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लैंग्या वायरस

हाल ही में एक नया जूनोटिक वायरस लैंग्या हेनिपा वायरस चिंता का विषय बना हुआ है।

विदित हो कि लैंग्या वायरस का पहला मामला वर्ष 2019 में सामने आया था। लैंग्या वायरस को जैव सुरक्षा स्तर-4 (BSL4) रोगजनकों के बीच वर्गीकृत किया गया है।

जैव सुरक्षा स्तर

  • BSL का उपयोग श्रमिकों, पर्यावरण और जनता की सुरक्षा के लिये प्रयोगशाला सेटिंग में आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों की पहचान करने हेतु किया जाता है।
  • जैविक प्रयोगशालाओं में संचालित गतिविधियों और परियोजनाओं को जैव सुरक्षा स्तर द्वारा वर्गीकृत किया जाता है।
  • चार जैव सुरक्षा स्तर BSL-1, BSL-2, BSL-3 और BSL-4 हैं, जिसमें BSL-4 उच्चतम (अधिकतम) स्तर का नियंत्रण है।

क्या है लैंग्या वायरस

  • लैंग्या वायरस एक जूनोटिक वायरस है जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।
  • लैंग्या जीनस हेनिपावायरस का हिस्सा है, जिसमें एक सिंगल स्ट्रैंडेड RNA जीनोम एक नकारात्मक अभिविन्यास के साथ है।
  • हेनिपावायरस पैरामिक्सोविरिने की अद्वितीय विशेषताएँ उनके बड़े जीनोम हैं, लंबे समय तक अपरिवर्तित क्षेत्र यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ज़ूनोसिस का उभरता हुआ कारण है।

नोवल लैंग्या वायरस:

  • नया खोजा गया लैंग्या वायरस फाइलोज़ेनेटिक रूप से अलग ‘हेनिपावायरस’ है।
  • पहले खोजे गए हेनिपावायरस प्रकार के अन्य वायरस मोजियांग, घनियन, सीडर, निपाह और हेंड्रा हैं।
  • इनमें से निपाह और हेंड्रा को मनुष्यों में घातक बीमारियों का कारण माना जाता है।
  • लैंग्या का जीनोम संगठन “अन्य हेनिपावायरस के समान” है और यह “मोजियांग हेनिपावायरस” से निकटता से संबंधित है, जिसे दक्षिणी चीन में खोजा गया था।
  • इस वाइरस के संक्रमण से बुखार, थकान, खाँसी, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।
  • इसके उपचार हेतु मनुष्यों के लिये कोई लाइसेंस प्राप्त दवाएँ या टीके नहीं हैं। गंभीर संक्रमण के मामले में लैंग्या वायरस संभावित रूप से मनुष्यों के लिये घातक हो सकता है।
  • लैंग्या, विषाणुओं के उसी परिवार से संबंधित है जिससे घातक निपाह विषाणु संबंधित है जो आमतौर पर चमगादड़ों में पाया जाता है।

स्रोत –द हिन्दू

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