वर्चुअल रियालिटी। हम वास्तविक दुनिया को अपनी इंद्रियों के माध्यम से जानते और महसूस करते हैं। जिन चीजों को हम देख, सुन, सुग्घ या महसूस कर सकते हैं, वह सभी चीजें हमारी वास्तविक दुनिया का हिस्सा होती हैं। लेकिन आज टेक्नॉलजी के युग में एक नई दुनिया का अविष्कार हो चुका है, जिसे हम वर्चुअल वर्ल्ड कहते हैं। इसी को वर्चुअल रिऐलिटी भी कहा जाता है। वर्चुअल रियालिटी असली दुनिया से अलग एक काल्पनिक दुनिया होती है।
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ट्रेडिशनल यूजर के विपरीत वर्चुअल रिऐलिटी में यूजर को ऐसा अनुभव होता है कि जो वह देख रहा है, वह उसके सामने ही है। कंप्यूटर इस आर्टिफिशियल वर्ल्ड में एक गेटकीपर काम करता है। इसके जरिए लोग ऐसी चीजें एक्सपीरियंस कर पाते हैं, जो वास्तव में हैं ही नहीं या जहां तक पहुंचना मुश्किल है। आज इस post में हम वर्चुअल रियलिटी के बारे में जानेंगे कि यह होती क्या है। इसका अविष्कार कैसे हुआ और इसका इस्तेमाल कहां कहां किया जाता है। लास्ट में हम आपको वर्चुअल रिऐलिटी के फ्यूचर के बारे में बताएंगे। तो बने रहे हमारे साथ अंत तक।
वर्चुअल रियलिटी होती क्या है ?
तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि वर्चुअल रियलिटी होती क्या है। वर्चुअल रियलिटी का कॉन्सेप्ट है वह दो वर्ल्ड से मिलकर बना है। एक तो वर्चुअल और एक रियल, जिसका मतलब होता है करीब करीब। यह रिऐलिटी के करीब है। मतलब टेक्नॉलजी की मदद से करीब करीब रियल अनुभव लेना। इसमें टेक्नॉलजी दो तरीके से काम करती है। एक तो सॉफ्टवेयर जिसमें कि वर्चुअल वर्ल्ड बनाया जाता है और दूसरा हार्डवेयर, जिससे गॉगल्स, हेडफोंस और स्पेशल ग्लव्स। इनकी मदद से आदमी वर्चुअल वर्ल्ड को देख व उसे इंटरैक्ट कर पाता है। साधारण शब्दों में कंप्यूटर टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करके एक काल्पनिक दुनिया का निर्माण किया जाता है। इसी को वर्चुअल रिऐलिटी कहते हैं।
वर्चुअल रिऐलिटी एक कंप्यूटर जेनरेटेड काल्पनिक चीज है, जिससे एक आदमी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करके थ्री डायमेंशनल एनवायर्नमेंट से जुड़ सकता है। ज्यादातर वर्चुअल रिऐलिटी का इस्तेमाल गेम्स में होता है, लेकिन अब थ्रीडी टेक्नॉलजी इतनी विकसित हो गई है कि इसमें मूवीज और बाकी चीजों का भी मजा लिया जा सकता है। इस काल्पनिक दुनिया में आदमी को रियल फीलिंग का अनुभव होता है। वीआर में ऐसा महसूस होता है कि जो घटनाएं हो रहीं हैं, वह सभी हमारे सामने हो रही हैं, न कि किसी स्क्रीन के अंदर।
वर्चुअल रियलिटी का इतिहास ?
तो चलिए इसके इतिहास के बारे में थोड़ा सा जानते हैं। वीआर का इतिहास बहुत बड़ा है। 1950 में टेक्नॉलजी की मदद से थ्रीडी ग्राफिक का अविष्कार हो गया था। 1957 में मॉर्टन हीलिंग ने सेंस नामक का इन्वेंशन किया, जिसकी मदद से थ्रीडी मूवीज देखा जा सका। लेकिन सेंस ड्रामा में कई कमियां थी। उसी समय हैड माउंटेड डिस्प्ले का अविष्कार हुआ। यह एक ऐसा डिवाइस होता है जिसे सिर पर हेलमेट की तरह पहना जाता है। इसके सामने एक डिस्प्ले होता है जो कि दोनों आंखों के ठीक सामने होता है। 1980 के आसपास वर्चुअल रियलिटी शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकन राइटर जरनल लैनी ने किया। उसके 10 साल बाद वीआर डिवाइस का इस्तेमाल अमेरिकी आर्मी की ट्रेनिंग और नासा के कामों में किया जाने लगा। बाद में वीआर का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू हुआ। शुरू में वीआर हेडसेट डिवाइस सिर्फ पीसी काम करता था। बाद में मोबाइल के लिए वीआर हेडसेट डिवाइस बनाया जाने लगा। अब वर्चुअल रिऐलिटी सेकंड जेनरेशन में कदम रख चुकी है।
वर्चुअल रियलिटी डिवाइस कहां कहां यूज़ होता है?
तो चलिए अब जानते हैं कि वर्चुअल रिऐलिटी से रिलेटेड डिवाइस का इस्तेमाल कहां कहां करते हैं। शुरुआत में वर्चुअल रियलिटी डिवाइस का इस्तेमाल सिर्फ गेमिंग के लिए होता था, लेकिन जैसे जैसे नए अविष्कार होते गए, वैसे वैसे वर्चुअल रियलिटी में भी कई नई टेक्नॉलजीज जुड़ती चली गई। थ्रीडी मतलब थ्री डायमेंशनल मूवीज के जरिए वीआर का इस्तेमाल बहुत बड़ा है। इसमें स्पेशल थ्रीडी ग्लासेस पहनकर आप मूवी में ऑन स्पॉट प्रेजेंस फील कर सकते हैं। इस थ्रीडी मूवी का लाइट और साउंड इफेक्ट हमारी इंद्रियों पर ऐसा आभास कराता है कि जो भी कुछ मूवी में हो रहा है, वह सब हमारे सामने ही हो रहा है। स्टैंडर्ड थ्रीडी ग्लासेस से आगे बढ़कर देखें तो वर्चुअल हैंडसेट के जरिए आप इस वर्ल्ड को और एक्सप्लोर कर सकते हो।
आप अपने लिविंग रूम में बैठकर वीआर की मदद से टेनिस या और कोई भी गेम खेल सकते हैं। गेम की अगर बात हो ही रही है तो शूटिंग गेम कैसे पीछे रह सकते हैं। आज बहुत सारी शूटिंग गेम्स हैं, जिसके लिए वीआर टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है। पबजी इसी तरह का एक गेम है जिसके लिए कई लोग इस डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं और वर्चुअल गेमिंग के जरिए खेल का मजा लेते हैं। इसके अलावा वीआर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कई और जगह पर भी होता है। उदाहरण के तौर पर जो लोग ड्राइविंग लाइसेंस लेना चाहते हैं वह इसकी मदद से रोड ड्राइविंग का एक्सपीरियंस ले सकते हैं। इसमें आप कार की स्टीयरिंग वील, ब्रेक और एक्सीलरेटर पकड़ते हो और ऐसा फील करते हो कि आप असली सड़क पर कार ड्राइव कर रहे हो। इसका मतलब बड़े बड़े इंस्टीट्यूशन स्टूडेंट्स को।
ड्राइविंग सिखाने के लिए करते हैं ताकि रियल एक्सीडेंट से बचना सीखा जा सके। और भी कई जगह इसका इस्तेमाल होता है, जैसे एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस ट्रैवल की ट्रेनिंग के लिए। फाइटर पायलट की ट्रेनिंग के लिए मेडिकल स्टूडेंट्स को सर्जरी का अभ्यास कराने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। वर्चुअल रियलिटी में वर्चुअल रिस्क लेकर कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि रियल रिस्क से बचा जा सके और रियल रिस्क की तैयारी भी बिना किसी खतरे के उठाए की जा सके। जैसे जैसे टेक्नोलॉजी का और भी विकास होगा, वैसे वैसे वीआर का भी विकास होगा।
वीआर कितने प्रकार के होते हैं?
तो चलिए अब जानते हैं कि वीआर कितने प्रकार के होते हैं। जैसा कि हमने बताया कि वीआर एक कंप्यूटर जेनरेटेड थ्रीडी टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल करके हम काल्पनिक वर्ल्ड का अनुभव कर सकते हैं। आज के टाइम में जिस वीआर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है, उसे हम तीन भागों में बांट सकते हैं।
1. नॉन इमर्सिव:- नॉन इमर्सिव वर्चुअल एक्सपीरियंस का सबसे अच्छा उदाहरण वीडियो गेम को लिया जा सकता है। इसमें एक वर्चुअल एनवायर्नमेंट बनता है, लेकिन इसके बावजूद यूजर अपने फिजिकल एनवायरमेंट पर भी पूरी तरह कंट्रोल रख सकता है।
2. सेमी इमर्सिव:- इसमें भी यूजर वर्चुअल वर्ल्ड में होते हुए भी रियल वर्ल्ड से कनेक्टेड रहता है और कंट्रोल रख सकता है। लेकिन इसमें थ्रीडी इफेक्ट नॉन इमर्सिव की तुलना में ज्यादा इफेक्टिव होता है। ग्राफिक इफेक्ट जितना ज्यादा अच्छा होगा, वर्चुअल इफेक्ट भी उतना ही ज्यादा पड़ेगा। इस कैटेगरी में एजुकेशन और ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले वीआर टेक्नॉलजी को लिया जा सकता है। इसका डिस्प्ले कंप्यूटर प्रोजेक्टर बहुत हाई रेजोल्यूशन का होता है।
3. फुली इमर्सिव:- इसमें यूजर वर्चुअल वर्ल्ड को सबसे ज्यादा फील कर पाता है। इसमें जो विजुअल और साउंड इफेक्ट होता है, वह सबसे ज्यादा हाई होता है। इसके लिए यूजर को वीआर ग्लासेस और हेड डिस्प्ले एचएमडी की जरूरत होती है। इसमें गेमिंग, इंटरनेट सेक्टर आते हैं और अब एजुकेशनल सेक्टर भी इसमें शामिल होने लगा है।
वीआर का फ्यूचर क्या है।
तो चलिए अब जानते हैं कि वीआर का फ्यूचर क्या है। बीते 20-30 साल में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने लगभग हर फील्ड में अपने पैर पसारे हैं, उसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले 10, 15 या 20 साल में हमारी दुनिया कैसी होगी। अगर बात करें इंडिया टेक्नोलॉजी की तो इसमें कोई शक नहीं कि इसमें और भी एडवांसमेंट देखने को मिलेगा। फ्यूचर में वीआर से और भी तरह के काम किए जाएंगे और कई सारे नए फील्ड में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। अभी जिन वीआर टेक्नोलॉजी की हमने बात की, उसमें कहीं न कहीं हमें मालूम होता है कि ये रियल वर्ल्ड नहीं है और हम स्क्रीन देख रहे हैं।
लेकिन आने वाले टाइम में ऐसे गैजेट्स बनेंगे, जिनकी मदद से जब तक हम उस वर्चुअल वर्ल्ड में रहेंगे, तब तक के लिए भूल ही जाएंगे कि ये रियल नहीं है। आज ऐसी टेक्नोलॉजीज बनाई जा रही है, जिनकी मदद से अगर वर्चुअल वर्ल्ड में ठंड है तो हमें ठंड लगेगी, गर्मी है तो गर्मी लगेगी और अगर किसी तरह का कोई दर्द है तो दर्द का एहसास होगा। ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी है थर्मो रियल। इसमें गेमपैड, जॉयस्टिक और भी कई सारे डिवाइसेस हैं,
जिनकी मदद से वर्चुअल वर्ल्ड में रियल वर्ल्ड का अनुभव किया जा सकता है। इसके अलावा गेमिंग के लिए ऐसे सूट्स बनाए जा रहे हैं, जिससे अगर वर्चुअल वर्ल्ड में हमें गोली या किसी तरह की चोट लगती है तो हमें रियल में भी दर्द फील होता है।
इसमें भी फैब्रिक्स व सूट का नाम लिया जा सकता है। इसको वीआर शूटर गेम के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें अगर आपको गोली लगती है तो रियल में उसका झटका लगता है और दर्द भी होता है। इन सूट्स में वाइब्रेशन सेंसर फिट होता है, जिसकी वजह से आपको रियल फील होता है। इसी तरह की और भी टेक्नॉलजीज का अविष्कार अभी हो रहा है जिसकी मदद से ज्यादा से ज्यादा वर्चुअल वर्ल्ड में रियल वर्ल्ड का अनुभव कर सकते हैं। आज के टाइम में वीआर का इस्तेमाल गेमिंग, मेडिकल, आर्किटेक्चर और मिलिट्री जैसे कुछ और गिनेचुने फील्ड में हो रहा है, लेकिन आने वाले वक्त में इसका इस्तेमाल बढ़ेगा और बाकी कई क्षेत्रों में इससे कई तरह के फायदे उठाए जाएंगे।
आज के टाइम में वीआर की कीमत बहुत ज्यादा है, लेकिन जैसे जैसे इन फील्ड में डेवलपमेंट होगा, वैसे वैसे आम लोग भी इसे खरीद सकेंगे और तब इसके क्षेत्र का भी विकास हो जाएगा। आने वाले टाइम में वीआर टेक्नोलॉजी के जरिए एजुकेशन की लाइन में भी बहुत सारे नए काम होंगे। आने वाला युग जितना रियल वर्ल्ड का होगा, उतना ही वर्चुअल वर्ल्ड का भी होगा।