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New Delhi: देश को जल्द हवाई हमलों से सुरक्षा कवच मिल जा रहा है। यह तकनीक और कोई नहीं अमेरिका उपलब्ध करवाने वाला है। सरकारी सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार जल्द नैशनल एडवांस सर्फेस टू एयर मिसाइल (NASAMS या नास्मस) को सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है।
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दरअसल, चीन और पाकिस्तान से बिगड़ते रिश्तों को देखते हुए राजधानी दिल्ली को एक बेहतर और मजबूत एयर डिफेंस की जरूरत है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दूसरे महत्वपूर्ण लोगों को क्रूज मिसाइल, ड्रोन और एयरक्राफ्ट हमलों से बचाने लिए इस डिफेंस सिस्टम को खरीदने पर बातचीत चल रही है। हाल के दिनों में आतंकवादी संगठनों के पास भी हवाई हमले करने की ताकत पर बढ़ी है और ऐसे में दिल्ली को इन हमलों से सुरक्षित करने की जरूरत है। USA की कंपनी ने एयर फोर्स और दूसरी सरकारी एजेंसियों को इस सिस्टम की प्रेजेंटेशन दिखाई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार उनके इस प्रपोजल पर विचार हो रहा है।
क्यों है नास्मस शानदार : अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी 2005 से नास्मस के भरोसे है। वहीं वर्तमान में दिल्ली और दूसरे महत्वपूर्ण जगहों की सुरक्षा के लिए एक रशियन मिसाइल तकनीक की मदद ली जा रही है। नास्मस को एक स्टेट ऑफ द आर्ट डिफेंस सिस्टम समझा जाता है। यह यूजर्स को तुरंत किसी भी हवाई हमले से सुरक्षा के लिए तैयार करता है। यह तुरंत दुश्मनों की एयरक्राफ्ट, ड्रोन और मिसाइल की पहचान कर उसको खत्म कर देता है। सिर्फ USA नहीं बल्कि Spain, Netherland, Norway और Finland समेत सात देशों की सुरक्षा में भी नास्मस का योगदान है।
यह प्रोजेक्ट वर्तमान प्रोजेक्ट स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड प्रोजेक्ट के साथ चलेगा। स्वदेशी बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस शील्ड प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली और मुंबई को बलिस्टिक मिसाइल से सुरक्षा की तैयारी हो रही है। इस DRDO प्रोजेक्ट के तहत लंबी दूरी से आने वाले मिसाइलों (जैसे 2000 किमी और उससे ज्यादा या 30 से 120 किमी की ऊंचाई से आनी वाली मिसाइलें) शामिल हैं। इसमें ट्विन लेयर सिस्टम अपने अंतिम चरण में है। पिछले कुछ सालों में भारत ने एयर डिफेंस को मजबूत करने के लिए काफी कदम उठा रहा है।
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