जीएसटी क्या है? | फुल फॉर्म, अर्थ, नियम और फायदे | GST in Hindi
भारत में अब सामान (Merchandise) या सेवा (Administrations) के कारोबार पर GST टैक्स चुकाना पड़ता है। 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में GST कानून लागू हो चुका है। तब से अब तक, 6 साल से अधिक टाइम बीत जाने के बावजूद, इसकी बहुत सी बातें, सामान्य लोगों को समझ में नहीं आतीं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, हमने जीएसटी पर आसान भाषा में, यह लेख तैयार किया है।
Related Articles
इस लेख में, हम जानेंगे कि GST क्या है? इसका फुल फॉर्म क्या होती है? GST का हिंदी में अर्थ या मतलब (Meaning) क्या होता है? जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना किसे अनिवार्य है? इनके अलावा भी जीएसटी के बारे में प्रमुख व महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी इसमें शामिल की है। About GST in Hindi language
जीएसटी क्या है ? What is GST in Hindi?
जीएसटी का Full Structure होता है-Labor and products Expense । हिन्दी में इसका अर्थ होता है-माल एवं सेवा कर। इसे, वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Extract Obligation, Tank, Section Assessment, Administration Duty वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है। भारत में इसे 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में यह सिस्टम लागू हो चुका है।
पहले के टैक्स सिस्टम में क्या थी खामी
1 जुलाई 2017 के पहले, देश और राज्यों में कई अलग-अलग तरह के टैक्स सिस्टम लागू थे। कारोबारियों को उत्पादन से लेकर बिक्री तक के बीच में, अलग-अलग स्टेजों पर, तरह के टैक्सों का भुगतान करना पड़ता था। उदाहरण के लिए, जैसे ही माल Manufacturing plant से निकलता था, सबसे पहले उस पर उत्पाद शुल्क (Extract Obligation) चुकाना पड़ता था। कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (Extra Extract Obligation), अलग से लगता था। वही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है तो राज्य में घुसते ही Section Expense लगता था। इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से।
माल बेचते समय, Deals Expense या Tank चुकाना पड़ता था। कई मामलों में Buy Assessment भी लगता था। अगर कोई सामान विलासिता (Extravagance) की श्रेणी में आता है तो Extravagance Duty अलग से चुकाना पड़ता था। वह सामान अगर किसी होटल या रेस्टोरेंट आदि में उपलब्ध कराया जा रहा हो तो Administration Expense अलग से देना पड़ता था।
इस प्रकार हम देखते हैं कि, फैक्टरी से लेकर उपभोक्ता (Shopper) के हाथों में पहुंचने तक किसी सामान या सेवा को कई तरह की Obligations या Assessments से गुजरना पड़ता था। GST लागू करके कारोबारियों को Charges के इस मकड़जाल से बचाने की कोशिश की गई है, और सभी पर एक ही तरह का टौक्स लागू कर दिया गया है।
जीएसटी लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी?
भारतीय संविधान में Charge संबंधी जो पुराने नियम थे, उनमें वस्तुओं के उत्पादन (Creation/Assembling) और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार (Focal Government) के पास था। जबकि,वस्तुओं की बिक्री (Deal) पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों (State Government) को दिया गया था।
सबने अपने-अपने हिसाब से Charge बनाए और Classes तय कर दीं। इसी चक्कर में एक-एक सामान पर कई-कई Expense लद गए। कभी-कभी तो टैक्स के उपर Duty के हालात भी बन गए। छोटे व्यापारियों और कंपनियाें के लिए, इनके नियम-कानूनों से निपटना बड़ा मुश्किल काम था।
इन विसंगतियों को दूर करने के लिए GST को ऐसे एकीकृत कानून के रूप में लाया गया है, जो माल एवं सेवा दोनों पर लग सके। और, जिसे Creation से लेकर Deal तक लगाया जा सके।
Creation और Deal का अलग-अलग पेंच खत्म करने के लिए GST का सिर्फ एक आधार तय कर दिया गया, Supply। इसके लिए बाकायदा Assessment कानूनों में बदलाव किया गया और संसद में बाकायदा संविधान संशोधन (Constitution (Correction) की प्रक्रिया अपनाई गई।
जीएसटी की प्रमुख विशेषताएं | Significant Highlights Of GST
देश में मौजूद पुराने टैक्स सिस्टम की खामियां दुरुस्त करने के लिए, ही सरकार ने GST लागू किया। जुलाई 2017 से लागू इस नए टैक्स सिस्टम की प्रमुख खासियतें इस प्रकार हैं —
1.उत्पादन की बजाय उपभोग पर टैक्स | Charge on Utilization
2. इनपुट क्रेडिट सिस्टम से टैक्स वापसी | Information Credit Framework
3. टैक्स के ऊपर टैक्स नहीं चढ़ेगा | No Flowing Of Expenses
4. पूरी तरह ऑनलाइन सिस्टम | पकड़ में आ जाएगी गड़बड़ी
5. बड़े कारोबारियों के लिए E-Invoicing अनिवार्य
6. टैक्स रेट पर मनमानी नहीं | No Inconsistent Rates
जीएसटी सबके लिए फायदेमंद कैसे? How advantageous for all
सामान्य लोगों के लिए फायदे | Benefits for Average folks
- वस्तुओं पर तरह-तरह के Charge से छुटकारा मिल गया है। टैक्स के उपर Assessment खत्म होने से वस्तुओं की लागत में अनावश्यक बढ़ोतरी नहीं हो पाती। इससे सामान्य उपभोक्ता के यह फायदे की स्थिति है।
- जीवन के लिए बहुी ज्यादा जरूरी चीजों पर Charge के Rate कम रखे गए हैं। इससे सामान्य लोगों के ज्यादा काम आने वाली चीजें सस्ते में मिल सकेंगी। गरीब और कम आमदनी वाले लोगों को राहत रहेगी।
- कारोबार का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा GST के दायरे में आ जाने से सरकार की आमदनी बढ़ेगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी आम लोगों की सुविधाओं में सुधार के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
व्यवसायियों के लिए फायदे | Benefits for Finance managers
- हर राज्य में Charges का अलग-अलग ढांचा होने से, सामान कारोबारियों के लिए, उसे समझना आसान नहीं था। तरह-तरह की चुं गियां अलग से बोझ बढ़ाती थीें। टैक्स अधिकारी और कर्मचारी भी नियमों की पेचीदगियों का गलत फायदा उठाते थे। अब कारोबारियों को इन झंझटों से नहीं गुजरना पड़ेगा। कारोबार आसान और तेज गति से होगा। इससे फायदे की मात्रा भी बढ़ेगी।
- GST सिस्टम में कारोबार संबंधी सारे Reports ऑनलाइन होते हैं। किसी तरह की गलती होने पर या Record खो जाने पर उसे On the web ही सुधारने की सुविधा होगी। कारोबारियों को बेमतलब, दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
- लघु उद्योगों और उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र व राज्य सरकारें रियायत देती हैं। इसका फायदा उठाने के लिए बड़े कारोबारी भी अपने बड़े उद्यम को ही कई छोटे-छोटे हिस्सों में करके दिखाते थे। GST सिस्टम में, इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कंपनियां ज्यादा सस्ता और प्रतियोगी माल बना सकेंगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में टक्कर देने लायक माल बनाया जा सकेगा।
सरकार व प्रशासन को मिलने वाले फायदे | For Government And Organization
- पहले जो सिस्टम था, उसमें Market का बहुत बड़ा हिस्सा अंडर ग्राउंड होता था। वस्तुओं के उत्पादन से लेकर बिक्री तक की श्रृंखला में बहुत सी जगहों पर काम दिखाया ही नहीं जाता था। उन पर Duty भी सरकार को नहीं मिल पाता। अब GST में ऐसे छूटे लोग भी Assessment की इस चेन में जुड़ जाएंगे। इससे टैक्स चोरी की गुंजाइश कम हो जाएगी और सरकार की Pay बढेगी।
- हर स्टेज पर खरीदारी और बिक्री की रसीदों का मिलान होना जरूरी होगा। तभी पहले के Stages में जमा किया गया Tax break का फायदा कारोबारियों को मिल सकेगा। इस चेन में चूंकि हर किसी को Bill देना और बाद में उनकी रसीद पेश करना जरूरी होगा। इसलिए Market पूरी तरह Accounted हो जाएगा और Bootleg market पर लगाम लगेगी।
- पहले जो टैक्स सिस्टम था, उसमें एक ही वस्तु, अगल-अलग राज्यों में अलग-अलग दाम पर मिलती थी। कुछ लोग इसका फायदा उठाते थे और आसपास के राज्यों से सस्ते सामान की तस्करी करने लगते थे। अब पूरे देश में एक जैसा टैक्स होने से वस्तुओं के दाम एक जैसे होंगे। इससे तस्करी पर लगाम लगेगी।
- Charges की संख्या कम होने से केन्द्र और राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भार कम होगा। Enrollment और Expense भुगतान संबंधी सारे Detail ऑनलाइन होने से निगरानी बहुत आसान होगी। Recuperation की लागत में कमी आएगी। सरकारों के लिए Assessment Organization और The executives का काम बहुत आसान हो जाएगा।
GST ने किन-किन टैक्सों को खत्म कर, उनका स्थान लिया?
देश और राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले तीन दर्जन से अधिक Indirect Taxes को अब GST के अंदर शामिल कर दिया गया है। इन टैक्सों की सूची हम नीचे दे रहे हैं।
केंद्र के वो टैक्स जिनकी जगह जीएसटी ने ले ली है (Central Taxes Replaced By GST) | राज्यों के वो टैक्स जिनकी जगह जीएसटी ने ले ली है (State Taxes Replaced By GST) |
|
|
चार अलग-अलग नामों से वसूला जाता है GST टैक्स
CGST: (सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | Focal Merchandise and Administration Expense)
SGST: स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | State Merchandise and Administration Expense
UTGST/UGST: यूनियन टेरेटरी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | Association Domain Products and Administration Expense
IGST: इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स | Coordinated Merchandise and Administration Duty
जीएसटी की 5 तरह की दरें | 5 sorts of GST Rates
- 00% GST : जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कि अनाज, नमक, गुड़, ताजी सब्जियां वगैरह।
- 05% GST : जीवन के लिए सामान्य आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कि चीनी, तेल, मसाले, चाय, काफी, उर्वरक वगैरह।
- 12% GST : रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे कि नमकीन, दंतमंजन, छाता, दवाइयां, वगैरह।
- 18% GST : मध्यम स्तर का जीवन जीने वाले लोगों के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं जैसे कि डिटरजेंट, चॉकलेट, मिनरल वाटर,