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महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ Maha Mrityunjaya Mantra Hindi Mein

महामृत्युंजय मंत्र दुखों से छुटकारा पाकर मोक्षरूपी अमृत को प्राप्त करने का मंत्र है। इस मंत्र में भगवान से प्रार्थना की गई है कि हे, प्रभु हम आपकी शरण मे आते है, आपकी भक्ति से हमें मृत्यु से छुटकारा मिलकर मोक्ष की प्राप्ति हो जाये। हे परमेश्वर आप तीनो लोको के स्वामी, भूत, वर्तमान व भविष्य के जानने वाले है और इस जगत में सुख रूपी अमृत की पुष्टि करने वाले है। इसलिए हे महादेव इस मृत्यलोक में मिलने वाले सभी प्रकार के हमारे दुखों को नष्ट कर दे और मृत्यु के बन्धनों से मुक्ति देकर मोक्ष का आनंद प्रदान करे।

महामृत्युंजय मंत्र कौन सा है

   त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् ।

   उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान्मृ॒त्योर्मु॑क्षीय॒ माऽमृता॑त् ॥ ऋग्वेद 7.59.12॥

मंत्र का अर्थ   

हे मनुष्यो ! जिस (सुगन्धिम्) अच्छे प्रकार पुण्यरूपय यशयुक्त (पुष्टिवर्धनम्) पुष्टि बढ़ाने वाले (त्र्यम्बकम्) तीनों कालों में रक्षण करनेवाले परमेश्वर शिव को हम लोग (यजामहे) उत्तम प्रकार प्राप्त होवें उसकी आप लोग भी उपासना करिये और जैसे मैं (बन्धनात्) बन्धन से (उर्वारुकमिव) ककड़ी के फल के सदृश (मृत्योः) मरण से (मुक्षीय) छूटूँ, वैसे आप लोग भी छूटे जैसे मैं मुक्ति से न छूटूँ, वैसे आप भी (अमृतात्) मोक्ष मुक्ति की प्राप्ति से विरक्त (मा, आ) मत होवे।

हे मनुष्यों जो त्रिकाल दर्शी शिव तीनो काल में यश, दया, सुख आदि गुणों की सुगन्धि को बढ़ाने वाले है हम सभी को उस महादेव की उपासना करनी चाहिए। ताकि वह हमारे सभी दुखों को नष्ट कर दे। जिस प्रकार ककड़ी का फल पककर बेल से अलग हो जाता है, उसी प्रकार हे परमेश्वर शिव हम सभी आपकी भक्ति व दया से सभी प्रकार के दुःख, और मृत्यु के भय से छूट कर अमृत अथार्त मोक्ष को प्राप्त हो जाये।

महामृत्युंजय मंत्र कहाँ से लिया गया है

महामृत्युंजय मंत्र का स्त्रोत ऋग्वेद(Rigved) है, यह 7.59.12 वा मंत्र है। इसमें त्रिकाल दर्शी भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। उपासक इस मंत्र के जप द्वारा महादेव से दुखों का नाश व मृत्यु भय छुटकारा पाकर मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा रखता है। वेद के अलावा महामृत्युंजय मंत्र का वर्णन शिव पुराण में भी मिलता है।

महामृत्युंजय मंत्र जप के फायदे

  • महामृत्युंजय मंत्र का लगातार जप करने से जीवन के दुखों का नाश होता है।
  • यह मंत्र मोक्ष प्राप्ति में सहायक है, इसमें साधक अपने आराध्य शिव से मृत्यु से छुटकार पाकर मोक्ष प्राप्ति की इच्छा करता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र में त्रिकाल स्वामी के गुणों को वर्णन करते हुए बताया गया है कि हे महादेव जिस प्रकार ककड़ी का फल पकने के पश्चात बेल से छूट जाता है, उसी प्रकार हम मनुष्य भी आपकी अनंत कृपा से मृत्यु से छुटकारा पा कर अमृत रूपी सुख को प्राप्त हो जाये।

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