बिदेसिया (बिहार की नाट्यकला शैली)
कहा जाता है कि बिदेसिया की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के कुतुबपुर गाँव से हुई थी। जो लोग गाँव छोड़कर शहर जाते थे, उन्हें बिदेसिया के नाम से जाना जाता था। ऐसे ही एक व्यक्ति थे, भिखारी ठाकुर। वह एक प्रसिद्ध लोक कलाकार और नाटककार थे। ठाकुर अनपढ़ थे फिर भी उन्होंने खुद से तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस को पढ़ना और याद करना सीखा, इसलिए वह उन्हें अपना साहित्यिक गुरु मानते थे। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता था। ठाकुर ने बिदेसिया सहित बारह नाटक और बहुत सारे गीत लिखे हैं। ठाकुर ने अपने नाटकों और गीतों में महिलाओं, निम्न-जाति के लोगों और गाँवों में रहने वाले गरीब लोगों से संबंधित सामाजिक मुद्दों को उठाया। उन्होंने अपने नाटकों में भी अभिनय किया और अपने समय की विभिन्न प्रस्तुतियों का निर्देशन किया था। बिदेसिया की यह कला शैली हिंदू जाति प्रथा की तथाकथित निचली जाति से संबंधित था। इस कला शैली का सार समाज की बुराइयों पर प्रकाश डालना है और इसलिए इसमें पोश
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