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महेंद्र बना युवाओं का प्रेरणा स्त्रोत

 एक खास मुलाखत


महेंद्र शहारे इनसे खास मुलाखत


संपादक चंद्रशेखर भोयर


आज महेंद्र बना युवाओ का  प्रेरणा स्त्रोत


सिहोरा:-  हर व्यक्ति चाहता है कि मेरे घर में खुशिया हो. मेरे हर सपने पूरे हो.  लेकिन उसके लिए जी जान से मेहनत करना आज के युवा पसंद नहीं करते. और वही वजह से आज गाव गाव बेरोजगारी फैली नजर आ रही है. 


एक गाव में रहकर भी बहोत बड़ा काम किया जा सकता है ये सिद्ध कर दिखाया तुमसर तहसील मे आने वाले सिहोरा क्षेत्र के प्रसिद्ध गाव चांदपुर के युवा श्री. महेंद्र शांताराम शहारे ने. 

बताने में आता है कि ये एक सर्व सामान्य परिवार से है और बचपन से ही एक जुनूनी, जिद्दी और मेहनत पर भरोसा करने वाला व्यक्ति है. 

देखा जाये तो परिवार में तीन भाई जो संगत से उनके अंदर भी सकारात्मकता का जन्म हुआ. बोलते है ना "जैसी संगत, वैसी पंगत".  

मेहनती स्वभाव होने से हर पल नया करने का जुनून सवार होने से रविंद्र ने सोचा कि अपने बाकी कामों के साथ साथ और भी डबल मेहनत करके अपनी इनकम को बढ़ाया जा सकता है. 

देखा जाये तो ये युवक पहले ही मत्स्य व्यवसास के साथ साथ एक छोटासा होटल भी चलाता है.और गाव मे ग्राम पंचायत सदस्य का भी पद इन्होंने निभाया है.  समय का गुणाकर लगाकर उसने एक योजना का उपयोग किया .   

आज हम देखते है की काफी युवा पीढ़ी आज पान टपरी, व्हाट्सएप, फेस बुक जैसे सोसल मीडिया पर अपने समय को गमा रहे हैं.   

परंतु महेंद्र ने इस बात पर एक खास अपनी सोच को ध्यान में रखते हुए कहा कि, मैंने आज तक किसी भी पान टपरी पर अपना समय नही गवाया.  उसने कहा कि हम गाव में रहकर भी अपना एक बुलंद आशियाना निर्माण कर सकते है.  लेकिन ये सब एक दिन का चमत्कार नही है. इसके लिये रात दिन एक करना पड़ता है. 

उसने कहा कि कुछ खास बनने के लिये सबसे पहले हमे अपने अंदर कुछ खास बाते डालना, महसूस करना और उसे व्यवहार में लाना पड़ता है. 


उसने एक खेड़े गाव में रहकर भी हम अपनी जिंदगी बना सकते है.  दिखा दिया. 

महेंद्र एक अच्छा व्यवसाही तो है ही है परंतु एक अच्छा पति भी है.  और इतना ही नही तो उम्र के 27 साल मे याने इतने कम उम्र में उसने अपना आशियाना खड़ा कर सिहोरा क्षेत्र के युवा ओ के लिये प्रेरणा स्त्रोत बन चुका है.

आज महेंद्र ने बताया की मै अपने होटल से तो कमा ही लेता हूँ, पर साथ साथ और एक्स्ट्रा इनकम के लिये भी मेहनत लेता हूँ. 

उसने कहा कि मैंने जुलाई महीने में मत्स्य विभाग से एक योजना का लाभ उठाते हुये मत्स्य बीज पालन केंद्र का निर्माण संस्था के माध्यम से किया.  जिसके लिये मुझे मात्र 15 से 20 हजार का खर्चा आया पर मैंने जुलाई और अगस्त इन दो महीने में लाखों रुपये कमा डाला. और आज एक बेहतर जीवन जी पा रहा हूँ. 



ऐसे करतबगार एक ग्रामीण क्षेत्र के इस युवा को सलाम.  क्योकि इसका कहना है, ""ना कभी रुखना है, और ना कभी थकना है, जब तक मंजिल ना मिले बस चलते ही रहना है.. चलते ही रहना है"".



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