जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति का साथ हमारे अनुकूल ही हो। इच्छाओं के वश में आकर प्रतिकूल को अनुकूल बनाते-बनाते हमारी सारी ऊर्जा उसी में व्यय हो जाती है। तो फिर क्यों न हम अनुकूल वातावरण खोजें, ताकि हम अपनी मंजिल की ओर बढ़ सकें तेजी से। डाइनिंग टेबल पर रखा था रेडियो। रेडियो पर लग रहा था एफएम चैनल। बज रहा था कोई अच्छा सा गीत। गीत के साथ जुड़ा अच्छा सा संगीत। इसी टेबल पर पड़ी थी कोई कटोरी। पास में रखा एक चम्मच। रेडियो पर बजते संगीत के साथ एकदम से कटोरी व चम्मच भी जोर-जोर से
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