आया तेरा ख़याल कि आये हसीन ख़्वाब
दिल में न जाने कितने समाये हसीन ख़्वाब
उस हादसे में यार सभी कुछ तो लुट गया
मुश्किल से जैसे तैसे बचाये हसीन ख़्वाब
कैसे कहें कि उसने कभी कुछ नहीं दिया
आँखों को किसने बरसों दिखाये हसीन ख़्वाब
दुखती रगों को छेड़ रही थीं हक़ीक़तें
अच्छा लगा जो तुमने सुनाये हसीन ख़्वाब
साया है कुल जहान पे दहशत का इन दिनों
कोई कहाँ से ढूंढ़ के लाये हसीन ख़्वाब
चूमे क़दम तुम्हारे हरिक दिन नई ख़ुशी
हर शब तुम्हारे वास्ते लाये हसीन ख्वाब
उनसे ‘अकेला’ कैसे कहूँ अपने दिल की बात
डरता हूँ मैं कि टूट न जाये हसीन ख़्वाब - विरेन्द्र खरे अकेला
Roman
aya tera khyal ki aaye haseen khwab
dil me n jane kitne samaye haseen khwab
us hadse me yaar sabhi kuch to lut gaya
mushkil se jaise taise bachaye haseen khwab
kaise kahe ki usne kabhi kuch nahi diya
aankho ko kisne barso dikhaye haseen khwab
dukhti rago ko chhed rahi thi haqikate
achcha laga jo tumne sunaye haseen khwab
saya hai kul jahaan pe dahshat ka in dino
koi kaha se dhundh ke laaye haseen khwab
chume kadam tumhare harik din nai khushi
har shab tumhare waste laye haseen khwab
unse 'Akela' kaise kahu apne dil ki baat
darta hu mai ki tut n jaye haseen khwab- Virendra Khare Akela
दिल में न जाने कितने समाये हसीन ख़्वाब
उस हादसे में यार सभी कुछ तो लुट गया
मुश्किल से जैसे तैसे बचाये हसीन ख़्वाब
कैसे कहें कि उसने कभी कुछ नहीं दिया
आँखों को किसने बरसों दिखाये हसीन ख़्वाब
दुखती रगों को छेड़ रही थीं हक़ीक़तें
अच्छा लगा जो तुमने सुनाये हसीन ख़्वाब
साया है कुल जहान पे दहशत का इन दिनों
कोई कहाँ से ढूंढ़ के लाये हसीन ख़्वाब
चूमे क़दम तुम्हारे हरिक दिन नई ख़ुशी
हर शब तुम्हारे वास्ते लाये हसीन ख्वाब
उनसे ‘अकेला’ कैसे कहूँ अपने दिल की बात
डरता हूँ मैं कि टूट न जाये हसीन ख़्वाब - विरेन्द्र खरे अकेला
Roman
aya tera khyal ki aaye haseen khwab
dil me n jane kitne samaye haseen khwab
us hadse me yaar sabhi kuch to lut gaya
mushkil se jaise taise bachaye haseen khwab
kaise kahe ki usne kabhi kuch nahi diya
aankho ko kisne barso dikhaye haseen khwab
dukhti rago ko chhed rahi thi haqikate
achcha laga jo tumne sunaye haseen khwab
saya hai kul jahaan pe dahshat ka in dino
koi kaha se dhundh ke laaye haseen khwab
chume kadam tumhare harik din nai khushi
har shab tumhare waste laye haseen khwab
unse 'Akela' kaise kahu apne dil ki baat
darta hu mai ki tut n jaye haseen khwab- Virendra Khare Akela
परिचय
विरेन्द्र खरे का जन्म 18 अगस्त 1968 को छतरपुर (म.प्र.) के किशनगढ़ ग्राम में हुआ आपके पिता स्व० श्री पुरूषोत्तम दास खरे एवं माता श्रीमती कमला देवी खरे है | आपने अपनी शिक्षा एम०ए० (इतिहास), बी०एड० में पूरी की | आप प्रमुख रूप से ग़ज़ल, गीत, कविता, व्यंग्य-लेख, कहानी, समीक्षा आलेख विधाओ में लिखते है | आप अपनी रचनाओ में उपनाम "अकेला" उपयोग करते है |
Virendra Khare Akela
आपकी तीन किताबे प्रकाशित हो चुकी है जिनमे
1. शेष बची चौथाई रात 1999 (ग़ज़ल संग्रह),
2. सुबह की दस्तक 2006 (ग़ज़ल-गीत-कविता),
3. अंगारों पर शबनम 2012(ग़ज़ल संग्रह) शामिल है |
आपकी कई रचनाये वागर्थ, कथादेश, वसुधा, शुक्रवार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है एवं लगभग 22 वर्षों से आकाशवाणी छतरपुर से रचनाओं का निरंतर प्रसारण होता आ रहा है | आपकी कई रचनाये आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु भी ली गयी है |
आपके ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण दिया गया | इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर [म.प्र.] द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका', अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति ‘सुबह की दस्तक’ पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान मिला |
वर्तमान में आप अध्यापन कार्य कर रहे है | आपसे निम्न पते व नंबर पर संपर्क किया जा सकता है :
सम्पर्क : छत्रसाल नगर के पीछे, पन्ना रोड, छतरपुर (म.प्र.)पिन-471001
मोबाइल फ़ोन नम्बर-09981585601
[email protected]