Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

उत्तर प्रदेश अब चाहता है विकल्प

गंगा-यमुना की भूमि, श्री राम की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश देश का एक विकासशील राज्य है, जहाँ वर्षों से विकास के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन विकास के नाम पर सिर्फ सरकारें बदल जाती है और विकास का कार्य वहीँ का वहीँ है।

आज भी यहाँ राजनीति, जातीय आधार पर ही की जाती है। जब जब चुनाव आते हैं तो यहाँ के स्थानीय राजनैतिक दल जातीय आधार पर अपना अपना वोट बैंक बढ़ाने में लग जाते हैं और चुनाव ख़त्म होते ही जनता का ख्याल अपने मन से निकाल देते हैं। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में देश में प्रथम स्थान पर है और यहाँ पर पूरे विश्व के 8 प्रतिशत गरीब निवास करते हैं। और यहाँ का साक्षरता का स्तर निम्न है।

जनसंख्या को, साक्षर बना कर और रोज़गार दे कर क्या भीड़ को “मानव संसाधन” में नहीं बदल सकते हैं? हमारे देश के प्रधानमंत्री ने देश को स्किल इंडिया का उपहार दिया है, अगर इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में भी कार्य किये जाये, तो लोगों को रोज़गार मिलना आसान हो जायेगा।

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था के तो क्या कहने, ला एंड आर्डर के नाम पर तो सरकार और अधिकारियों का मज़ाक बना हुआ है। वर्तमान अखिलेश सरकार कहती है, “हमने विकास किया है लोगो के लिए। काम बोलता है” और ना जाने का क्या- क्या …..
पर किया क्या है? ये भी तो बताएं।

विकास एक मजबूत मुख्यमंत्री करता है, जो अखिलेश बाबू नहीं है, उ. प्र. में साडेतीन मुख्यमंत्री का शासन था अब तक, और अब ये साढ़े तीन मुख्यमंत्री आपस में भिड़े हुए हैं, और अपने मसले ही नहीं सुलझा पा रहे हैं। सिर्फ सुलझाने का नाटक कर रहे हैं, तो प्रदेश क्या संभालेंगे।
और रही बात मायावती जी की तो उनका हाथी तो उ.प्र. की जनता द्वारा पहले ही बैठा दिया गया है जो चलने के काबिल भी नहीं रहा है अब तो।

उत्तर प्रदेश की जो स्थिति है उसको लेकर यहाँ की जनता क्या सोचती है अब यह साफ़ है। बीजेपी कि लहर पूरे उत्तर प्रदेश में बह रही है, और यही जनता का भी मत होगा।

क्या उत्तर प्रदेश में विकास एक ज़रुरी मुद्दा नहीं होना चाहियें? क्या यहाँ की जनता एक सुरक्षित माहौल में रहने की हक़दार नहीं है? क्या प्रदेश को एक ऐसी सरकार की जरुरत नहीं है जो सच में प्रदेश के लिए कार्य करे?

ये कुछ सवाल हैं जो मेरे मन में बार बार उठते हैं।
  • 2012 में जो सरकार चुनी गयी उससे लोगों को बहुत उम्मीदें थी और सरकार द्वारा भी बहुत बड़े बड़े वादे किये गए थे, और लोगों को ये विश्वास दिलाया गया कि उनको वो सब मिलेगा जिसकी उन्हें ज़रुरत है। किन्तु जनता को क्या मिला? असुरक्षा, डर और भ्रष्टाचार।
  • सांप्रदायिक दंगों में तो जैसे उत्तर प्रदेश जल ही उठा, पहले साल में ही मुज़फ़्फरनगर, शामली, फैजाबाद, बरेली और आजमगढ़ में एक के बाद एक सांप्रदायिक दंगे हुए। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार चार सालों में ५० से भी ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए है प्रदेश में।
  • वर्तमान सरकार जुर्म के स्तर को कम करने में तो पूरी तरह परिणाम रहित है, क्योंकि इस सरकार के सुशासन में जुर्म कम नहीं हुये और बढ़ गए हैं। इसके कई उदाहरण हैं, जैसे कैराना पलायन का मामला और मथुरा में हुई हिंसा, जिसमे 2 पुलिस अधिकारियों सहित 24 लोगों की दुखद मृत्यु हो गयी। ऐसे और कई मामले हैं जिनमें जान माल की बहुत हानि हुई है। और जनता पूरी तरह त्रस्त है।
  • उत्तर प्रदेश में कोई भी स्थानीय राजनैतिक पार्टी की सरकार हो, भ्रष्टाचार और जुर्म को रोकने में ना-कामयाब ही रही है।
  • बिजली पानी की समुचित व्यवस्था हो या ग़रीबों को उचित राशन मिलने की बात हो, सभी जगह प्रदेश की सरकार असफल ही रही हैं।
  • जनता में गुस्सा भरा हुआ है और इस बार “सपा गयी तो बसपा आई,……
    बसपा गयी तो सपा आई”, का जुमला अब काम नहीं करेगा।

“जनता को विकल्प चाहियें प्रदेश के लिए” और यह विकल्प, सिर्फ और सिर्फ “भारतीय जनता पार्टी” है।

The post उत्तर प्रदेश अब चाहता है विकल्प appeared first on Kailash Vijayvargiya.



This post first appeared on Welcome To Kailash Vijayvargiya Blog | The Cabinet, please read the originial post: here

Share the post

उत्तर प्रदेश अब चाहता है विकल्प

×

Subscribe to Welcome To Kailash Vijayvargiya Blog | The Cabinet

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×