भारत की सनातन संस्कृति में मान्यता है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी पर भगवान राम का जन्म हुआ, इसलिए इस दिन को रामनवमी के तौर पर मनाया जाता है। चूंकि अब अयोध्या में जन्म स्थान पर रामजी का भव्य मंदिर बन गया है इसलिए 17 अप्रैल को रामनवमी के दिन दोपहर को भगवान की प्रतिमा पर सूर्य की किरणें पड़ी, ऐसा लगा कि सूर्य देवता स्वयं भगवान के मस्तक पर तिलक कर रहे हैं। यह दृश्य वाकई देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला रहा। इस दृश्य को देखने के लिए 17 अप्रैल को अयोध्या में लाखों राम भक्त मौजूद रहें। सब जानते है कि सनातन धर्म को मानने वाले हर व्यक्ति के जीवन राम का महत्व है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि 1527 में बाबर ने जब दिल्ली को अपने कब्जे में लिया तो उसने अयोध्या में बने राम मंदिर को तोड़ने के आदेश दिए। तब उसके सेनापति मीर बाकी ने न केवल रामजी का मंदिर तोड़ दिया बल्कि मंदिर के अवशेष से एक ढांचा भी खड़ा कर दिया। आज 500 साल बाद ऐसा अवसर आया जब राम जी का जन्म दिन अयोध्या में धूमधाम से मनाया जा रहा है। स्वाभाविक है कि 1527 में जब मंदिर को तोड़ा गया, तब हिन्दुओं ने स्वयं को अपमानित महसूस किया। उस समय के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। आक्रमणकारी बाबर की सेना रामजी के मंदिर को तोड़ रही थी और राम भक्त खामोश थे। हो सकता है कि तब विरोध करने वाले राम भक्तों का सर तन से जुदा कर दिया गया हो। पिछले 500 वर्षों का इतिहास बताता है कि रामजी के मंदिर के लिए लाखों राम भक्तों ने बलिदान किया। मुगलों के बाद भारत पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया। जब आजादी का आंदोलन शुरू हुआ तब राम भक्तों का यही मानना रहा कि जिस दिन आजादी मिलेगी उसी दिन अयोध्या में जन्म स्थान पर राम जी का मंदिर बन जाएगा। 1947 में आजादी तो मिली, लेकिन राम मंदिर नहीं बन सका। जिन लोगों ने सत्ता संभाली उन्होंने धर्म के आधार पर मुस्लिम देश पाकिस्तान को बनने पर सहमति दे दी, लेकिन अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने से इंकार कर दिया। आज यह सवाल वाजिब है कि देश के विभाजन के समय अयोध्या में राम जी का मंदिर क्यों नहीं बना? क्या उस समय ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता थी जो आक्रमणकारी बाबर के समर्थक थे? धर्म के आधार पर पाकिस्तान के बन जाने के बाद यदि अयोध्या में भी मंदिर बन जाता तो आज देश के हालात ऐसे नहीं होते। विभाजन के बाद अयोध्या में राम जी का मंदिर बनवाने के 75 वर्ष लग गए। जिन लोगों ने विभाजन के बाद तुष्टिकरण की नीति पर अमल करते मंदिर नहीं बनवाया, उन्हीं की सोच वाले नेताओं ने मंदिर के निर्माण अनेक बाधाएं खड़ी की। अदालत में यहां तक कहा गया कि भगवान राम का अस्तित्व ही नहीं है। लेकिन देश में राम भक्तों की सरकार बनने पर अयोध्या मैं न केवल भव्य मंदिर बना, बल्कि 17 अप्रैल को 500 साल बाद सूर्य भगवान ने भी रामजी के मस्तक पर तिलक किया।
S.P.MITTAL BLOGGER (17-04-2024)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511
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