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गुजरात के सूरत और राजस्थान के बांसवाड़ा में कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के जाल में। कांग्रेस जब अपने प्रत्याशियों को संभाल नहीं पा रही तो देश को कैसे संभालेगी। मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत ने कहा थà

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इन दिनों गुजरात के सूरत के कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी और राजस्थान के बांसवाड़ा के कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद डामोर की देश भर में चर्चा हो रही है। इससे कांग्रेस का मजाक भी उड़ रही है। खुद कांग्रेस का आरोप है कि इन दोनों स्थानों पर हमारे प्रत्याशी भाजपा के जाल में फंस गए हैं। मजे की बात तो यह है कि बांसवाड़ा में कांग्रेस के पदाधिकारी खुद अपने प्रत्याशी अरविंद डामोर को हराने की अपील कर रहे है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने डामोर को पार्टी से निलंबित कर दिया है। असल में बांसवाड़ा में कांग्रेस ने भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के उम्मीदवार राजकुमार को समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन पार्टी के निर्देश के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी डामोर ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। अब डामोर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में है। कांग्रेस का आरोप है कि डामोर ऐन वक्त पर भाजपा के जाल में फंस गए इसलिए नामांकन वापस नहीं लिया। मालूम हो कि बांसवाड़ा में भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को अपना प्रत्याशी बनाया है। मालवीय की उम्मीदवारी से बांसवाड़ा में भाजपा की स्थिति मजबूत है। देश में बांसवाड़ा एक मात्र संसदीय क्षेत्र है, जहां कांग्रेस अपने उम्मीदवार को वोट नहीं देने की अपील कर रही है। इसी प्रकार गुजरात के सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी के भाजपा के जाल में फंसने के कारण तो भाजपा प्रत्याशी मुकेश का निर्विरोध निर्वाचन भी हो गया। सूरत के प्रकरण में तो सीधे राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। अपने प्रत्याशी के जाल में फंस जाने को राहुल गांधी देश के संविधान को खतरा बता रहे है। यदि कांग्रेस संगठनात्मक दृष्टि से मजबूत होती तो बांसवाड़ा और सूरत में कांग्रेस का मजाक नहीं उड़ता। इसे कांग्रेस का मजाक ही कहा जाएगा कि जिन निलेश कुंभाणी को उम्मीदवार घोषित किया, वह नामांकन के समय से ही भाजपा के जाल में फंस गए। नामांकन में प्रस्तावकों के नाम रिश्तेदारों के लिखवा दिए। इन रिश्तेदारों ने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष कहा कि हमने कुंभाणी के नामांकन पर हस्ताक्षर ही नहीं किए है। इस पर जब निर्वाचन अधिकारी ने कुंभाणी को बुलाया तो वह सूरत से ही गायब हो गया। इसके साथ ही बसपा सहित आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपने नामांकन वापस ले लिए। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध सांसद बन गए। सवाल उठता है कि कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को ही नहीं संभाल पा रही है तो देश को क्या संभालेगी? कांग्रेस इंडिया गठबंधन के माध्यम से नरेंद्र मोदी और भाजपा को हराना चाहती है। लेकिन कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को ही संभालने में विफल रही है। 
20-20 करोड़ रुपए में बिके विधायक:
बांसवाड़ा और सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी की बोली कितने में छूटी यह तो आने वाले दिनों में कांग्रेस के नेता ही बताएंगे, लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अशोक गहलोत ने स्वीकार किया था कि कांग्रेस के विधायक 20-20 करोड़ रुपए में बिक गए हैं। अगस्त 2020 में जब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए। तब जयपुर में गहलोत ने कहा कि हमारे विधायक भाजपा के हाथों 20-20 करोड़ रुपए में बिक गए हैं। हालांकि गहलोत ने विधायकों के बिकने का सबूत आज तक भी नहीं दिया है। पायलट के साथ दिल्ली जाने वाले विधायकों में मुरारीलाल मीणा भी शामिल थे। मीणा अब दौसा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। सवाल उठता है कि देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले नेता कांग्रेस के क्यों होते हैं? गुजरात में भी बड़ी संख्या में कांग्रेस के विधायकों और नेताओं ने पाला बदला है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-04-2024)
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