हमारे यहाँ हमेशा से वामपंथी इतिहास पढ़ाया जाता रहा है, जिन्होंने एक और इतिहास पढ़ाया ही नहीं अपितु रटाया कि - शूद्रों में निम्न और गरीब जातियों को शामिल करके उन्हें अछूत कहा जाने लगा. अछूतों को तालाबों, कुंओं, मंदिरों, शैक्षणिक संस्थाओं जैसे सार्वजनिक जगहों पर जाने से वंचित कर दिया गया था. मानवता को शर्मसार कर देने वाली परिस्थितियों के बीच दलितों, पिछड़ों और पीड़ितों के मुक्तिदाता और मसीहा बनकर
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