Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

NSIL ने वर्ष 2026 तक 10 वाणिज्यिक SSLV लॉन्च करने का लक्ष्य रखा

NSIL ने वर्ष 2026 तक 10 वाणिज्यिक SSLV लॉन्च करने का लक्ष्य रखा

हाल ही में न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने वर्ष 2026 तक 10 वाणिज्यिक लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है।

  • न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), अंतरिक्ष विभाग के अधीन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक वाणिज्यिक शाखा है।
  • यह ग्राहक उपग्रहों के लिए एंड-टू-एंड SSLV प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान करने वाली एकमात्र नोडल एजेंसी है।
  • SSLV तीन चरणों वाला एक प्रक्षेपण यान है। इसके तीनों चरण ठोस प्रणोदक चरण हैं । इसका टर्मिनल चरण तरल प्रणोदन आधारित वेलॉसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) है।
  • इसका व्यास 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है। साथ ही, इसकी उत्थापन ( lift off) क्षमता लगभग 120 टन है।
  • यह मिनी, माइक्रो या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किलोग्राम तक द्रव्यमान) को 500 कि.मी. तक की निम्न-भू कक्षा (LEO) में प्रक्षेपित करने में सक्षम है। इसका उद्देश्य लघु उपग्रहों को LEOs में प्रक्षेपित करने की उभरते बाजार की मांग को पूरा करना है।
  • SSLV के माध्यम से भारत 360 बिलियन डॉलर की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 10% से अधिक कर सकता है। वर्तमान में यह हिस्सेदारी लगभग 2% है।

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान(SSLV) के लाभ

  • इसका टर्नअराउंड समय कम है।
  • यह लागत प्रभावी है।
  • मांग के आधार पर प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान कर सकता है।
  • कम अवसंरचना और कम कार्यबल की जरूरत पड़ती है।
  • PSLV और GSLV के विपरीत, SSLV को लंबवत व क्षैतिज दोनों तरह से असेम्बल किया जा सकता है ।

अलगअलग प्रकार की अंतरिक्ष कक्षाएं

  • भूस्थिर कक्षा (Geostationary orbit: GEO): GEO कक्षा में स्थापित उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन के अनुरूप पश्चिम से पूर्व की ओर भूमध्य रेखा के ऊपर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। इससे GEO में स्थित उपग्रह एक निश्चित स्थिति में ‘स्थिर’ प्रतीत होते हैं।
  • निम्न भूकक्षा (Low Earth orbit: LEO): LEO कक्षा, पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत अधिक करीब है । यह सामान्यतया पृथ्वी से 1000 कि.मी. की ऊंचाई पर स्थित है। हालांकि, यह 160 कि.मी. की कम ऊंचाई पर भी हो सकती है।
  • ध्रुवीय कक्षा (Polar Orbit): ध्रुवीय कक्षाओं में उपग्रह आमतौर पर पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से गुजरते हुए, पश्चिम से पूर्व की बजाय उत्तर से दक्षिण की ओर परिक्रमा करते हैं।
  • सूर्य- तुल्यकालिक कक्षा (Sun Synchronous Orbit: SSO): SSO एक विशेष प्रकार की ध्रुवीय कक्षा है। इसमें उपग्रह, ध्रुवों के ऊपर परिक्रमा करते हुए, सूर्य समकालिक अवस्था में रहते हैं।

स्रोत – लाइव मिंट

Download Our App

More Current Affairs

The post NSIL ने वर्ष 2026 तक 10 वाणिज्यिक SSLV लॉन्च करने का लक्ष्य रखा appeared first on Youth Destination IAS.



This post first appeared on Best IAS Coaching In Delhi, please read the originial post: here

Share the post

NSIL ने वर्ष 2026 तक 10 वाणिज्यिक SSLV लॉन्च करने का लक्ष्य रखा

×

Subscribe to Best Ias Coaching In Delhi

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×