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बच्चों के चरित्र का निर्माण कैसे करें - Building Children's Future in Hindi

बच्चों के चरित्र का निर्माण कैसे करें - Child Care Tips in Hindi


bacho ke charitra ka nirman kaise kare


हर माता-पिता सोचते हैं कि उनके बच्चे का भविष्य अच्छा हो लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जब अच्छे चरित्र का निर्माण करेंगे, तो ही अच्छे भविष्य का निर्माण हो पाएगा.


स्वाभाविक है कि अच्छे चरित्र के निर्माण की शुरुआत माता-पिता से होती हैै. माता-पिता बचपन से ही कोशिश कर रहे होते हैं कि बच्चों को अच्छा सिखाएं लेकिन इस बात पर ध्यान नही देते हैं कि बच्चे वह नहीं सीखते जो आप कहते हैं वे वही सीखते हैं जो आप करते हैं.

अधिकांश माता-पिता के लिए पालन-पोषण का अर्थ केवल बच्चों के भोजन, कपड़े और दैनिक जरूरतों की पूर्ति करना है. और इस तरह से माता-पिता अपने दायित्व से मुक्त हो जाते हैं.

लेकिन क्या माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी आदतें या संस्कार दे पाते हैं जिससे कि उनके अच्छे चरित्र का निर्माण हो सके, ताकि वे भविष्य में एक बेहतर जीवन जी सकें. जिससे कि उन्हें जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.

हर पीढ़ी के बच्चों में बदलाव आता है और ऐसे में यदि आप अपने बच्चे के प्रति सचेत नहीं हैं तो आप नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण से चूक जाएंगे जो कि भविष्य में एक माता-पिता होने के नाते आपके लिए पीड़ा दायक हो सकता है. 

इसलिए आपको आज से ही सोचना होगा कि ऐसा क्या करना चाहिए. जिससे कि भविष्य में आपको खुशी मिले.

बच्चों में उत्तम चरित्र कैसे लाएं (How to bring good character in children) 

जब तक आप माता-पिता नहीं थे तो आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं थी लेकिन माता-पिता बनने के बाद आप पर रचनात्मक जिम्मेदारी आ गई है. 

एक पूरा जीवन बनेगा या बिगड़ेगा यह आप पर निर्भर करता है. माता-पिता बनने के बाद आप जो कुछ भी करते हैं उसका प्रभाव बच्चे के भविष्य पर अवश्य पड़ता है.

मानव जीवन में चरित्र का विशेष महत्व है और चरित्र ज्ञानवान होने से बनता है, यदि मनुष्य में ज्ञान नहीं है तो चरित्र का कोई अर्थ नहीं है.

हम अपने घर, परिवार, समाज, देश और विदेश में व्यापार और नौकरी करते हैं, इन सब में ज्ञान और अच्छे चरित्र का होना एक श्रेष्ठ और सफल व्यक्ति की पहचान है.

जैसा कि हम जानते हैं कि चरित्र कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम कहीं से खरीद कर प्राप्त कर सकें. लेकिन सकारात्मक सोच ही हमें ऊंचाई के शिखर पर ले जाती है साथ ही अच्छे चरित्र का निर्माण भी करती है.

हमारे मन में दो प्रकार के विचार होते हैं, एक अच्छे विचार और दूसरे बुरे विचार लेकिन अगर हम अपने आप में यह निश्चय कर लें कि हम कभी भी नकारात्मक विचारों को अपने मन पर हावी नहीं होने देंगे और हर काम अच्छा ही करेंगे तो यही एक अच्छा चरित्र है. 

यदि आप अच्छा बोलते हैं, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, न्याय और मानवतावादी विचारधारा के मार्ग पर चलकर कर्म करते हैं, तो निश्चित रूप से आप चरित्रवान व्यक्तित्व हैं.

अच्छी आदतें अच्छे चरित्र का निर्माण करती हैं. यदि चरित्रवान बनना है तो अपनी आदतों को सकारात्मक सोच से जोड़ना होगा. अगर आपका चरित्र सही है तो हर जगह आपका सम्मान होगा.

किसी व्यक्ति के अच्छे चरित्र के निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका उसके घर के वातावरण की होती है. क्योंकि बच्चों को स्कूल में सिर्फ किताबी शिक्षा मिलता है, बच्चों में अच्छे संस्कार रखने का श्रेय उनके माता-पिता को जाता है कि उन्होंने अपने बच्चों को कैसी तालीम दी है. 

बच्चे बाल्यावस्था के बाद किशोरावस्था को प्राप्त करते हैं, फिर विवाह होता है और घर की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है, परिवार चलाना और जीवन की सारी गतिविधियां पैसे पर आधारित होती हैं, इसलिए पैसा कमाना भी बहुत जरूरी है.

लेकिन एक सफल जीवन जीने के लिए पैसा कमाना ही एकमात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए, जीवन को सफल और आदर्श परिवार बनाने के लिए और अधिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है.

अक्सर देखा गया है कि अन्य बातों को छोड़कर लोगों का एक ही सपना होता है कि बहुत सारा पैसा कैसे कमाया जाए. 

यदि हम इस प्रकार की सोच रखते हैं तो परिवार और बच्चे ठीक से जीवन जीने की कलाओं से वंचित रह जाते हैं, जिसका परिणाम बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के लिए भी दुखदाई हो सकता है.

पैसा कमाने के साथ-साथ यदि हम सोचते हैं कि हमारा परिवार और बच्चे आदर्श हों तो हमें इन सब बातों पर ध्यान देना होगा और उन्हें आचरण में लाना होगा तभी हम कल्पना कर सकते हैं कि हमारे बच्चे आदर्श और संस्कारी होंगे.

हम जैसा बीज बोयेंगे, जैसा व्यवहार करेंगे, जैसा वातावरण देंगे, हमें वैसा ही फल भी मिलेगा. लेख में नीचे दिए गए सभी बिंदुओं पर ध्यान दें ताकि यह लेख आपके लिए उपयोगी हो सके -

जब बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे का पूर्ण विकास माता-पिता की देखरेख में ही होता है और फिर धीरे-धीरे समाज और स्कूली शिक्षा से बच्चा किशोरावस्था में आ जाता है और फिर वैवाहिक जीवन को प्राप्त करता है.

शादी के बाद संतान की उत्पत्ति होना स्वाभाविक है, जब हम एक नई पीढ़ी को जन्म देते हैं तो यह हमारा कर्तव्य हो जाता है कि बच्चे में आदर्श गुण हों यह तभी संभव है जब पति-पत्नी के विचार आदर्श और श्रेष्ठ हो. 

बच्चों के जीवन से बुराइयों को दूर रखें

जैसा कि आप जानते हैं कि जिस प्रकार का हमारा चरित्र होगा वैसा ही बच्चे हमसे सीखेंगे. इसलिए हमें अपने जीवन में बुराइयों से दूर रहना चाहिए. 

जो शब्द दूसरों को कष्ट पहुंचाए उन शब्दों का त्याग करना बहुत आवश्यक है, हमें ऐसे शब्दों की आवश्यकता है जो सुनने में दूसरों को अच्छा लगे और हमारे दिल को भी सुकून दे.

जीवन में धूम्रपान, चरस, अफीम और शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन न करें, ये हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और दिमाग की सोचने-समझने की क्षमता को कम कर देते हैं. जिससे छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ा अपराध बन जाती हैं.

इसके साथ ही हमें अश्लील हरकतों से भी दूर रहना चाहिए और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना चाहिए तभी हम आने वाली पीढ़ियों को अच्छे संस्कार दे पाएंगे.

बच्चों का आत्म विकास करें 

अक्सर समाज में कई लोग एक-दूसरे को ठेस पहुँचाते हैं, लेकिन जिसे ठेस पहुंचती है अगर वे उन बातों को छिपाते हैं और किसी को नहीं बताते हैं, तो यह तनाव का कारण बन जाता है. 

और फिर ऐसा व्यक्ति तनाव में रहने लगता है, और मन में हमेशा नकारात्मक बातों से घिरा रहता है. वह डिप्रेशन के दौर से गुजरता है.

जिसमें व्यक्ति उदास रहता है और जीवन से हार मानने लगता है वहीं यदि छिपाने के बजाय किसी से अपने तनाव को साझा किया जाए तो उसका समाधान निश्चित होता है जिससे व्यक्ति का आत्म विकास होने लगता है.

जिसमें व्यक्ति उदास रहता है और जिंदगी से हार मानने लगता है, वहीं यदि कोई अपने तनाव को छुपाने की बजाय उसे किसी से साझा करे तो उसका समाधान निश्चित रूप से  होता है जिससे व्यक्ति का आत्म विकास होने लगता है.

यदि आप इस गुण को अपने में धारण करते हैं तो आप आने वाली पीढ़ी को भी आत्म-विकास का यह गुण प्रदान करते हैं, जिससे बच्चों के जीवन का विकास होता है.

माता पिता का आचरण 

बच्चों को अच्छे संस्कार देने में माता-पिता की भूमिका सबसे अहम होती है खासकर बेटियों में शालीनता एवं आचरण, जैसे संस्कार सिर्फ मां ही दे सकती है. इसलिए मां का श्रेष्ठ और आदर्श चरित्र होना बहुत जरूरी है, मां के व्यवहार की छाप बेटियों पर पड़ती है.

पिता का व्यवहार श्रेष्ठ एवं उत्तम होना चाहिए तभी वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे पाएंगे क्योंकि जैसा माहौल होता है बच्चे वैसा ही संस्कार सीखते हैं और वैसा ही संस्कार उनमें समाहित हो जाते हैं, इसलिए बहुत जरूरी है कि अपनी आदतों को अच्छा रखा जाए.

यदि पिता अपने सभी अवगुणों को दूर कर अच्छे विचारों और अच्छी आदतों को अपनाए तो वह घर में अच्छे संस्कार दे सकते हैं, जब हम अच्छे रास्ते पर चलेंगे तभी हम कल्पना कर सकते हैं कि हमारे बच्चे भी अच्छे रास्ते पर चलेंगे.

पति पत्नी मतभेदों और विवादों से बचें

पति पत्नी मतभेदों और विवादों से बचें, दिन की शुरुआत अच्छे विचारों और सकारात्मक सोच के साथ करें. हमें सकारात्मक रहने के लिए अच्छी आदतों की जरूरत होती है. 

बुरी आदत किसी के भी पास हो सकती हैं, बुरी आदत होना पाप नहीं है लेकिन बुरी आदत का एहसास होने पर भी बुराई को दोहराते रहना पाप है, इसलिए अच्छे कर्म करते रहें यही सबसे बड़ा धर्म है.

अगर आपस में अच्छे संबंध हैं, पूर्ण विश्वास हो, एक-दूसरे के प्रति सम्मान हो, छल-कपट रहित जीवन हो, विचारों का आदान-प्रदान हो और संवेदनशीलता हो तो पति-पत्नी के बीच मतभेद और विवाद नहीं हो सकते हैं.

क्योंकि जब पति-पत्नी के बीच मतभेद और विवाद नहीं होंगे, तभी हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे पाएंगे और वे चरित्रवान बनेंगे.

बच्चे में अच्छे चरित्र का निर्माण करें

बच्चे एक तरह से पौधे की तरह होते हैं और माता पिता माली की तरह, हम जिस तरह से उनकी देखभाल करेंगे हमें वैसा ही परिणाम देखने को मिलेगा.

बच्चों में अच्छी आदतों का विकास तभी संभव है जब वे शरारतें कर रहे हों या कई छोटी-छोटी गलतियां कर रहे हों लेकिन आप उन्हें सही मार्गदर्शन करते हों.

कुछ माता-पिता बच्चों की शरारतों, गलतियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं यह सोचकर कि बच्चा अभी छोटा है और फिर यही छोटी-छोटी गलतियाँ उनकी आदतें बन जाती हैं.

बचपन की गलतियां उसके भविष्य को प्रभावित करती हैं, बच्चा बड़ा होने पर अपनी गलतियों को सुधार नहीं पाता क्योंकि यह छोटी छोटी बातें उसकी आदत बन चुकी होती हैं और वह आदतों से मजबूर होता है.

माता-पिता को बच्चों को बचपन से ही अच्छी तालीम देनी चाहिए, अगर छोटा बच्चा कोई गलती करता है तो उसे प्यार से समझाएं जैसे - अगर बच्चे ने कोई चीज खराब कर दी या तोड़ दी है तो उसे मारें नहीं.

बच्चे को इस तरह प्यार से समझाएं कि यह जो नुकसान हो गया यह नुकसान किसका हुआ है. हमारा और आपका ही, अब अगर हम इसको फिर से खरीदेंगे तो हमें पैसे देने पड़ेंगे और अगर यही पैसे हमारे पास रहते तो हम आपके लिए और खिलौने लाते. ताकि बच्चा समझ सके कि क्या सही है और क्या गलत है. 

बच्चों को अच्छे संस्कारों की ओर जोड़िए, धीरे-धीरे बच्चे में अच्छी आदतें आ जाएंगी. कुछ माँ-बाप ऐसे भी होते हैं जो हर छोटी-छोटी बात पर बच्चे को डाँटते रहते हैं. अपने से दूर कर देते हैं और वह कहीं और जाकर खेलना शुरू कर देते हैं, अब आप ही सोचिए कि इस तरह से बच्चे में किस तरह से संस्कार डाले जा सकेंगे.

बच्चे में अच्छे संस्कार घर के माहौल से आते हैं, अगर आप बच्चों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ईमानदारी, सादगी, विनम्रता, बड़ों का सम्मान आदि के लिए सुबह शाम एक घंटे का समय देते हैं, तो आपको अवश्य ही अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.

  बच्चे को खिलौना ना दिया जाए

  तो वह कुछ समय तक रोएगा,

  लेकिन संस्कार ना दिए जाएं

  तो वह जीवन भर रोएगा.

बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी बातें 

• बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता पर निर्भर होते हैं, उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें संतुलित आहार देने की जरूरत होती है.

बच्चों को आहार देते समय इसके फायदे भी बताएं. धीरे-धीरे बच्चे इसे अपने भोजन का हिस्सा बना लेंगे और यह उनकी आदत बन जाएगी जो भविष्य में अच्छे स्वास्थ्य में मददगार साबित होगी.

• बच्चों को बचपन से ही उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना चाहिए, यदि बच्चों का बचपन शिक्षा से जुड़ा रहेगा तो आगे चलकर बच्चा उसी दिशा में अच्छा प्रदर्शन करेगा.

• मानव जीवन में एक उद्देश्य का होना बहुत ही आवश्यक है कोई भी व्यक्ति बिना लक्ष्य के बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर सकता है, प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चे को उच्च शिक्षा दिलाने का प्रयास करते हैं लेकिन सफलता तभी संभव है जब विद्यार्थी शिक्षा के दौरान अपना लक्ष्य बनाए.

• बच्चों को उनके महापुरुषों के बारे में बताएं कि वे आज विश्वविख्यात क्यों हैं, उनका जीवन संघर्ष आदि. ताकि महापुरुषों की प्रेरणा से बच्चों में एक नई ऊर्जा का संचार हो सके.

• बच्चों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान देना, ईमानदारी का पाठ पढ़ाना, बच्चों में अच्छी सोच का प्रकाश डालना, बड़ों का सम्मान करना और अपने से कमजोर व्यक्ति को पहचानना उनका सम्मान करना, व समय पर उनकी मदद करना सिखाएं ताकि बच्चों में मानवीय गुण बरकरार रह सकें.

FAQ Section

प्रश्न - अच्छे चरित्र के लक्षण क्या हैं?

उत्तर - चरित्र के छह स्तंभ हैं: विश्वसनीयता, सम्मान, जिम्मेदारी, निष्पक्षता, देखभाल और नागरिकता.

प्रश्न - बच्चे के चरित्र का निर्धारण कौन करता है?



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