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New Delhi: बचपन में पहली बार सुना था कि स्कूल में कुछ बच्चे नहीं आ रहे, क्योंकि उन्हें माता निकली है। माता निकला यानी चेहरे पर फुंसियां और दाग-धब्बे हो जाना।
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इसके अलावा माता आने पर बुखार भी आ जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस बीमारी को माता क्यों कहा जाता है, जबकि इसका नाम ‘चिकन पॉक्स’ है।
असल में इससे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। विज्ञान के लिहाज से ये एक नॉर्मल बीमारी है, जिसमें कुछ दवाईयां लेकर इंसान ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ लोग घरेलू इलाज करके बीमारी को ठीक करते हैं।
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शीतला माता से जोड़कर देखा जाता है
चिकन पॉक्स को खासकर शीतला माता से जोड़ा जाता है। शीतला माता को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि उनकी पूजा करने से चेचक, फोड़े-फूंसी और घाव ठीक हो जाते हैं। दरअसल, शीतला का अर्थ होता है ठंडक। चिकन पॉक्स होने पर बॉडी में काफी जलन होती है और उस वक्त सिर्फ बॉडी को ठंडक चाहिए होती है, इसलिए कहा जाता है कि शीतला माता की पूजा करने से वो खुश हो जाती हैं, जिससे मरीज की बॉडी को ठंडक पहुंचती है।
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दरअसल, 90 के दशक तक चिकन पॉक्स के इंजेक्शन नहीं मौजूद थे। इस कारण विद्वानों ने इस बीमारी के कुछ घरेलू उपाय बताए थे, जिसे भगवान से जोड़ दिया जाता है। दरअसल, इस बीमारी के इलाज एक लिए किसी तरह की दवाई नहीं है, इसलिए इसमें सिर्फ आराम के लिए कुछ एंटी वायरल दवाइयां ही दी जाती हैं। इसके अलावा नीम की पत्तियों को घर के बाहर रखा जाता है, जिससे कीड़े-मकौड़े घर में नहीं आएं।
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