Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

कॉर्पोरेट गुरु स्वामी सुखबोधानन्द | Swami Sukhabodhananda

हमारे देश में अधिकतर स्वामी अध्यात्म के क्षेत्र में ही कार्य करते है। वो लोगो को धर्म और अध्यात्म की मदत से जीवन को बेहतर बनाने में सामान्य लोगो की सहायता करते है। लेकिन कुछ स्वामी ऐसे भी होते है जो अध्यात्म पर सिख तो देते ही है लेकिन वो कॉर्पोरेट जगत के बारे में बहुत कुछ जानते है और इस जगत के लोगो को मार्गदर्शन भी करते है। इन कुछ अध्यात्म गुरु में कर्नाटक के स्वामी सुखबोधानन्द – Swami Sukhabodhananda भी आते है। स्वामी सुखबोधानन्द प्रसन्न ट्रस्ट में संस्थापक और अध्यक्ष है। स्वामीजी केवल अध्यात्मिक गुरु ही नही बल्की कॉर्पोरेट गुरु भी है।

कॉर्पोरेट गुरु स्वामी सुखबोधानन्द – Swami Sukhabodhananda

स्वामी हमेशा अपने ज्ञान की मदत से लोगो के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करते है। उन्होंने लोगो के जीवन में बदलाव लाने के लिए बहुत सारी क़िताबे भी लिखी है। उन्होंने इंलिश भाषा में भी कई सारी क़िताबे लिखी है। इनके बताये गए बातो से कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले लोगो को काफी मदत हुई।

स्वामी सुखबोधानन्द बायोग्राफी – Swami Sukhabodhananda Biography

स्वामी सुखबोधानन्द का जन्म 25 अप्रैल 1955 को कन्नड़ परिवार में कर्नाटक के बंगलौर शहर में हुआ। सी। एम। एस। मूर्ति उनके पिता और रुक्मिणी मूर्ति उनकी माता का नाम है। उनके जन्म का नाम द्वारकानाथ है। उन्होंने बंगलौर के बाल्डविन बॉयज हाई स्कूल और बाद में सैंट जोसफ कॉलेज में पढाई पूरी की।

जब स्वामी सुखबोधानन्द 20 साल के हो गए थे तो अध्यात्म में उनकी रुची बढ़ने लगी थी इसीलिए स्वामी सुखबोधानन्द स्वामी चिन्मयानन्द और स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य बन गए थे। स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य बनने के लिए उन्हें मुंबई के संदीपनी साधनालय में आना पड़ा था।

संदीपनी में शिक्षा ग्रहण करने के समय उन्हें ब्रह्मचारी नित्य चैतन्य के नाम से बुलाया जाता था। सन 1984 में शिवरात्रि के अवसर उन्होंने सन्यास लिया और तभीसे सभी उन्हे स्वामी सुखबोधानन्द नाम से बुलाने लगे।

स्वामी ‘प्रसन्न ट्रस्ट’ के संस्थापक और अध्यक्ष है और साथ ही वह बंगलौर के प्रसन फाउंडेशन में भी सक्रिय है। यह फाउंडेशन वैज्ञानिक तरीके से ध्यान लगाने पर कार्य करता है। यह ट्रस्ट अनाथ बच्चो के देखभाल के लिए “प्रसन्न ज्योति” संस्था चलाता है और ध्यान धारणा के कार्य के लिए “निर्गुण मंदिर” नाम की संस्था भी चलाता है।

स्वामी सुखबोधानन्द एक अच्छे लेखक भी है उन्होंने बहुत सारी भाषाओ मे 110 से भी अधिक क़िताबे लिखी है और अबतक उनकी करोड़ो क़िताबे बिक चुकी है। उनकी किताब पढने के बाद में जीवन जीने का नया मार्ग मिल जाता है। उनकी क़िताबे हमें समझाती है की जिंदगी में अगर एक रास्ता बंद हो जाए बाकी के सारे रास्ते खुल जाते है। हमारा जीवन भी इस खुले रास्ते की तरह है।

उनके अध्यात्म पर आधारित जितने भी शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम होते है उन्हें सबसे अच्छा माना गया है और उनके इसी शिक्षा का लाभ सभी को हुआ है। उनकी इसी शिक्षा का फायदा कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले लोगो को तो सबसे अधिक हुआ है, जैसे की बैंकिंग, फाइनेंस, इंडस्ट्री, सशस्त्र सेना, पुलिस और इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नस जैसे जानी मानी संस्था को लाभ मिल चूका है।

इंडस्ट्रियल कंपनिया उन्हें वर्कशॉप आयोजन करने के लिए खुद होकर बुलाती है।

स्वामीजी दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के लिए मनोवैज्ञानिक कोच के रूप में भी काम करते है।

‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने भी स्वामी सुखबोधानन्द को सर्वश्रेष्ट स्पीकर की सूची में सबसे ऊपर का स्थान दिया था।

‘द वीक’ मैगज़ीन ने भी उनके अध्यात्म के ज्ञान से प्रभावित होकर उन्हें शीर्ष पाच व्यक्तियों में स्थान दिया था।

स्वामीजी सुखबोधानंद ने ‘ओह, माइंड रिलैक्स प्लीज!’ और ‘ओह, लाइफ रिलैक्स प्लीज’ जैसी इंग्लिश क़िताबे भी लिखी है और लोगो ने इन किताबो को सबसे अधिक पसंदी दर्शायी है। इन किताबो ने कई सारे लोगो के जिंदगी को बेहतर बनाया है। इस किताब से बेहद प्रेरित होकर कारगिल के हीरो वी पी मलिक ने इस किताब को न्यू यॉर्क के गवर्नर को भी दिखाया था। उन्हें भी इस किताब के काफी मदत मिली और वो अपने काम के दबाव को कम करने में सफल भी रहे।

स्वामीजी सुखबोधानन्द ने मनसे रिलैक्स प्लीज नाम की किताब तमिल, कन्नड़ और तेलुगु भाषा में प्रकाशित की है। इस किताब में आज तक सबसे अधिक कमाई की है। इसके विषय से प्रभावित होकर इसे स्कूल और कॉलेज की किताबो में भी शामिल किया गया है। बहुत सारे लोगो का मानना है उनकी किताबो ने तमिल साहित्य में बड़ी क्रांति लायी है।

इन्हें स्विट्ज़रलैंड के दावोस में हुए वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में भी अतिथि के रूप में बुलाया गया था अध्यात्मिक गुरु की यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड मिल्लेनियम परिषद् में भी खास मेहमान के रूप में भी बुलाया गया था।

स्वामी सुखबोधानन्द केवल दुसरे ऐसे भारतीय व्यकित है जिन्हें न्यू यॉर्क के मन्हाटन के लोटस मिलियनेयर इंटेलेक्चुअल क्लब में सम्मानित किया गया था।
इनका प्रसन्न ट्रस्ट अनाथ लडकियों के लिए आश्रम चलाता है, जो लोग बहुत गरीब है उनके लिए कृत्रिम अंग मुफ्त देता है, गरीब छात्रोंको को छात्रवृत्ति, गरीबो के लिए रोज खाना देता और समय समय पर रक्तदान शिविर का भी आयोजन करता है।

स्वामी सुखबोधानन्द को मिले हुए पुरस्कार – Swami Sukhabodhananda Awards

स्वामी सुखबोधानन्द केवल दुसरे ऐसे भारतीय व्यकित है जिन्हें न्यू यॉर्क के मन्हाटन के लोटस मिलियनेयर इंटेलेक्चुअल क्लब में सम्मानित किया गया था।

इनका प्रसन्न ट्रस्ट अनाथ लडकियों के लिए आश्रम चलाता है, जो लोग बहुत गरीब है उनके लिए कृत्रिम अंग मुफ्त देता है, गरीब छात्रोंको को छात्रवृत्ति, गरीबो के लिए रोज खाना देता और समय समय पर रक्तदान शिविर का भी आयोजन करता है।

स्वामीजी को कर्नाटक का सर्वश्रेष्ट सामाजिक सेवा पुरस्कार भी मिल चूका है। यह पुरस्कार एस्सेल समूह और जी नेटवर्क के द्वारा दिया गया था।

उन्होंने पूरी लगन से समाज की सेवा की है उसके लिए उन्हें रोटरी सेवा रत्न से भी नवाजा गया है।

लोगो के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उन्हें “पर्सनल एक्सीलेंस अवार्ड”, रोटरी इंटरनेशनल के द्वारा दिया गया है।

2005 में स्विट्ज़रलैंड के दावोस में जो वर्ल्ड इकनोमिक फोरम हुआ था उसमे हिन्दू धर्मं का नेतृत्व करने वाले अकेले अध्यात्म गुरु थे। यूनाइटेड नेशन की न्यू यॉर्क में धार्मिक गुरु की मिल्लेनियम वर्ल्ड पीस परिषद हुई थी, उसमे स्वामीजी को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया था। 2010 में दिल्ली में वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम हुआ था जहापर स्वामीजी को स्पीकर के रूप में बुलाया गया था।

स्वामी सुखबोधानन्द को बचपन में द्वारकानाथ नाम से बुलाया जाता था। जब स्वामी 20 साल के थे तो वो अध्यात्म की तरफ़ बहुत आकर्षित होने लगे थे। जब उन्हें यह बात समझ में आयी तो वो मुम्बई में आये थे और दयानंद सरस्वती के शिष्य बन गए थे। उन्होंने प्रसन्न ट्रस्ट की स्थापना भी की है। कई सारे अंतर्राष्ट्रीय परिषद में उन्होंने भारत की से तरफ़ हिन्दू धर्म का नेतृत्व भी किया है। उन्होंने अध्यात्म में जो योगदान दिया है उसके लिए उन्हें कई सारे पुरस्कार भी मिल चुके है।

Read More :

  1. Sri Sri Ravi Shankar Biography
  2. Osho Biography
  3. History in Hindi
  4. BK Shivani Biography

I hope these “Swami Sukhabodhananda Biography in Hindi language” will like you. If you like these “Short Swami Sukhabodhananda Biography in Hindi language” then please like our Facebook page & share on Whatsapp. and for latest update download: Gyani Pandit android App.

The post कॉर्पोरेट गुरु स्वामी सुखबोधानन्द | Swami Sukhabodhananda appeared first on ज्ञानी पण्डित - ज्ञान की अनमोल धारा.

Share the post

कॉर्पोरेट गुरु स्वामी सुखबोधानन्द | Swami Sukhabodhananda

×

Subscribe to Gyanipandit - ज्ञानी पण्डित - ज्ञान की अनमोल धारा

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×