इस वर्ष पूर्णिमा तिथि पर मध्य रात में खंडग्रास चंद्रग्रहण होने से वेधकाल शुरू होने के बाद मंदिरों की दर्शन व्यवस्था बदलेगी। 28 अक्तूबर को दोपहर 4:05 बजे से वेधकाल प्रारंभ होगा। इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा। वहीं भगवान का स्पर्श नहीं किया जाएगा। महाकाल मंदिर के पुजारी पं आशीष शर्मा ने बताया कि ग्रहण के वेधकाल के दौरान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं होता है। इस दौरान भगवान को स्पर्श भी नहीं किया जाता है। महायोगी महाकाल काल और मृत्यु से परे है। उन पर किसी भी प्रकार के ग्रह, नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है। महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार ग्रहण काल के समय भी गर्भगृह के पट खुले रहते हैं। भक्तों को बाहर से दर्शन होंगे। रात्रि में ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर को रात्रि में ही धोकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद पुजारी पूजन व आरती करेंगे।
Related Articles
शरद पूर्णिमा तिथि, मास, वर्ष, गोचर की गणना से देखे तो 2005 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण था और अब 2023 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण की स्थिति बनी है। हालांकि इन ग्रहणों में अलग-अलग प्रकार का आंशिक भेद आता है, किंतु पूर्णिमा तिथि पर विशेषत: शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का होना एक अलग प्रकार की स्थिति को बनाता है, जो प्राकृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक दृष्टिकोण से अनुकूल नहीं होता है। यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा। हालांकि इसी नक्षत्र पर राहु गुरू के प्रभाव अलग प्रकार से अपना प्रभाव दिखाएंगे। मेष राशि दक्षिण दिशा को कारक तत्व प्रदान करती है। इस कारण दक्षिण दिशा विशेष रूप से प्रभावित रहेगी। वहीं गुरु पूर्व दिशा का कारक है। दक्षिण पूर्व दिशा के राष्ट्र व राज्यों में इसके प्रभाव दिखाई देंगे।
This post first appeared on Happiness Consultants, NLP Coaches, Meditation | H, please read the originial post: here