली तक जाती है किसी-किसी व्यक्ति के हाथ में यह रेखा कनिष्का तक पहुचने से पहले ही समाप्त हो जाती है मस्तिष्क रेखा कहलाती है. मस्तिष्क रेखा जितनी लम्बी होती है व्यक्ति का मानसिक संतुलन उतना ही अच्छा होता है. ऐसे लोग भाग्य से ज्यादा मेहनत पर विश्वास करते है. इन लोगों की स्मरण शक्ति काफी अच्छी होती है और प्रत्येक कार्य को सोच समझ कर करते है. इस प्रकार के लोगों में हमेशा कुछ न कुछ सीखने की ललक रहती है. जबकि इसके विपरीत छोटी मस्तिस्क रेखा वाले लोग जल्दबाजी में रहते है, कर्म से से ज्यादा भाग्य पर विश्वास करते है और किसी जल्दबाजी में निर्णय लेते है. जिसका पछतावा उन्हें बाद में होता है.

४. भाग्य रेखा : यह रेखा मध्यका और अनामिका के बीच से निकलकर नीचे हथेली तक जाती है. यह रेखा प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में नहीं पायी जाती है. भाग्य रेखा जितनी स्पष्ट होती है व्यक्ति का जीवन उतना ही सरल होता है जबकि इसके विपरीत जिन व्यक्तियों के हाथ में यह रेखा अस्पष्ट या टूटी हुई हो वह व्यक्ति जीवन में थोडा बहुत संघर्ष करता है और जिन व्यक्ति के हाथ में यह रेखा नहीं होती है इससे तात्पर्य यह होता है कि इस प्रकार के व्यक्ति कर्मवादी, मेहनती होते है और जीवन में संघर्षों से घिरे रहते है. भाग्य रेखा की व्याख्या बहुत कुछ मस्तिस्क रेखा पर भी निर्भर करती है.

५. सूर्य रेखा : यह रेखा सभी व्यक्तियों के हाथ में नहीं होती है. यह रेखा चन्द्र पर्वत से आरम्भ होकर ऊपर तीसरी उंगली अनामिका तक जाती जाती है. जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा होती है वह व्यक्ति निडर, स्वाभिमानी, द्रढ़ इच्छाशक्ति वाला होता है. इस प्रकार के व्यक्ति जीवन में कभी हार नहीं मानते है और नेतृत्व प्रिय होते है.

६. स्वास्थ्य रेखा : यह रेखा सबसे छोटी उंगली कनिष्का से आरम्भ होकर हथेली के नीचे की और चली जाती है. यह रेखा व्यक्ति के स्वास्थ की सूचक होती है.

७. शुक्र मुद्रिका : यह रेखा कनिष्का और अनामिका के मध्य से आरंभ होकर तर्जनी और अनामिका के मध्य तक चंद्राकार रूप में होती है. यह रेखा आम तौर पर उन लोगों में पायी जाती है जो विलासी जीवन जीते है. इस प्रकार के लोग कामुक, खर्चीले और भौतिकतावादी होते है. शुक्र मुद्रिका रेखा की स्थिति जानने के लिए नीचे की image में देखें.

ये तो हुई सात बड़ी रेखाए आइये जानते है सात छोटी रेखाओं के बारे में.

1. मंगल रेखा : यह रेखा जीवन रेखा और अंगूठे के बीच से निकलती है और मंगल पर्वत तक जाती जाती है. ऊपर image में देखें. मंगल रेखा जितनी स्पस्ट होती है व्यक्ति उन्तना ही तीव्र बुद्धि का होता है, प्रत्येक कार्य को सोच समझ कर करने वाला होता है. ऐसे व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति बहुत ही जुझारू होते है जब किसी कार्य को ठान लेते है उसे पूरा कर के छोड़ते है.

2. चन्द्र रेखा : यह रेखा कनिष्का और अनामिका के मध्य से निकर कर नीचे मणिबंध तक जाती है. यह रेखा धनुषाकार होती है. इस रेखा को प्रेरणादायक रेखा भी कहते है. जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा पायी जाती है वह व्यक्ति अपनी उन्नति के लिए सदैव लगा रहता है. इस प्रकार के व्यक्ति व्हाव्हार कुशल होते है जल्दी ही लोगों से घुल मिल जाते है.

3. विवाह रेखा :कनिष्का उंगली के नीचे एक या दो छोटी-छोटी रेखाएं होती है और ह्रदय रेखा के सामानांतर चलती है विवाह रेखा कहलाती है. इसे प्रेम रेखा भी कहते है. यह रेखाए जितनी स्पस्ट होती है व्यक्ति रिश्तों को उतना ही महत्त्व देता है.

4. निकृष्ट रेखा : यह रेखा दुःख देनी वाली रेखा होती है इसलिए इसे निकृष्ट रेखा कहते है. यह चन्द्र रेखा की ओर से चलती है और स्वास्थ रेखा के साथ चलकर शुक्र स्थान में प्रवेश करती है.

हाथ एवं उँगलियों की बनावट : हस्त रेखा ज्ञान (Hast rekha Gyan in Hindi)

मनुष्य के हाथ की बनावट से उसकी रूचि स्वाभाव चरित्र तथा उसके अन्दर की शक्ति की विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है यूँ हर आदमी का हाथ दुसरे आदमी के हाथ से भिन्न होता है लेकिन हस्त सामुद्रिक के अनुसार हाँथ के मुख्यतः सात भेद होते है जो निम्न प्रकार से है.

  1. प्रारंभिक अथवा अविकसित हाँथ
  2. वर्गाकार अथवा व्यावसायिक हाँथ
  3. दार्शनिक अथवा गठीला हाँथ
  4. चमचाकार अथवा चपठा हाँथ
  5. नुकीले अथवा कलात्मक हाँथ
  6. बौद्धिक अथवा आदर्शवादी हाँथ
  7. मिश्रित हाँथ

प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ : 

प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ

प्रारंभिक हाथ देखने से थोडा सा भद्दा लगता है. उंगलिया छोटी और मोटी होती है और हाथ की बनावट सामान्य हाथों से बिलकुल भिन्न होती है. इस प्रकार के हाथ में रेखाएं बहुत कम होती है. इस प्रकार के व्यक्ति असभ्य, कम पढ़े लिखे, बिना सोचे समझे बोलने वाले, और बहुत ही शीघ्र क्रोधित हो जाने वाले एवं हिम्मत वाले होते है.

इस तरह के हाथ का गुण केवल यही होता है कि जिस व्यक्ति हाँथ ऐसा होगा वह धोखा कम खायेगा सदा दूसरों के माल पर सुख भोगना उसके भाग्य पर होगा या फिर अत्यंत निर्धन होगा.

वर्गाकार अथवा व्यावसायिक हाथ : 

वर्गाकार अथवा व्यावसायिक हाथ

व्यावसायिक हाँथ वाला व्यक्ति भाषण देने में बहुत कुशल होता है. ऐसे हाँथ वालों को किसी भी काम को समझने में देर नहीं लगती. लेकिन विचारों में स्थिरता न होने के कारण वर्गाकार अथवा व्यावसायिक हाँथ वाला व्यक्ति सफल नहीं हो पाता, दुसरे व्यक्तियों के विचारों एवं सिद्धांतों में बहुत जल्दी विश्वास करने लगता है. प्रायः मित्रवर्ग पर  आधारित होने का स्वाभाव इस हाँथ में पाया जाता है. ऐसे हाँथ वाला छोटी छोटी बातों को अधिक बढ़ा चढ़ा कर कहना और छोटे मामलों को तूल देने में अपना गौरव अनुभव करता है.ऐसे हाँथ वाला व्यक्ति स्वाभाव से प्रायः चंचल होता है.

दार्शनिक अथवा गठीला हाँथ :

दार्शनिक अथवा गठीला हाँथ

दार्शिनिक हाँथ थोडा लम्बा और उँगलियाँ गठीली होती है. इस प्रकार के हाँथ वाले व्यक्ति स्वाभाव से गंभीर होते है. उसके विचार किसी से नहीं मिलते है. इस प्रकार के व्यक्ति कवी, उपदेशक, लेखक, प्रचारक तथा अनुसंधानकर्ता होते है.

दार्शनिक हाँथ वाले व्यक्ति की हस्त रेखाएं इतनी स्पष्ट होती है की उनमे मनुष्य के स्वाभाव का पूरा-पूरा ज्ञान हो जाता है. दुसरे लोग ऐसे व्यक्ति को बहुत पसंद करते है और इनकी बातों को बड़ी गंभीरता से सुनते है.

चमचाकार अथवा चपठा हाँथ :

hast rekha gyan images

चमचाकार हाँथ की उँगलियाँ टेढ़ी मेढ़ी तथा मुड़ी हुई होती है. हाँथ प्रायः लम्बा होता है. हथेली भी लम्बी होती है. ऐसे हांथ वाला व्यक्ति तीव्र बुद्धि का होता है. सदैव नया नया अविष्कार करने में उसका मन लगा रहता है. अधिक परिश्रम करने तथा कुछ न कुछ करते रहने में ही इस हाँथ वाला व्यक्ति संतोष अनुभव करता है.

ऐसे हाँथ वाले व्यक्ति को बेकार बैठना बहुत बुरा लगता है. मशीनरी का काम करने वाले व्यक्तियों के हाँथ प्रायः इसी श्रेणी के होते है. चपठा हाँथ मुलायम एवं कड़ा भी होता है. जिस हाँथ की उँगलियाँ गठीली और कुछ लम्बी होगी वह व्यक्ति कुछ नया करने में ही लगा रहता है.

नुकीले अथवा कलात्मक हाँथ :

hast rekha gyan in hindi with images

इस हाँथ की बनावट सहज ही पहचानी जा सकती है. हाँथ की उँगलियाँ ऊपर से पतली तथा निचे से क्रमशः मोटी होती है. हाँथ प्रायः आकर में छोटा और टेढ़ा होता है. अंगूठा उँगलियों के निकास स्थान की और झुका होता है. ऐसे हाँथ वाले मनुष्य का ह्रदय सदैव कल्पना की ऊँची उड़ान भरा करता है उसे दुसरे से प्रशंशा शुनाने की छह लगी रहती है.

ऐसे हाँथ वाले व्यक्ति परिस्थिति को सदैव अपने अनुकूल बनाने के लिए भरसक चेष्ठा करता है चाहे उसे सफलता मिले या न मिले. ऐसे हाँथ वाले व्यक्ति साहसी भी नहीं होते यदि हथेली में भाग्य रेखा अच्छी हो तो नुकीले हाँथ वाले व्यक्ति की चंचलता बढ़ जाती है.

बौद्धिक अथवा आदर्शवादी हाँथ :

hast rekha gyan in hindi with images

ये हाँथ कम चौड़े, पतले, लम्बे और असम बनावट वाले होते है. इनकी उँगलियाँ भी पतली लम्बी तथा कुछ नुकीली होती है. अंगूठा भी प्रायः छोटे और पतले होते है. इस हांथों पर द्रष्टि पड़ते ही व्यक्ति के बौद्धिक विकास तथा परिश्रमी स्वाभाव की छाया स्पस्ट हो जाती है.

ऐसे हाँथ वाले व्यक्तियों का मानसिक एवं आध्यात्मिक पक्ष पहुत उन्नत होता है. परन्तु जब तक हाँथ कठोर न हो अथवा अंगूठा सुडौल एवं लम्बा न हो, सांसारिक व्यवहार में सफलता की सम्भावना कम ही होती है. अक्सर इन हाथों पर छोटी छोटी अनगिनत रेखाएं दिखाई देती है जो उनके अस्थिर ह्रदय तथा स्वाभाविक उत्तेजना की परिचायक होती है.

मिश्रित हाँथ :

hast rekha gyan in hindi with images

इस हाँथ में दार्शनिक, व्यावसायिक तथा आदर्शवादी हाँथ के लक्षण मिल जाते है. हाँथ किसी विशेष आकृति का ना होकर मिला जुला रूप लिए होता है. प्रायः हाँथ की कोई ऊँगली चपठी, कोई नोकदार तथा किसी में टेढ़ापन अधिक पाया जाता है.

मिश्रित हाथ वाले व्यक्ति आम तौर पर स्वाभाव से संदेही होते है किसी भी व्यक्ति की बात पर जल्दी विश्वास नहीं करते है. हर व्यक्ति को संदेह की द्रष्टि से देखते है. इसी कारन इनकी सफलता किसी भी काम में नहीं होती है. यदि उँगलियाँ चपटी या चिकनी हो तो अवश्य ही मिश्रित हाँथ वाला व्यक्ति चित्रकार या रंगसाज होता है.



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