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कोरोना से मुकाबला-विश्वमंच पर छाए मोदी

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से बचाव और उपचार के लिए विश्वभर की निगाहें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों और उठाये गए कदमों पर लगी हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी की पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद 24 मार्च की रात से 21 दिन के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण देश की जनता महामारी के प्रकोप का मुकाबला करने को तैयार हो गई। प्रधानमंत्री के प्रयासों की दुनियाभर में तारीफ हो रही है और मीडिया में कहा जा रहा रहा है कि भारत की जनता अगर सरकारी प्रतिबंधों का कड़ाई का पालन से करें तो देश में ज्यादा जान गंवाएं बिना लोगों को ज्यादा तादाद में संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। केंद्र और राज्य सरकारों के निर्देशों और लॉकडाउन का पालन करने से हम न केवल स्वयं को बल्कि अपने परिवार और आसपास के लोगों को महामारी के प्रकोप से बचा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर पूरे देश में लागू लॉकडाउन के कारण हमारे 431 जिले अभी पूरी तरह संक्रमण मुक्त हैं। जिन 133 जिलों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज हैं, वहां कुछ इलाकों को ही हॉटस्पॉट माना गया है। इतना माना जा सकता है कि मोदी के उठाये कदमो के कारण महामारी के फैलने पर रोक लगी है। साथ ही दवा और अन्य सामान के लिए दुनियाभर की उम्मीदें भारत पर टिकी हुई हैं। संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के देशों को हर तरह की उम्मीद बंधाई है।

हमारे सामने चीन और अमेरिका जैसे महाबली देशों की सरकारों का उदाहरण सामने हैं। मीडिया में चर्चा आई कि चीन ने महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए संक्रमित नागरिकों पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया। चीन में लाखों लोगों का कोई सुराग नहीं मिल रहा है। 80 लाख से ज्यादा मोबाइल सिम का पता नहीं चल पा रहा है। ढाई करोड़ लोगों के मोबाइल फोन बंद बताएं जा रहे हैं। यह हाल है साम्यवाद की राह पर चलने वाली चीनी सरकार का। दुनियाभर में अब तक कोरोना वायरस के कारण 90 हजार के आसपास लोगों की जानें जा चुकी हैं। अमेरिका में 15000 के आसपास आंकड़ा पहुंचने वाला है। अमेरिका में 4.30 लाख कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनता को बचाने में नाकामी की हताशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन पर ही आरोप लगा दिए। डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर लापरवाह होने और चीन पर खास ध्यान देने का आरोप लगाया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेडरोस ने भी चेतावनी दी है कि अगर हम नहीं सुधरे, तो हमारे सामने और ज्यादा ताबूत रखे होंगे। लाशों का ढेर लग जाएगा। पाकिस्तान की सरकार ने जनता को बचाने के उपाय करने के बजाय मरने वालों के लिए 80 एकड़ जमीन दफनाने के लिए आरक्षित कर दी है।

हमारे देश में अभी चीन, अमेरिका, इटली, फ्रांस आदि देशों जैसीं सुविधाएं नहीं है। हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री मोदी ने एक कुशल प्रशासक और बेहतर संरक्षक की भूमिका निभाते हुए देशवासियों को संकट से बचाने के लिए घरों में रहने की अपील की। सही समय पर लॉकडाउन की घोषणा करके लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए घरों रहने की अपील की गई। देश की जनता ने भी अपने प्रधानमंत्री की अपील पर चैत्र नवरात्र के दौरान घरों में रहकर की मां दुर्गा की आराधना की। यह ऐसा अवसर होता है कि जब करोड़ों लोग स्थानीय स्तर पर लगने वाले मेलों में पहुंचते हैं। देश की जनता ने प्रधानमंत्री की अपील के मद्देनजर पहले रामनवमी और फिर हनुमान जयंती पर कोई आय़ोजन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या में विवादित भूमि पर भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने का निर्णय देने के बाद तमाम संगठनों व्यापक स्तर पर कार्यक्रम करने की तैयारी कर रखी थी। विश्व हिन्दू परिषद ने प्रधानमंत्री की अपील पर अपनी पहले की तैयारियों की विराम देते हुए कार्यक्रम स्थगित कर दिया और कुछ गिने-चुने लोगों ने ही भगवान श्रीराम का प्राक्टयोत्सव मनाया। पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में भव्य शोभायात्राओं का आयोजन होना था। प्रसन्नता की महामारी से प्रकोप से बचाने के लिए कहीं कोई कार्यक्रम नहीं किया गया। इसके लिए सभी लोगों का साधुवाद। यह भी सही है कि तबलीगी जमात जैसी घटना नहीं होती तो संक्रमण को काबू करने में ज्यादा आसानी होती। दुख की बात यह है कि राज्य सरकारों की चेतावनी के बावजूद तबलीगी जमात के लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं। देश में कोई भूखा न सोय़े, प्रधानमंत्री की इस अपील पर सामान्य वर्ग ने खुलकर सहयोग दिया। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए विदेशी नेताओं से भी बात की। लॉकडाउन के मुद्दे पर वीडियो कांफ्रेस के जरिये सभी दलों के नेताओं से बात की और अब मुख्यमंत्रियों से बात करके लॉकडाउन जारी रखने या समाप्त करने का फैसला होगा। वैसे तो ज्यादातर राज्यों के मुख्यमंत्री लॉकडाउन को जारी रखने के पक्ष में हैं। कुछ राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा भी कर दी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी जो शुरुआत में कोरोना महामारी को सीएए और एनआरसी के मुद्दे से ध्यान हटाने का शुगूफा बता रही थी, आज उन्हें लॉकडाउन कराने के लिए सड़कों पर उतारना पड़ा है। कोरोना महामारी के प्रकोप से बचने का एकमात्र उपाय है, घर में रहे और अपने हाथों को साफ रखे। यह तो तय है कि कई राज्यों में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जाएगी। ऐसे समय में हम सभी को प्रशासन, पुलिस और डॉक्टरों का सहयोग करना है। हम सब प्रशासन के नियमों और निर्देशों का पालन करें। ऐसे समय में हमारा सहयोग बहुमूल्य होगा।



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