मैं प्यार नहीं करता, तो ये कोई गुनाह तो नहीं,मैं नफ़रत भी तो नहीं करता,दरसल वो सब जो कहते हैं, के, वो प्यार करते हैं,एक छलावे में रहते हैं, मैं नहीं रहता,वैसे सच कहूँ तो,प्यार, गुनाह, नफ़रत,छलावा और "सच",सब एक हसीन झूठ है।
मैं प्यार नहीं करता, तो ये कोई गुनाह तो नहीं,मैं नफ़रत भी तो नहीं करता,दरसल वो सब जो कहते हैं, के, वो प्यार करते हैं,एक छलावे में रहते हैं, मैं नहीं रहता,वैसे सच कहूँ तो,प्यार, गुनाह, नफ़रत,छलावा और "सच",सब एक हसीन झूठ है।
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