Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

माँ और क्या सिर्फ माँ

जब आँखों में नींद लिए तकिये पर मैं होता हुँ, ऐ माँ तेरे काँधे पर हीं सर रखकर मैं सोता हुँ।

छोटी सी दुख हो या बड़ी जब आँखों से रोता हुँ, ऐ माँ तेरे काँधे पर हीं सर रखकर मैं रोता हुँ।
कुछ पाने की चाहत में जब अपने अस्तित्व को खोता हुँ, ऐ माँ मैं सिर्फ तेरे आँचल में होता हूँ। 
बिखरे अरमानों को जब भी एक धागे में पिरोता हुँ, ऐ माँ आज भी मैं तेरे काँधे पर हीं सर रखकर सोता हुँ।
छोटा सा हुँ या हुँ बड़ा जो भी जीवन में कर पाता हुँ, ऐ माँ हम अपने आप को तेरे चरणों में पाता हूँ। 
रूखी सुखी या हलुआ पुरी जो भी मैं खा पाता हूँ, ऐ माँ ये सब भी तेरे कारण ही कर पाता हूँ।
आज भी मैं किसी कारण बस थोड़ा भी रुआँसा होता हुँ, ऐ माँ तेरे काँधे पर हीं सर रखकर मैं सोता हूँ। 
लेखक : लोकेश कुमार सिंह 



This post first appeared on SEO Pune | Digital Marketing Pune | Maharashtra |, please read the originial post: here

Share the post

माँ और क्या सिर्फ माँ

×

Subscribe to Seo Pune | Digital Marketing Pune | Maharashtra |

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×