शहर ख़ाली है किसे ईद मुबारक कहिए
चल दिए छोड़ के मक्का भी मदीना वाले- अख़्तर उस्मान
जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती
तो हम सियाह-नसीबों की ईद हो जाती- अनवर शऊर
ईद का दिन है गले मिल लीजे...
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