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Overnight Funds: रातो रात बन सकते हैं आप करोड़पति, कैसे काम करते हैं यह ओवरनाइट फण्ड; जानिए सबकुछ

Overnight Funds: कई बार आपने देखा और सुना होगा कि कोई व्यक्ति रातो-रात करोड़पति बन गया या रातो रात उसके शेयर की वैल्यू बढ़ गई। हालाँकि कई लोग इस बात Fact मानते हैं और कई लोग इसे झूठ भी लेकिन यह सच होता हैं। वो बात अलग हैं कि किसी व्यक्ति की लॉटरी लगी हो और वह लॉटरी के कारण अमीर हुआ हैं। लेकिन लॉटरी सभी की नहीं लगती हैं और ना ही यह सुरक्षित होती हैं।

हालाँकि एक ऐसा भी ऑप्शन हैं जो बिलकुल सुरक्षित हैं और आपको रातो रात अमीर बना सकता हैं, अगर आप इन्वेस्टमेंट करते हैं तो। ओवरनाइट फंड्स (Overnight Funds) यह फण्ड बड़े काम के होते हैं।

यह ऐसे फंड्स हैं जिनमे सिर्फ एक रात के लिए निवेश किया जाता हैं। SEBI ने जब म्यूच्यूअल फण्ड की केटेगरी को रेगुलेट किया तब उन्होंने ओवरनाइट फंड्स की केटेगरी अलग बनाई थी और इसमें पारदर्शिता के लिए समय – समय पर सर्कुलर भी लाये गए थे।

Overnight Funds in Hindi

अगर जब भी लिक्विडिटी की बात आती हैं तो लिक्विड फण्ड का नाम जरूर लिया जाता हैं। दरअसल बात यह हैं कि 3 महीने में मेच्योर होने वाली स्कीम में लिक्विडिटी आसान हैं। लेकिन आपको बता दें कि इस मामले में लिक्विड फण्ड से भी आगे ओवरनाइट फण्ड आते हैं। इन फंड्स की मेच्योरिटी पीरियड सिर्फ 1 दिन होती हैं।

इस फंड्स का सबसे अच्छा बेनिफिट यही हैं कि इस फण्ड में बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से निवेशकों को आमतौर पर सुरक्षा मिलती हैं। इन स्कीमों में ब्याज दरों में बदलाव पर कोई फर्क नहीं पड़ता हैं, इसके साथ ही किसी भी सिक्योरिटी के डिफ़ॉल्ट का फर्क नहीं पड़ता हैं। यह एक तरह का DEBT म्यूच्यूअल फण्ड हैं।

ओवरनाइट फण्ड क्या होते हैं

जैसा कि आप जानते हैं म्यूच्यूअल फण्ड की कई सारी केटेगरी हैं उनमे से एक ओवरनाइट फण्ड की भी केटेगरी हैं। यह एक तरह की ओपन-एंडेड डेट स्कीम हैं। यह फण्ड एक दिन में मेच्योर होने वाली Security में पैसा लगाते हैं। इसके बाद फिर इस स्कीम के फण्ड को दोबारा से नई प्रतिभूतियों को खरीदने में लगाया जाता हैं। निवेश की ऐसी guidance इन्हे काफी लिक्विड बना देती हैं। SEBI ने सभी तरह के म्यूच्यूअल फंड्स के लिए निवेश guidance तय कर रखी हैं।

ओवरनाइट फण्ड कैसे काम करता हैं

यह एक तरह के DEBT हैं जो एक दिन में मेच्योर होने वाले बॉन्ड में निवेश करते हैं। हर वर्किंग डे की शुरुआत बॉन्ड खरीदने से ही होती हैं जो कि अगले वर्किंग डे को मेच्योर किये जाते हैं। इसके अंतर्गत म्यूच्यूअल फण्ड हाउस किसी वर्किंग डे की शुरुआत में निवेशकों से पैसा लेता हैं और फिर उस पैसे को बड़ी कंपनियों या बैंक को DEBT पर देता हैं।

वह कंपनी या बैंक जिन्होंने पैसा कर्ज पर लिया 1 दिन में ही उस पैसे को ब्याज सहित वापस चुकाने का वादा करती हैं। अगर कोई बॉन्ड एक वर्किंग डे में मेच्योर होता हैं तो अगले दिन RBI द्वारा किया गया कोई भी बदलाव उस पर लागू नहीं होता हैं। इस दौरान बॉन्ड जारी करने वाले की क्रेडिट रेटिंग बदलने पर भी कीमत पर कोई असर नहीं पड़ता हैं।

दरअसल बात यह हैं कि सरकार को या बड़े-बड़े कॉर्पोरेशंस को एक दिन के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता पड़ती हैं। इसलिए वह उधार लेते हैं। अगले दिन उनके पास ज्यादा पैसा आ जाता हैं जिससे वे अन्य कंपनियों को पैसे उधार देंगे या फिर से ओवरनाइट फंड्स के माध्यम से पैसे उधार लेते हैं।

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1 साल में शानदार रिटर्न देने वाले फण्ड

  • Bank of India ओवनाइट फंड: 6.28 फीसदी
  • मिरे एसेट ओवरनाइट फंड: 6.23 फीसदी (mirae asset overnight fund)
  • Axis ओवरनाइट फंड: 6.23 फीसदी
  • निप्पॉन इंडिया ओवरनाइट फंड: 6.22 फीसदी
  • DSP ओवरनाइट फंड: 6.22 फीसदी

आखिर क्यों लगाएं ओवरनाइट फण्ड में पैसे

ओवरनाइट फण्ड में लिक्विडिटी बहुत अच्छी हैं, साथ ही यह हाई लिक्विड फंड्स भी होते हैं। इस फण्ड की सबसे अच्छी बात यह हैं कि इसमें जब भी आवश्यकता हो तब पैसे निकाले जा सकते हैं। इसमें Investor पर जोखिम बहुत कम होता हैं, क्यूंकि लेंडिंग पीरियड कम होने की वजह से क्रेडिट या डिफ़ॉल्ट से जुड़ा जोखिम नहीं होता हैं। इसमें निवेश कम वोलेटाइल होता हैं।

इस स्कीम के अनुसार 100% रकम कोलैटरलाइज्ड बॉरोइंग और लेंडिंग ऑब्लिगेशन (CBLO) मार्केट में इन्वेस्ट की जाती हैं। जिससे जोखिम काफी कम हो जाता हैं। CBLO इंस्टूमेंट में मेच्योरिटी 1 दिन की हो सकती हैं। इससे लिक्विडिटी की समस्या भी नहीं होती हैं। हलांकि 1 दिन की मेच्योरिटी होने से इनमे रिटर्न थोड़ा कम होता हैं लेकिन सुरक्षा अधिक होती हैं।

इस स्कीम में कौन कर सकता हैं इन्वेस्ट

यह फण्ड उन लोगो के लिए अच्छा हैं जो शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं। कंपनियां इस तरह के फण्ड में करोडो रुपये निवेश करती हैं। इसका यही कारण हैं कि यदि कोई कंपनी बड़ी रकम इसमें निवेश करती हैं और 1 दिन में जो भी उतार – चढाव होता हैं उससे काफी असर पड़ता हैं। हालाँकि रिटेल निवेशकों के लिए ओवरनाइट फंड्स में ज्यादा रिटर्न कमा पाना मुश्किल होता हैं।

अगर रिटेल निवेशकों की बात करें तो उन्हें इस फण्ड की बजाये कही और इन्वेस्ट करना चाहिए क्यूंकि यह फण्ड ज्यादा रिटर्न नहीं देते हैं। अगर आपको हाई रिटर्न चाहिए और आप रिस्क लेने के लिए तैयार हैं तो आपको कोई और फण्ड देखना चाहिए।

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टैक्सेशन – इस फण्ड में टैक्स के क्या नियम हैं

जैसा कि हमने आपको बताया हैं ओवरनाइट फण्ड डेट फण्ड की केटेगरी में आते हैं, तो इस पर टैक्स भी DEBT फण्ड के हिसाब से ही लगेगा। इसका यह मतलब हुआ कि अगर निवेश 36 महीने से कम समय के लिये होल्ड किया जाता हैं तो लाभ होगा, जिसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जायेगा और इस पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना पड़ेगा।

वही अगर 36 महीने से अधिक समय तक निवेश को होल्ड किया जाता हैं तो लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) होगा और इस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20% की दर से टैक्स चुकाना पड़ेगा। यदि LTCG पर इंडेक्सेशन बेनेफिट्स नहीं होता हैं तो टैक्स की रेट 10% होगी।



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