उत्तर प्रदेश में आपदा के समय अब जरूरी सेवाएं ठप नहीं होंगी। इसके लिए सभी विभागों के पास अपना-अपना इंतजाम होगा। इन परियोजनाओं की फंडिंग राजस्व विभाग द्वारा राज्य आपदा मोचक निधि के ‘कैपिसिटी बिल्डिंग’ और ‘राज्य आपदा न्यूनीकरण’ निधि से की जाएगा।
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मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सभी विभागाध्यक्षों को इस संबंध में निर्देश भेजते हुए कहा है कि आपदा की प्राथमिकता को ध्यान में रखकर परियोजनाएं विकसित की जाएंगी। आपदा से न केवल जनधन की हानि होती है, बल्कि इसका प्रदेश के विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुशल आपदा प्रबंधन प्रदेश के समृद्धि और विकास के लिए जरूरी है। आपदा प्रबंधन व जोखिम न्यूनीकरण क्रास कटिंग विषय है। इसलिए विभिन्न विभागों के स्तर पर आपादाओं से बचाव के प्रभावी उपाय करते हुए परियोजनाएं शुरू की जाएं।
विभागों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी सेंडाई फ्रेमवर्क फॉर एक्शन-2030 पर भारत ने हस्ताक्षर किया है। इसमें आपदा न्यूनीकरण के लिए चार प्राथमिकताएं और सात लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। विभागों को इसके आधार पर अपने यहां काम करना होगा। प्रदेश की आपदा संवेदनशीलता व जनधन की हानि को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है।
चार प्राथमिकताएं
– आपदा जोखिम को समझाना
– शासकीय व्यवस्थाओं को बेहतर करना
– आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में निवेश
– प्रभावी कार्यवाही के लिए आपदा तैयारी को बढ़ाना
सात लक्ष्य
– वर्ष 2030 तक आपदाओं से होने वाली मृत्यु दर को कम करना
– प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने वालों की संख्या में कमी लाना
– आपदा से होने वाली प्रत्यक्ष आर्थिक हानि को कम करना
– आधारभूत सेवाओं को ठप होने से बचाना और क्षति को कम करना
– आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए स्थानीय रणनीति का विकास करना
– इसको लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग व समन्वय को बढ़ावा देना
– आपदा पूर्व चेतावनी और सूचना सभी तक पहुंचाने के लिए तंत्र विकसित किया जाए
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