भारत में यदि देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रशासनिक सेवाओं की बात करें, तो वह IAS की सेवा है। इसके लिए हर साल देश के लाखों युवा यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा देते हैं और अपने सपनों को पंख लगाने के लिए प्रयास करते हैं। हालांकि, इस प्रयास में केवल कुछ लोगों को ही मंजिल मिलती है। देश की इस सेवा के लिए हर साल देश के अलग-अलग गांवों से युवा शामिल होते हैं। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि भारत का एक गांव ऐसा भी है, जिसे भारत में IAS गांव के नाम से भी जाना जाता है। कौन-सा है यह गांव, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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आपने अक्सर किस्सों-कहानियों और किताबों में पढ़ा होगा कि यदि असली भारत को जानना है, तो इसके लिए गांवों का भ्रमण बहुत जरूरी है। क्योंकि, भारत की असली पहचान इसके गांवों से है, जहां की मिट्टी में भारत की संस्कृति और अनूठी परंपराएं रची-बसी हुई हैं।
वर्तमान में भारत में 6 लाख 40 हजार से अधिक गांव हैं, जहां देश के करोड़ों लोग रहते हैं। वहीं, देश में यदि सबसे प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी की बात करें, तो वह देश में IAS की सेवा है, जो कि भारत में सर्वोच्च प्रशासनिक पद है.
हर साल देश के अलग-अलग गांवों से युवा संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) की सिविल सेवा की तैयारी करते हैं और इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ कुछ युवाओं को ही देश की यह प्रतिष्ठित सिविल सेवा की नौकरी मिलती है।
ऐसे में क्या आप जानते हैं कि भारत का एक गांव ऐसा भी है, जिसे IAS गांव के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
किस गांव को कहा जाता है IAS का गांव
अब सवाल यह है कि आखिर भारत में किस गांव को IAS का गांव कहा जाता है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य के जौनपुर जिले के मधोपत्ती गांव को IAS गांव के नाम से भी जाना जाता है।
क्यों कहा जाता है IAS गांव
अब सवाल यह है कि आखिर इस गांव को ही IAS गांव क्यों कहा जाता है। आपको बता दें कि इस गांव में कुल 75 परिवार हैं, जिसमें से 47 परिवारों में IAS, IPS, IFS और IRS अधिकारी हैं।
एक ही परिवार से पांच IAS अधिकारी
उत्तर प्रदेश के इस गांव में एक परिवार ऐसा भी है, जहां एक ही गांव से पांच IAS अधिकारी हैं। यहां एक परिवार में 1964 में दो भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार IAS बने थे। वहीं, 1968 में इनके भाई शक्तिकांत सिंह भी आईएएस बने।
इस परिवार में 1995 में विनय सिंह आईएएस अधिकारी बने थे, जो कि बिहार में प्रमुख सचिव के पद से रिटायर हुए। वहीं, शक्तिकांत सिंह के बेटे यशस्वी सिंह साल 2022 में आईएएस बने थे।
कौन थे गांव से पहले IAS अधिकारी
इस गांव से पहली बार साल 1914 में मुस्तफा हुसैन ने सिविल सेवा परीक्षा को पास किया था। इनके बाद 1951 में इंदु प्रकाश ने यह परीक्षा पास की और सिविल सेवा अधिकारी बने। वहीं, 1953 में विद्या प्रकाश और विनय प्रकाश ने सिविल सेवा परीक्षा को पास किया था |
Resource : JagranJosh
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