New Delhi: चीन ने पानी के नीचे अपनी निगरानी का जाल बिछाया है, जिससे उसकी नौसेना को सही ढंग से जहाज का पता लगाने में मदद मिलेगी। इस तरह चीन हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में अपनी पकड़ बनाए रख पाएगा।
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जानकारों का मानना है कि विवादित दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन को प्रौद्योगिकी से ‘गुप्त सूचना’ मिलने में मदद मिलेगी। जी हां- चीन ने लक्ष्यों पर बारीक नजर रखने के साथ अपनी पनडुब्बियों की मदद के लिए पानी के भीतर एक नया निगरानी तंत्र विकसित किया है। इसके जरिए हिंद महासागर सहित समुद्री सिल्क मार्ग पर राष्ट्रीय हितों की हिफाजत की जाएगी।
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बता दें कि हिंद महासागर व दक्षिण चीन सागर में इस समय भारत का ‘दबदबा’ है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट के मुताबिक, इस तंत्र की शुरुआत पहले ही हो चुकी है। इसके जरिए पानी के भीतर की स्थिति खासकर पानी के तापमान और खारापन के बारे में सूचनाएं इकट्ठा की जाती हैं। इन सूचनाओं का इस्तेमाल नौसेना लक्षित पोत का सटीक पता लगाने के साथ ही नौवहन प्रणाली तथा स्थिति को और बेहतर करने में कर सकती है।
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इस तंत्र से पानी के भीतर की सूचना एकत्र की जाती है, जिसमें खासतौर से पानी का तापमान और लवणता संबंधी सूचना जिसका उपयोग करके नौसेना को जहाज के बारे में सही जानकारी मिल सकती है।
चीन दुनिया के सागरों में अपना दबदबा बना रहा है और दुनिया के व्यस्ततम जलमार्ग का दावा ठोकते हुए विदेशों में नौसेना का अड्डा बना रहा है खबर के मुताबिक, समुद्र विज्ञान संस्थान ने नवंबर में बताया था कि कई साल तक निर्माण और परीक्षण के बाद ‘अच्छे नतीजे’ देने वाली नई निगरानी प्रणाली अब नौसेना के हाथ में है।
इसमें कहा गया है कि इस प्रणाली के बावजूद चीन को वास्तविक महाशक्ति से मुकाबला करने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। चीन की यह प्रणाली प्लेटफार्म के नेटवर्क, पोत, उपग्रह और पानी के भीतर स्थित ग्लाइडर्स पर आधारित है और इसके जरिए दक्षिण चीन सागर और पश्चिम प्रशांत और हिंद महसागर से आंकड़े जुटाए जाते हैं।
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