भगवान विष्णु ( Vishnupad Temple Gaya ) के अनेक धाम और मंदिर समूचे भारतवर्ष में हैं, इन्ही में से एक मंदिर हैं जो विष्णु के चरण चिन्हो की वजह आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ हैं यह मंदिर हैं मोक्ष की पावन नगरी गया में विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple Gaya). विष्णुपद मंदिर फाल्गु नदी के तट पर मौजूद हैं.
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इस मंदिर में विष्णु के चरण चिन्ह स्थापित हैं जिन्हे चारो और से चाँदी से बने बेसिन से सुरक्षित रखा गया हैं.मंदिर के पुजारी ब्रह्मकल्पित ब्राह्मण ही होते हैं.मंदिर के निर्माण का श्रेय इंदौर की रानी अहिल्या बायीं होल्कर ने किया था . यहाँ ब्रहमजुनि पहाड़ी स्थित हैं जिस पर जाने के लिए 1000 सीढ़ियां हैं. यह पहाड़ी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं.
History Of Vishnu Temple Gaya
विष्णुपद मंदिर( History of Vishnu pad Temple Gaya ) के इतिहास में यह इतिहास सामने आता हैं.कि गयासुर नामक राक्षस ने भगवान कि कठोर तपस्या कि और यह वरदान मांगा कि जो भी उसे देखे उसे मोक्ष मिल जाये .उसके इस वरदान से अधर्मी लोग भी मोक्ष प्राप्त करने लगे , जो पूर्णरूपेण अनुचित कार्य था. मोक्ष प्राप्ति के लिए व्यक्ति का धर्मी होना अत्यंत आवश्यक हैं.भगवान विष्णु ने गयासुर के ऊपर अपना दाया पैर रखा और उसे पाताल कि तरफ धकेल दिया .
इस घटना में श्री हरि विष्णु के चरण चिन्ह सतह पर ही रह गए .और वही चरण चिन्ह के निशान आज इस मंदिर में हैं . गयासुर ने भगवान विष्णु से आराधना कि मुझे भोजन कौन देगा , भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) ने उसे वरदान दिया कि प्रतिदिन तुम्हे भोजन मिलेगा , जो कोई भी तुम्हे भोजन प्रदान करेगा उसकी आत्मा सीधे स्वर्ग को जायेगी. जन श्रुति ऐसी भी हैं कि गयासुर को भोजन देना अनिवार्य हैं, वरना वह धरती से बाहर आ जायेगा.
वास्तुकला- Vastukala
भगवान विष्णु के मंदिर विष्णुपद मंदिर कि वास्तुकला(Vastukala of Vishnupad temple) बहुत ही आकर्षक और बेहतरीन नक्काशी का बेजोड़ नमूना हैं. मंदिर कि वास्तुकला शिकारा हैं.मंदिर के निर्माण में जो कौशलता दिखी हैं उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि यह मंदिर कि संरचना विष्णु के चरण चिन्ह के चारो और बनायीं गयी हैं .मंदिर में स्थित एक वट वृक्ष हैं . जिसे अक्षय वृक्ष कहा जाता हैं, इसके नीचे मृतक व्यक्ति का तर्पण पिंडदान किया जाता हैं. मंदिर में विष्णु का पदचिन्ह 40 cm लम्बा हैं . उनके पदचिन्ह में प्रतीक के रूप में शंख , चक्र ,गदा के निशान हैं.
Gaya Vishnupad Darshan
गया (Gaya Vishnupad Darshan) को मोक्ष प्रदान करने वाला तीर्थ माना गया हैं.यहाँ साक्षात् श्री हरि विष्णु के चरण चिन्ह के दर्शन पाकर मानव मोक्ष के द्वार तक पहुंच जाता हैं. विष्णु यहाँ पितृ देव के रूप में निवास करते हैं, विष्णु जी के चरण चिन्ह का दर्शन यहाँ आने वाले हर भक्त के नेत्रों को दैवीय आनंद प्रदान करता हैं. गया तीर्थ में पिंडदान का ही महत्व हैं. यहाँ से 8 किलोमीटर दूर प्रेतशिला में पिंडदान की बहुत महत्ता हैं.ऐसी मान्यता हैं कि प्रेतशिला पर्वत पर पिंडदान करने से जिन लोगो की अकाल मृत्यु हुयी हो , उनका पिंडदान करने से उन्हें पिंड सीधे पहुँचता हैं. गया में इसलिए पिंडदान और तर्पण का बहुत महत्व हैं.
Vishnupad Temple Gaya Timings
विष्णु पद मंदिर गया में स्थित हैं. विष्णु पद मंदिर ही वह स्थान हैं जहाँ भगवान विष्णु ने राक्षस गयासुर को जमीन के अंदर धकेल दिया और विष्णु के चरण चिन्ह यहाँ उनके प्रतीक के रूप में स्थित हैं. मंदिर का निर्माण सरंचना इन्ही चरण चिन्ह के चारो और की गयी हैं. मंदिर में दर्शन करने का समय प्रात: 6:30 से सायं 7:30 तक का हैं. मंदिर में दर्शन करने का और भ्रमण करने का समय 2 घंटे का ही हैं.
Vishnupad Temple Pandharpur
पंढरपुर में स्थित विष्णुपद मंदिर (Vishnupad temple Pandharpur) पुंडलिक मंदिर से एक किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित हैं, पंढरपुर में स्थित विष्णु पद मंदिर चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित हैं. 16 स्तम्भ वाला यह मंदिर अपनी आकर्षण के लिए प्रसिद्द हैं. स्तम्भों पर भगवान कृष्ण और विष्णु के चित्र को उकेरा गया हैं.यहाँ अन्य आकर्षण का केंद्र मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की विभिन्न मुद्राओ में स्थित मूर्तियाँ हैं,
इसके अलावा यहाँ भगवान कृष्ण और गाय के पदचिन्ह मौजूद हैं. विष्णु पद मंदिर नदी के केंद्र में स्थित हैं.मार्गश्रिषा माह में यहाँ एक बड़ा उत्सव आयोजित किया जाता हैं ,मार्गश्रिषा माह के प्रथम दिन भगवान विट्ठल की चरणपादुकाओं को यहाँ विष्णुपद मंदिर में लाया जाता हैं.और इसी माह के अंतिम दिन भगवान विट्ठल के रथ को यहाँ लाया जाता हैं.इसके अलावा विष्णु पद मंदिर में पूर्वजो को तर्पण और श्राद्ध देने की भी परंपरा हैं.
गया में स्थित विष्णुपद मंदिर (Vishnupad temple Gaya) मोक्ष का केंद्र और तर्पण पिंडदान के केंद्र के रूप में इसकी मान्यता सर्वाधिक हैं. भगवान् विष्णु गया में मोक्षदाता के रूप में विख्यात हैं. गया में जिस व्यक्ति का श्राद्ध और तर्पण होता है, वह बंधनमुक्त होकर स्वर्ग को गमन करता हैं.
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