Election Status | Quotes | Shayari | Poems in Hindi 2020
Election Status in Hindi-1
शर्त
कल मेरा पडोसी यूं कहने लगाभाई साहब अब के साल देश में चुनाव है
लगानी है शर्त तो लगा लो लाख रुपये की
अपना तो फिर से कांग्रेस पर ही दाव है
हमने कहा :- चाहे आ जाए कोई भी मगर
डुबनी तो हर बार जनता की नाव है
दिमाग को जोर देकर मुझे तुम बताओ जरा
पिछले पैंसठ सालों में जनता को मिली कब छांव है
चलते है झुमकर, मस्त हाथी से मचलकर
ये भी नहीं देखते के जनता की जान नीचे ऊपर इनका पांव है
जख्मी हालत में छोड़कर आगे निकल जाते किसी ओर को कुचलने
ये भी पूछने नहीं आते वापस, के कहाँ कहाँ चोट पहुँची कहाँ घाव है
डरते हैं अब तो रात को सोते सोते भी
हर वक्त जैसे छत्त पर काला कऊआ करता रहता कांव कांव है
उखाड़ फेंकने की इनको हिम्मत नहीं रही किसी में
हमारे खुद के फैसलो में ही इतना बिखराव है
गरीब बेबस लाचारों मजबुरों की वोट खरीदी जाती है
और साथ में करवा देते सारे इलाकों में शराब का छिड़काव है
कल तक जो होते थे चमचे चपड़ासी किसी के
आज सुरत उनकी भी बदल गई कोई बना राजा, कोई अब राव है
जनता के नौकर ही देश में V.I.P कहलाते हैं
मासूम जनता को यहां मिलता कहां भाव है
करता जब कोई अपने अधिकारों की बात यहां
बेचैनी इनको हो जाती, आ जाता इनको ताव है
जरूरी नहीं शर्त लगाने की किसी से अ दोस्त
पहले ही किसी हारे हुए जुआरी सा होता हमारा हाव है
पहले ही जिन्दगी लगी है सारे देश की सटटे पर
अब रूह भी दाव पर लगाने का, हमें तो नहीं चाव है
नीरज रतन बंसल 'पत्थर'
Election Status in Hindi-2
राजनीति
हर रोज लोगो की भावनाओ का व्यापार होता है सब जानते है कितना खाया जाता कितना सुधार होता है
जी रहे है किसी कैदी की सी जिंदगी हम सब लोग
जी भरकर हमारी आंखो के आगे भ्रष्टाचार होता है
चंद हाथो में बिका हमारा दरबार होता है
एक भी बिल नही उसका असरदार होता है
नही होती जनता के हित की कोई भी बात उसमें
सिर्फ अमीर उधोगपति और जयादा साहुकार होता है
हर बार सिर्फ आम आदमी ही उनका शिकार होता है
किसी तानाशाह सा हमेशा उनका व्यवहार होता है
मनमाफिक तरीके से करते है प्रजा का शोषण
हर रोज उनके घोटालो से भरा अखबार होता है
लूटकर सारे देश को कोई भी ना बाद में उसका जिम्मेदार होता है
चुनाव जीतते ही जिंदगी का हर सपना नेता का साकार होता है
वो मलता रहता है अपने हांथो को,सिर्फ बोलकररह जाता है
जो करता है जनता के हित की बात,जो सही में जनता का वफादार होता है
हर रोज असमत लूटी जाती,
हर रोज कोई ना कोई बलात्कार होता है
ईमानदार भी गददी पर बैठतें ही देश का गुनहगार होता है
लड़वा देते है अपने स्वार्थ की खातिर भाई को भाई से
जाति पाति आरक्षण का मुददा इनका प्रमुख हथियार होता है
बेबस जनता को मजबूरी में हर एक नियम इनका स्वीकार होता है
चिखना चिल्लाना, धरने देना, आंदोलन करना सब बेकार होता है
किसको चुने अगली बार किसको दे अपना बहुमूल्य मत
सबके सब है एक जैसे, फिर से सामने वंही उलझा हुआ एक विचार होता है
नीरज रतन बंसल 'पत्थर'
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