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परशुराम कुंड का इतिहास | Parshuram Kund History

Parshuram Kund – परशुराम कुंड हिन्दू धर्म के लोगो का एक पवित्र तीर्थस्थल है। यह परशुराम कुंड अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले में आता है। यह कुंड परशुराम ऋषि को समर्पित है और यहापर नेपाल, भारत और विशेष रूप से मणिपुर और असम से बहुत सारे तीर्थयात्री आते रहते है।

 परशुराम कुंड का इतिहास – Parshuram Kund History

परशुराम कुंड कमलांग रिज़र्व वन क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान लोहित नदी के किनारे स्थित है और उसके पीछे एक बहुत बड़ी पौराणिक कहानी भी जुडी है जिसका सम्बन्ध हिन्दू ऋषि परशुराम से है। उस कहानी के अनुसार परशुराम ऋषि ने अपनी माँ का वध कर दिया था।

जिसके कारण वो अपने पाप धोने के लिए यानि किये गए पाप से मुक्ति पाने के लिए लोहित नदी के ब्रह्मकुंड में नहाने चले गए थे। इसी वजह से हर साल मकर संक्रांति के दिन पुरे देश में से लोग यहापर इकट्टा होते है और अपने पाप कर्मो से मुक्ति पाने के लिए यहाँ आते है।

इसी दौरान यहापर एक बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है।

इस परशुराम कुंड का जिस तरह से पौराणिक महत्व है। उसी तरह इस कुंड का अन्य बातो के लिए भी काफी महत्व है।

यह कुंड जिस जंगल में स्थित है वो जंगल बाकि जंगलो से काफी अलग है। बाकी के जंगलो में साधारण पेड़पौधे देखने को मिलते है। लेकिन इस जंगल के पेड़ कुछ अलग किस्म के है। यहाँ के घने जंगल में रुद्राक्ष के पेड़ नजर आते है। रुद्राक्ष के पेड़ हर जगह देखने को नहीं मिलते।

मगर इस परशुराम कुंड की पवित्र के कारण ही जंगल के रुद्राक्ष के पेड़ खड़े दिखाई देते है। कुंड के चारो ओर आपको केवल रुद्राक्ष के पेड़ ही नजर आएंगे।

परशुराम कुंड को भेट देने का सही समय – The right time to visit Parshuram Kund

परशुराम कुंड के दर्शन करने का कोई समय तय नहीं है, इसीलिए आप कभी भी यहापर आ सकते हो। लेकिन ज्यादातर यात्री यहाँ नवंबर से फरवरी के बिच में ही आते है। उस वक्त मौसम काफी अच्छा रहता है।

परशुराम कुंड तक कैसे पहुचें – How to reach Parshuram Kund

परशुराम कुंड तक जाने के लिए रेलगाड़ी की सुविधा उपलब्ध है। परशुराम कुंड के सबसे नजदीक में तिनसुकिया रेलवे स्टेशन है जो करीब 120 किमी की दुरी पर है। वहापर बस और निजी टैक्सी से जाने की सुविधा भी उपलब्ध है।

जनवरी में जब परशुराम मेला का आयोजन किया जाता है तो पुरे देश में से हजारों तीर्थयात्री यहापर आते है।

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