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मोदी की सफल आर्थिक नीति

कैलाश विजयवर्गीय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अमेरिका की यात्रा के दौरान 23 जून को अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि जब पहली बार यहां आया था तो भारत की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम जल्दी ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। उन्होंने कहा था कि हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और भारत बढ़ता है तो दुनिया बढ़ती है। भारत आज दुनिया में विदेशी वित्त निवेश में सबसे आगे है। हाल ही में जारी की गई वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट-2023 में बताया गया है कि 2022 में भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) दस प्रतिशत बढ़ा है। इस मामले में भारत ने अमेरिका,चीन और ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज भारत की गिनती दुनिया के सशक्त देशों में होती है। रिपोर्ट के अनुसार विदेशी निवेश के कारण भारत अब विश्व स्तर नई परियोजनाओं की घोषणा करने वाला तीसरा और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया। प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक नीतियों, जवाबदेह प्रशासन, आतंकवाद पर काबू, जनकल्याणकारी योजनाएं, डिजिटल भुगतान, भ्रष्टाचार पर रोक, बुनियादी ढांचे का विस्तार, विश्वस्तरीय परिवहन, घरेलू उत्पादन पर जोर आदि के माध्यम से देश की एक नई छवि गढ़ी है।

मोदी की नीतियों के कारण ही देश को 2014 से 2022 के दौरान 525 अरब डॉलर के विदेशी निवेश मिला है। कांग्रेस की अगुवाई वाली मनमोहन सिंह सरकार में 2006 से 2014 के दौरान 289 अरब डॉलर का विदेशी निवेश देश को मिला था। इस तरह देखे तो मोदी सरकार में 82 प्रतिशत ज्यादा विदेशी निवेश देश को मिला है। 2021-22 में अबतक का सबसे ज्यादा रिकार्ड 84.84 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश देश को मिला है। वर्ष 2014-15 में भारत में केवल 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर विदेशी निवेश आया था।

वित्त वर्ष 2003-04 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर था। उस समय के मुकाबले आज एफडीआई 20 गुणा बढ़ गया है। यह तब है जब रूस और यूक्रेन में युद्ध जारी है। कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के माध्यम से मोदी सरकार ने किसी क्षेत्र को भी नुकसान नहीं होने दिया। मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत विनिर्माण के क्षेत्र में विदेशी निवेश में बहुत बड़ी छलांग मार चुका है। 2020-21 में 12.09 अरब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2021-22 में 21.32 अरब अमेरिकी डॉलर विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी 76 फीसदी बढ़ी थी। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में भी विदेशी निवेश बहुत तेजी से बढ़ा है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण कोयला खनन, अनुबंध निर्माण, डिजिटल मीडिया, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, नागरिक उड्डयन, रक्षा, बीमा और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में भी एफडीआई बढ़ रहा है।

अगर वैश्विक परिदृश्य पर नजर डाले तो परिस्थितियां बहुत प्रतिकूल दिखाई देती है। ज्यादातर देश में अशांति छाई हुई है। पड़ोसी पाकिस्तान की जनता परेशान है। लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं। अफगानिस्तान पूरी तरह अशांत है। दुनिया को स्थिति को भांपते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2023 की शुरुआत में कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था कमजोर रहेगी। यूरोपीय देशों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ेगा। पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार ने तमाम संकंटों का मुकाबला करते हुए देश को मजबूत स्थिति में खड़ा कर दिया है। आज भारत रक्षा उत्पादन निर्यात में तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। मेक इन इंडिया के कारण रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं और देश में कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो आंतरिक शांति व्याप्त है। नक्सलवाद कुछ जिलों तक सीमित रह गया है। सुरक्षित और सशक्त भारत आर्थिक मजबूती की तरफ बढ़ रहा है।

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