एक व्यंग्य : आँख दिखाना --आज उन्होने फिर आँख दिखाई और आँख के डा0 ने अपनी व्यथा सुनाई--" पाठक जी !यहाँ जो मरीज़ आता है ’आँख दिखाता है " - फीस माँगने पर ’आँख दिखाता है ’। क्या मुसीबत है ---। --" यह समस्या मात्र आप की नहीं ,राजनीति में भी है डा0 साहब " मैने ढाँढस बँधाते हुए कहा-"जब कोई अपना गठबन्धन छोड़ कर सत्तारूढ़ ’गठ बन्धन ’में आता है तो ’आँखें झुकाते’--नज़रे मिलाते हुए आता
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