बैंक में अकाउंट खुलवाते समय अक्सर लोगो का एक सवाल होता है की सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में अंतर क्या है? अगर आप भी इन्ही दोनों अकाउंट को लेकर भ्रमित है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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इस आर्टिकल में आपको विस्तार से बताया जाएगा की सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में अंतर क्या है। अगर आप भी यह जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
हम सभी ये तो समझते हैं कि बचत खाता क्या है, लेकिन फिर भी हम में से कई लोग गलत धारणा के तहत हो सकते हैं कि सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट एक ही चीज़ है। हमारा यह कहने का इरादा नहीं है कि यह दोनों पूरी तरह से अलग हैं लेकिन दोनों के बीच कुछ प्रमुख अंतर हैं जो उन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं और उन्ही अंतरो के बारे में हम आज बात करने जा रहे है।
सैलरी अकाउंट क्या होता है?
सैलरी अकाउंट हर महीने एक कर्मचारी के वेतन को जमा करने के एकमात्र उद्देश्य से खोला जाता है। यह बैंकों द्वारा बड़ी संख्या में कर्मचारियों के लिए खोला जाता है। सैलरी अकाउंट विभिन्न सुविधाओं के साथ आते हैं जो कर्मचारियों को लाभान्वित करते हैं।
सैलरी अकाउंट मुख्य रूप से नियोक्ताओं द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए खोले जाते हैं। यह खाता कर्मचारियों के मासिक वेतन को जमा करने के लिए खोला जाता है। सैलरी अकाउंट की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक यह है कि यह एक जीरो बैलेंस अकाउंट है। इसमें आपको न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की कोई जरूरत नहीं है।
सैलरी अकाउंट कर्मचारियों के लिए एक समर्पित अकाउंट होता है जहां आपका नियोक्ता आपकी मासिक आय या वेतन जमा करता है। कंपनियां और निगम आमतौर पर अपने कर्मचारियों के लिए सैलरी अकाउंट खोलने के लिए बैंकों के साथ गठजोड़ करते हैं।
सेविंग अकाउंट क्या है?
सेविंग अकाउंट बैंक द्वारा खोला गया एक जमा खाता होता है जिसमे ग्राहक कभी भी अपना पैसा जमा कर सकता है या निकलवा सकता है। सेविंग अकाउंट ग्राहक अपने पैसे जमा करने के लिए खुलवाता है।
सेविंग अकाउंट बैंक द्वारा ग्राहक को दी जाने वाली एक बुनियादी वित्तीय सेवा है। ग्राहक विभिन्न प्रकार के सेविंग अकाउंट खोल सकता हैं जैसे ऑनलाइन सेविंग अकाउंट, नियमित सेविंग अकाउंट, प्रीमियम सेविंग अकाउंट और जीरो बैलेंस अकाउंट।
सेविंग अकाउंट के प्रकार के आधार पर खाताधारक को खाते में औसत न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इन खातों द्वारा दिए जाने वाले लाभ भिन्न होते हैं।
- सेविंग अकाउंट में कितना ब्याज मिलता है
- सेविंग अकाउंट में कितना पैसा रख सकते हैं
सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में अंतर क्या है?
एक सेविंग अकाउंट वह है जिसमें आप अपनी बचत बनाने के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। आप इस खाते का उपयोग अपने दिन-प्रतिदिन के वित्त का प्रबंधन करने के लिए कर सकते हैं जबकि सैलरी अकाउंट का मुख्य उद्देश्य कर्मचारी की सैलरी को अकाउंट में जमा करना होता है।
सेविंग अकाउंट कई तरह के हो सकते हैं। इसी तरह सैलरी अकाउंट भी कई तरह के होते है। वैसे सैलरी अकाउंट को भी एक तरह का सेविंग अकाउंट ही माना जाता है।
Salary Account VS Savings Account
विवरण | सैलरी अकाउंट | सेविंग अकाउंट |
खाते का उद्देश्य क्या है? | सैलरी अकाउंट किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारी की सैलरी जमा करने के लिए खोला जाता है। | सेविंग अकाउंट कोई भी व्यक्ति अपने पैसे जमा करने के लिए खोलता है। |
इसे कौन खोल सकता है? | किसी भी कॉर्पोरेट कंपनी में काम करनेवाला कर्मचारी अपनी कंपनी के गठजोड़ (tie-ups) बैंक में सैलरी अकाउंट खोल सकता है। | सेविंग अकाउंट कोई भी खोल सकता है। |
न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता कितनी है? | सैलरी अकाउंट में कोई न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता नहीं है। | आपके अकाउंट टाइप के अनुसार आपको सेविंग अकाउंट में न्यूनतम शेष राशि को बनाएं रखना होगा। |
ब्याज दर क्या है? | सैलरी अकाउंट में सेविंग अकाउंट के सामान ही ब्याज दर मिलती है। | सेविंग अकाउंट और सैलरी अकाउंट में ब्याज दर सामान है। |
खाता रूपांतरण क्या है? | अगर सैलरी अकाउंट में तीन महीने तक सैलरी जमा नहीं होती है तो सैलरी अकाउंट नियमित सेविंग अकाउंट में परिवर्तित हो जाता है। | अगर आपकी कंपनी का उसी बैंक के साथ गठजोड़ है जिसमे आपका पहले से ही एक सेविंग अकाउंट है तो आप बिना नया सैलरी अकाउंट खोले। अपने इसी सेविंग अकाउंट को सैलरी अकाउंट में परिवर्तित करने के लिए आवेदन कर सकते है। |
सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट की समान विशेषताएं।
जैसा कि आपको ऊपर तालिका में बताया गया है की दोनों के अलग-अलग उपयोग क्या हैं। लेकिन इसके साथ इनकी कुछ विशेषताएं सामान्य हैं जो बैंक द्वारा दोनों खाताधारकों को प्रदान की जाती हैं जिनमें निम्नलिखित सुविधाएं शामिल हैं:
- दोनों अकाउंट आसान और तुरंत अकाउंट खोल सकते है।
- दोनों अकाउंट में पासबुक की सुविधा दी जाती है।
- दोनों अकाउंट में चेक बुक की सुविधा दी जाती है।
- खाता लेनदेन के लिए अलर्ट भेजे जाते है।
- नॉमिनी जोड़ने की सुविधा मिलती है।
- फ़ोन बैंकिंग की सुविधा मिलती है।
- नेट बैंकिंग की सुविधा मिलती है।
- मोबाइल बैंकिंग की सुविधा मिलती है।
- ब्रांच में नकद जमा और निकासी की सुविधा मिलती है।
- किसी अन्य एटीएम में 3 बार एटीएम उपयोग करने का कोई शुल्क नहीं लगता है।
- इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर जैसे एनईएफटी, आरटीजीए और आईएमपीएस की सुविधा मिलती है।
- ब्याज/टीडीएस प्रमाणपत्र मिलत है।
- डिमांड ड्राफ्ट की सुविधा मिलती है।
- बैंक बैलेंस चेक करने की सुविधा मिलती है।
- ई-स्टेटमेंट की सुविधा मिलती है।
- 24/7 बैंकिंग सेवाएं मिलती है।
मुझे उम्मीद है की यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी रहा होगा। हमने पूरी कोशिश करि है की आपको सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में अंतर समझा सके। अगर अब भी आपको समझ नहीं आ रहा है की सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में अंतर क्या है? या आपका सैलरी अकाउंट या सेविंग अकाउंट से संबंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमे नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।
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