Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

Shri Durga Chalisa Paath : श्री दुर्गा चालीसा आरती सहित

जो साधक माँ दुर्गा का सच्चा भक्त बनकर प्रतिदिन सच्चे मन से माता की स्तुति करता है, उस भक्त की मां दुर्गा सभी कामनाएं पूर्ण करती है। दुर्गा माँ अपने भक्तों के दुख हरकर सुख प्रदान करती है, माता की निरंकारी ज्योति तीनो लोको को उजागर करती है। इनकी कृपा से ही सब जन अन्न, धन व समृद्धि प्राप्त करते है। दुर्गा माँ प्रलय काल में सब पदार्थों को नष्ट कर देती है, भगवान शिव उनके गुण गाते है, और भगवान विष्णु व ब्रह्मा सदैव दुर्गा जी का ध्यान करते है। माता ने भक्त प्रहलाद की रक्षा कर, हिरण्यकश्यप को स्वर्ग प्रदान किया था। लक्ष्मी का रूप धारण कर भगवान विष्णु के साथ रहती है। आपके के कर में खप्पर और खड़क विराजते है, इसी कारण काल भी आपसे कांपता है। आपने शुंभ निशुंभ व रक्तबीज जैसे दानवों का संहार किया है। इसलिए जो दुर्गा चालीसा आरती का पाठ करता है, वह परम सुख को प्राप्त होता है। 

नमो नमो, नमो नमो।.

“नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।

नमो नमो अंबे दुःख हरनी ॥” (1)

“निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहू लोक फैली उजियारी ॥” (2)

“शशि ललाट मुख महा विशाला ।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥” (3)

“रूप मातु को अधिक सुहावे ।

दरश करत जन अति सुख पावे ॥” (4)

“तुम संसार शक्ति लय कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ॥” (5)

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।

तुम ही आदि-सुंदरी बाला ॥ (6)

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥ (7)

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ (8)

रूप सरस्वती का तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥ (9)

धरा रूप नरसिंह को अंबा ।

परगट भई फाड के खम्बा ॥ (10)

रक्षा कर प्रह्लाद बचायो ।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥ (11)

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।

श्री नारायण अंग समाहीं ॥ (12)

क्षीरसिंधु में करत विलासा ।

दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥ (13)

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।

महिमा अमित न जात बखानी ॥ (14)

मातंगी धूमावती माता ।

भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ॥ (15)

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ (16)

केहरि वाहन सोह भवानी ।

लांगुर वीर चलत अगवानी ॥ (17)

कर में खप्पर खडग विराजे ।

जाको देख काल डर भाजे ॥ (18)

तोहे कर में अस्त्र त्रिशूला ।

जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥ (19)

नगरकोटि में तुम्हीं विराजत ।

तिहुँ लोक में डंका बाजत ॥ (20)

शुंभ-निशुंभ दानव तुम मारे ।

रक्तबीज शंखन संहारे ॥ (21)

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।

जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥ (22)

रूप कराल कालिका धारा ।

सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥ (23)

पडी भीढ संतन पर जब जब ।

भयि सहाय मातु तुम तब तब ॥ (24)

अमरपुरी अरु बासव लोका ।

तब महिमा सब कहें अशोका ॥ (25)

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।

तुम्हें सदा पूजें नर नारी ॥ (26)

प्रेम भक्ति से जो यश गावे ।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे ॥ (27)

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।

जन्म मरण ते सौं छुट जाइ ॥ (28)

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।

योग न होयि बिन शक्ति तुम्हारी ॥ (29)

शंकर आचारज तप कीनो ।

काम अरु क्रोध जीत सब लीनो ॥ (30)

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥ (31)

शक्ति रूप को मरम न पायो ।

शक्ति गयी तब मन पछतायो ॥ (32)

शरणागत हुयि कीर्ति बखानी ।

जय-जय-जय जगदंब भवानी ॥ (33)

भयि प्रसन्न आदि जगदंबा ।

दयि शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥ (34)

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥ (35)

आशा तृष्णा निपट सतावें ।

रिपु मूरख मॊहि अति दर पावें ॥ (36)

शत्रु नाश कीजै महारानी ।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥ (37)

करो कृपा हे मातु दयाला ।

ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ॥ (38)

जब लगि जियू दया फल पावू ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनावू ॥ (39)

दुर्गा चालीसा जो गावे ।

सब सुख भोग परमपद पावे ॥ (40)

देवीदास शरण निज जानी ।

करहु कृपा जगदंब भवानी ॥(41)

नमो नमो, नमो नमो।.

यह भी पढे

लक्ष्मी माता की आरती

शिव चालीसा पाठ

The post Shri Durga Chalisa Paath : श्री दुर्गा चालीसा आरती सहित appeared first on Top Hindi Blog - My Knowledge .



This post first appeared on My Knowledge - Hindi, please read the originial post: here

Share the post

Shri Durga Chalisa Paath : श्री दुर्गा चालीसा आरती सहित

×

Subscribe to My Knowledge - Hindi

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×