Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

कलिहारी के आयुर्वेदिक गुण,प्रयोग,उपचार


स्थान:
 यह भारत के प्राय ऊंचे ,उष्ण प्रदेशों मे बंगाल दक्षिण भारत तथा सीलोन मे वरम मे अधिक होता है । म्लाया,चीन,कोचीन तथा अफ्रीका के गरम प्रदेशों में भी विशेष पाया जाता है। औषिधि कार्य मे प्राय इसकी जड़ का उपयोग होता है ।
जड़ के छोटे-छोटे पतले टुकड़े कर 12 या 24 घंटे तक गोमूत्र में डालकर फिर धूप में शुष्क कर लें । अथवा उकत टुकड़ो को नमक मिली हुयी शाश में रात्री के समय भिगो कर दिन मे सूखा लें । इस प्रकार तीन बार करने से वह शुद्ध हो जाता है । इसी शुद्ध कलिहारी का प्रयोग करे ।कलिहारी की गणना उपविष मे की गयी है । इसे बिना शोधन के नहीं खाना चाहिए ।
कलिहारी के नाम-
कलिहारी को वातस्नाभ,लांगली,गर्भघातिनी,विशल्य,अनन्ता,
केविका ,हलिनी ,इन्द्र , शूकपुष्पी ,अग्निमुखी आदि नाम से जाना जाता है|इसे मीठा तेलिया भी कहते हैं|
गुण-
कलिहारी कड़वी,कसैली,चरपरी,तीखी और गरम प्रकृति की होती है|इससे कब्ज दूर होता है|यह कुष्ठ,सूजन,अर्श,बवासीर को ठीक करती है इसका अधिक मात्रा मे सेवन गर्भ गिराने वाला होता है|
विभिन्न रोगों मे उपयोग-
गिल्टी,ट्यूमर-
कलिहारी की गांठ का लेप करने से ट्यूमर ठीक होते हैं|
कील या काँटा चुभना-
लोहे की कील,कांटा,पिन या कोई अन्य वस्ती चुभ गई ही तो कलिहारी को पीस कर लेप करना चाहिए|ऐसा करने से दर्द भी दूर होता है और कांटा ,कील पैर मे अंदर टूटकर रह गया हो तो वह भी बाहर आ जाता है|
*गाय , बैल आदि के दस्त मे रुकावट हो तो इसके पत्ते कूट कर आटा या दाना पानी मे मिला खिलाना है।
*इसकी जड़ ,धतूरा फल ,स्वरस ओर लहसुन का रस तथा सरसो तेल आधा सेर लेकर यथाविधि तेल सिद्धि कर मालिश करने से वातपीड़ा तथा शोथयुकत गठिया पर शीघ्र लाभ मिलता है ।
भगन्दर रोग का उपचार
कलिहारी की जड़, काले धतूरे की जड़ पानी में पीसकर भगंदर के फोड़े पर लेप करने से भगंदर रोग दस दिन में ठीक हो जाता है ।
*कलिहार की जड़ को पीसकर मधु और काला नमक (पिसा हुआ), इन तीनों का लेप तैयार करके योनि पर लगाने से रुका हुआ मासिक धर्म फिर से प्रारंभ हो जाता है ।
*कलिहारी की जड़ सिरसा के बीज कूट कर मदार का दूध, पीपर, सेंधा नमक को गो मूत्र में पीस कर बवासीर के मस्सों पर दस दिन तक लेप लगाने से रोग ठीक हो जाता है ।
*कलिहारी की जड़ पानी में पीसकर नस्य (नसवार) देने से सांप का जहर समाप्त हो जाता है ।
*कलिहारी की जड़ धतूरे के पंचाड –अफीम, असगंध तमाख जायफल और सोंठ सबको बराबर मात्रा में लेकर, पानी में पीसकर सबसे चारगुना तिल का तेल और तेल से चार गुना पानी डालकर हलकी आंच पर पकाएं । जब पानी पूरी तरह से जल जाये तो उसे नीचे उतारकर छान लें, अब उस तेल को जोड़ों के दर्द पर लगाकर धूप में बैठकर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
*अगर दाँत मे कीड़े लग गए हो और दर्द बना रहता हो तो कलिहारी मूल को पीसकर हाथ के अंगूठे के नाखून पर चुपड़ देने से दांत दर्द ठीक हो जाता है।


This post first appeared on Bimari Aur Nuskhe, please read the originial post: here

Share the post

कलिहारी के आयुर्वेदिक गुण,प्रयोग,उपचार

×

Subscribe to Bimari Aur Nuskhe

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×