आज के दिन सेवकोंने बड़ा त्यौहार मनाना चाहिए....... मा. सौ. लता दिलीप बुरडे
मोहाड़ी :- ब. उ. प. पू. परमात्मा एक सेवक मंडल मोहाड़ी की ओर से हर वर्ष की तरह इस साल भी 15 नवंबर वार्षिक जनरल हवन कार्य का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया गया.
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इस कार्यक्रम की सुरुवात हवन कार्य से की गयी. कार्यक्रम के उद् घाटक मा. सौ. लता दिलीप बुरडे इनके हाथों कार्यक्रम का उद् घाटन कर इस कार्यक्रम की सुरुवात की गयी. मा. श्री. यशवंतराव ढबाले गुरुजी, मार्गदर्शक, ब. उ. प. पू. परमात्मा एक सेवक मंडल मोहाड़ी के अध्यक्ष इनकी अध्यक्षता मे इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम की सुरुवात दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया. इस समय प्रमुख अतिथि के रूप मे मंडल के उपाध्यक्ष मा. श्री. नरेश सव्वालाखे, मा. श्री. नरेश ईस्वरकर जि. प. सदस्य बेटाड़ा, सचिव मा. श्री. मोरेश्वर् सार्वे, कोषाध्यक्ष मा. श्री. कंठिराम पडारे, मा. राजू माटे, संचालिका मा. सौ. सर्वसता माटे और मंडल से जुड़े क्षेत्र के सभी सेवक सेविकाये उपस्थित थे. हवन कार्य के उपरांत एक भगवत कार्य की चर्चा बैठक ली गयी.
महानत्यागी बाबा जुमदेव ने अपने महान कार्यो से देश के नवजवां युवा व युवती के साथ साथ काफी ऐसे परिवार को उनके दुःखो से मुक्ति दिलाकर अंधश्रद्धा निर्मूलन, बुरे व्यशन , दुराचार, बुरे विचार, भ्रष्टाचार का त्याग करवाकर एक नया समृद्ध परिवार निर्माण करने का साहस किया.
इस मार्ग में दुःखों के साथ साथ अच्छी आदते मानव विकास का कार्य करते है. बाबा ने अपना स्वार्थ नही देखा. उन्होंने स्वार्थ मे परमार्थ को कैसे किया जाता हैं ये सिखाकर लाखों का त्यागी परिवार निर्माण किया. काफी कठिन समस्या का सामना करके बाबा ने इस मानव धर्म का निर्माण किया और हमे सुखी जीवन जीना सिखाया. आज का दिन हमारे जीवन में खुशियों का सागर भर के लाने वाला दिन है. इस दिन को हमे खुशियों के साथ साथ बड़े त्योहार के रूप में मनाना चाहिये. हमे तत्व, शब्द और नियम को सामने रखकर के कार्य करने की बात अध्यात्मिक प्रमुख, मानव धर्म प्रचार व प्रसारिका मा. सौ. लता दिलीप बुरडे ने अपने मार्गदर्शन में कहा.
इस समय मोहाड़ी के साथ साथ नागपुर, सिहोरा, भंडारा, चंद्रपुर, रामटेक, मध्य प्रदेश, तिरोडा, गोंदिया और दूर दूर से आये हुये सेवक सेविकाये उपस्थित थे.
कार्यक्रम का प्रास्ताविक सचिव मा. मोरेश्वर् सार्वे, संचालन श्री. इंद्रपाल मते तो आभार मंडल के कोषाध्यक्ष मा. श्री. कंठीराम पडारे इन्होंने व्यक्त करते हुये कार्यक्रम को समाप्त किये.
संपादक चंद्रशेखर भोयर