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तो सीएम वसुंधरा राजे चाहेंगी, तब होंगे अलवर और मांडलगढ़ में उपचुनाव। राजस्थान कैडर के रिटायर आईएएस सुनील अरोड़ा हंै चुनाव आयुक्त।

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तो सीएम वसुंधरा राजे चाहेंगी, तब होंगे अलवर और मांडलगढ़ में उपचुनाव।
राजस्थान कैडर के रिटायर आईएएस सुनील अरोड़ा हंै चुनाव आयुक्त।
सब जानते हैं कि राजस्थान के अलवर में लोकसभा उपचुनाव के मद्देनजर सीएम वसुंधरा राजे ने 15 और 16 अक्टूबर को अलवर के दो विधानसभा क्षेत्रों में जनसंवाद की घोषणा कर दी थी। अलवर के भाजपा विधायकों ने तैयारियां भी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं भीलवाड़ा के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तो सीएम ने जनसंवाद का कार्यक्रम भी कर लिया। सीएम की इस राजनीतिक कवायद से यह लगा कि अजमेर के लोकसभा के उपचुनाव के साथ साथ अलवर और मांडलगढ़ में उपचुनाव होंगे। आमतौर पर ऐसा ही होता है कि एक प्रांत के सभी उपचुनाव एक साथ हो जाए। लेकिन सबने देखा कि ऐन मौके पर सीएम ने अलवर का दौरा रद्द कर दिया और अजमेर जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में जनसंवाद का कार्यक्रम पूरा किया। यहां तक कि धनतेरस के दिन भी सीएम ने नसीराबाद में जनसंवाद किया। लेकिन अब कहा जा रहा है कि अलवर और मांडलगढ़ के उपचुनाव अजमेर के साथ नहीं होंगे। इस पर सीएम राजे भी सहमत हैं। भले ही उपचुनाव के बारे में सीएम राजे खुद कोई फैसला न करें, लेकिन सब जानते हैं, कि राजस्थान कैडर के रिटायर आईएएस सुनिल अरोडा को पिछले माह ही देश का चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। जानकारों की माने तो सीएम राजे को यही समझाया गया कि अलवर और मांडलगढ़ के लिए कोई जल्दबाजी न कि जाए। संविधान में किसी सांसद या विधायक के निधन के बाद अगले 6 माह में उपचुनाव कराने का प्रावधान है। चूंकि अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट के निधन को तीन माह का समय हो गया है इसलिए अजमेर में उपचुनाव करवाएं जा सकते हैं, लेकिन अलवर के सांसद और मांडलगढ़ की विधायक का निधन तो हाल ही में हुआ है। अलवर और मांडलगढ़ में अगले वर्ष फरवरी-मार्च तक उपचुनाव करवाएं जा सकते हैं। सीएम के सामने जब यह प्रस्ताव रखा गया तो उन्होंने भी सहमति जताई क्योंकि अब एक साथ तीन चुनावों में ताकत नहीं लगानी पड़ेगी। इस वर्ष अजमेर और अगले वर्ष अलवर व मांडलगढ़ के चुनाव करवाए जा सकते हैं। चूंकि राजनीति में कुछ संभव है इसलिए सीएम का यह फैसला भी बदल सकता है। पहले इस बात का आकलन किया जाएगा कि राजस्थान में भाजपा को एक साथ चुनाव करवाने में फायदा है या नहीं। यदि राजनीतिक फायदा नजर आया तोएक साथ उपचुनाव करवाये जा सकते है । चूंकि चुनाव आयोग से कोई निर्णय करवाने में परेशानी नहीं है इसलिए यह माना जा रहा है कि सीएम राजे जब चाहेंगी तब राजस्थान में उपचुनाव होंगे। ऐसा भी कोई जरूरी नहीं कि अजमेर के उपचुनाव गुजरात के चुनाव के साथ करवाएं जाए।
एस.पी.मित्तल) (20-10-17)
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