नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने शुक्रवार को बजट पेश करते हुए, अपनी आर्थिक स्थिति मतबूत करने के लिए 650 करोड़ रुपए जुटाने के लिए करों में वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने संपत्तिकर दरों को तर्कसंगत करने और अन्य व्यवसाय, आजीविका और नियोजन करों से सौ-सौ करोड़ व सुधार कर से 450 करोड़ रपए जुटाने का प्रस्ताव पेश किया है। अतिरिक्त आयुक्त डॉ. बीएम मिश्रा के मुताबिक निगम की आय बढ़ाने के लिए विज्ञापन नीति पर भी जोर दिया जा रहा है। ओला, उबर टैक्सी सेवाओं और डीटीसी से विज्ञापन नीति को लेकर प्रयास जारी है। स्थायी समिति व सदन से यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो लोगों पर नए कर का बोझ अगले वित्त वर्ष से पड़ेगा। अगर इन करों की वसूली को मंजूरी मिल जाती है तो वर्ष 2019-20 के आखिर तक निगम की स्थिति काफी हद तक मजबूत हो जाएगी। निगम मुख्यालय में बजट पेश करते हुए निगमायुक्त मधुप व्यास ने खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए निगम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुधार, आजीविका और प्रोफेशनल टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा उन्होंने आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों पर संपत्तिकर की दरों को एक समान कर दिया है। आवासीय संपत्तियों से 15 फीसद व व्यावसायिक संपत्तियों से 20 प्रतिशत तक संपत्तिकर लेने का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव से ए से ई की संपत्तियों के वर्तमान कर दरों में एक और एफ, जी व एच श्रेणी में दो फीसद संपत्तिकर बढ़ जाएगा। ए, बी की दर 12 से बढ़कर 13, सी, डी, ई की दर 11 से बढ़कर 12 व एफ, जी, एच श्रेणी की दर 7 से बढ़कर नौ प्रस्तावित की गई है। विकास व ढांचागत सुधार और यातायात सुविधाओं के साथ-साथ कॉलोनियों के नियमितीकरण की वजह से हुए सुधार के लिए 15 प्रतिशत की दर से ज्यादा संपत्तिकर देना होगा। निगम इससे लगभग 450 करोड़ रुपए वार्षिक आय अर्जित करेगा, जिसका सीधा भार पॉश कॉलोनियों में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा। प्रोफेशनल टैक्स को लेकर आयुक्त मधुप व्यास की ओर से दिए गए बजट प्रस्ताव के अनुसार ढाई से पांच लाख रुपए तक की आय वालों को 1200 रुपए प्रतिवर्ष देना होगा। पांच से 10 लाख रपए की आय वालों को 2400 रुपए सालाना व 10 लाख से ज्यादा आय वालों को 2500 रुपए सालाना प्रोफेशनल टैक्स के तौर पर देने होंगे, जिसमें हर वर्ष आय अर्जित करने वाले वेतनभोगियों, परामर्शदाता, बीमा एजेंट व व्यापारी उद्यमी आदि लोग शामिल होंगे। इससे सौ करोड़ रुपए की सालाना आमदनी की उम्मीद है। बजट प्रस्तावों पर र्चचा के पश्चात संशोधन और खारिज होने की भी संभावना है, क्योंकि निगमायुक्त की ओर से पेश किए गए बजट प्रस्ताव पर स्थायी समिति व सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से र्चचा होगी।
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