कोरोना महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए जारी लॉकडाउन तो अगले महीने 3 मई को समाप्त हो जाएगा, पर ध्यान रखिये कोरोना वायरस खत्म नहीं होगा। हमें कोरोना के साथ जीने की शैली अपनानी होगी। कैसे जिया जाए, यह हमारी भारतीय संस्कृति और परम्परा में है। लॉकडाउन की समाप्ति के साथ फिर से थमी हुई दुनिया तेज रफ्तार से पटरी पर दौड़ने लगेगी। बदली हुई परिस्थितियों में सब कुछ पहले जैसा नहीं होगा। ऐसा न हो कि भागदौड़ में जिंदगी की पटरी से हमारी गाड़ी ही उतर जाए। सरकार की तरफ से लगाई गई पाबंदियों के बीच हमें खुद अपने को संयम में रखकर महामारी से यह जंग जीतनी होगी। सामाजिक सरोकार बनाते हुए हमें शारीरिक दूरी का पालन करना होगा। कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च में जुटे वैज्ञानिकों ने पाया है कि महामारी का प्रकोप अभी थमेगा, पर पूरी तरह समाप्त नहीं होगा। यह भी आशंका जताई गई है कि अमेरिका में सर्दियों में एक बार फिर से कोरोना वायरस तांडव मचा सकता है। ऐसे में अमेरिका में कई पाबंदिया घोषित की जा रही हैं।
कोरोना वायरस का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र और आर्थिक संसाधनों पर भारी संकट लेकर आया है। महामारी के प्रकोप से देशवासियों को बचाने के उपायों को लेकर हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया में महानायक बनकर उभरे हैं। दुनिया के सभी देशों के मुखियाओं समेत हर क्षेत्र की हस्तियां उनकी प्रशंसा कर रही हैं। उनके यह उद्गार कि जान भी बचानी है, और जहान भी, ने हमें युद्ध से भी बड़ी इस आपदा पर विजय करने की शक्ति दी है। हमारी भारतीय संस्कृति में पहले भी ऐसी आपदाओं से निपटने की बहुत ही समृद्ध परम्परा रही है। हम अपनी संस्कृति का अनुसरण करते हुए इस आपदा से बच सकते हैं।
हमारे यहां सभी घरों में प्रवेश द्वार पर ही जूते-चप्पल उतारने का नियम रहा है। आज विश्व के तमाम बड़े वैज्ञानिक यह बता रहे हैं कि जूते-चप्पल घर के बाहर रखें। घर में घुसते ही हाथों को धोये। कोरोना से बचाव के लिए मुहं पर मॉस्क पहने। मॉस्क मिलने में समस्या है तो गमझा, साफी, रूमाल आदि डाल सकते हैं। कई राज्यों में आज भी लोग गमछा, दुपट्टा अन्य प्रचलित कपड़ा गले में डालते हैं। सर्दी और गर्मी से बचाव के लिए इसका प्रयोग होता है। हम इसे बाहर निकलते समय मुहं पर बांधें रखे। अपने साथ सेनेटाइजर साथ रखें। आजकल यह हर जगह उपलब्ध है। गांवों में जहां सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं है वहां साबुन का इस्तेमाल करें। साथ ही नीम की पत्तियां पानी में उबालकर रखे। यह पानी भी हाथ धोने के लिए उत्तम है।
महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने को कहा जा रहा है। हमारे यहां प्रणाम करने का रिवाज है। आज वैज्ञानिक भी दुनिया को दूर से ही नमस्कार करने का संदेश दे रहे हैं। सभी देशों में लोग इसका पालन भी कर रहे हैं। इसके साथ ही सबसे बड़ा संदेश यह भी मिला है कि घर में ही बना खाना खाएं और बच्चों को खिलाएं। जंक फूड स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। बीमारी से बचाव के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार लें।
लॉकडाउन में जारी पाबंदियों में कुछ समय के बाद छूट भी मिलेगी। अभी पिछले एक महीने से लोग घरों से काम कर रहे हैं। कार्यालय, उद्योग, परिवहन समेत कई सेवाएं बंद हैं। छूट के बाद फिर से कामकाज शुरु होगा। यह ध्यान देने की बात है कि जहां तक जरूरी हो उन्हीं क्षेत्रों में लोगों को काम पर बुलाया जाए। जो लोग घरों से अपना काम कर सकते हैं, उनसे घरों से काम लिया जाए। महानगरों में पहले जैसी भीड़ उमड़ने के बाद शारीरिक दूरी का नियम टूटने का खतरा है। ऐसे में मुहं पर मॉस्क लगाने और हाथ न मिलाने के बावजूद लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा रहेगा। महामारी से जूझने के कारण हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र पर भारी दवाब है। हर तरफ से कर्मचारियों में कटौती के साथ उनके वेतन में भी कटौती के समाचार आ रहे हैं। निश्चित तौर पर आर्थिक संकट का सामना भी हमें करना पड़ेगा। लॉकडाउन के दौरान हमनें सीमित साधनों के साथ दिन काटे हैं। साधारण खाना खा रहे हैं। घरों में रहने के कारण परिवहन पर आने वाला खर्च भी बचा है।
लॉकडाउन के पश्चात भारतीय संस्कृति के अनुसार हम किसी के घर भी जाएं या कोई हमारे घर आए तो सबसे पहले जूते बाहर रखे जाएं। सेनेटाइजर से हाथ धोये। जिस घर गए हैं, उनसे पूछे कि क्या आपके यहां नियमित रूप से सेनेटाइजर या साबुन से हाथ धोये जा रहे हैं या नहीं। लोगों को मुहं पर मॉस्क पर बांधन के लिए प्रेरित करें। इस तरह हम कोरोना महामारी के प्रकोप के बच सकते हैं और अन्यों को बचा सकते हैं।
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