योग में वर्णित वशिष्ठासन को स्वास्थ का खजाना कहा जाता है। संस्कृत शब्द वशिष्ठासन दो शब्दों से मिलकर बना है। वशिष्ठ = धनवान और आसन = मुद्रा ,इस आसन को एक तपस्वी मुनि "वशिष्ठ" की प्रेरणा से बनाया है। ऋषि वसिष्ठ सप्तऋषियों में से एक महान संत थे ,जिनके पास एक दैवीय गाय थी। जिसे कामधेनु के नाम से जाना जाता था। यह गाय वशिष्ठ ऋषि की हर कामना को पूर्ण करती थी ,जिसके कारण महर्षि वसिष्ठ धनवान हो गए थे। यह आसन भी अनंत शक्तियों का भंडार है। जिसका अभ्यास कर मनुष्य कई तरह की स्वास्थ संपत्ति को प्राप्त कर सकता है। इसीकारण इस आसन को वशिष्ठासन के नाम से जाना जाता है। इंग्लिश में इसे "Side Plank Pose " कहा जाता है।
मित्रों इस लेख में मैंने आपको "वशिष्ठासन क्यों है विशेष ,इसके क्या लाभ है ?" की जानकारी दी। वशिष्ठासन योग ऊर्जा का अनंत स्रोत है ,इसका अभ्यास कर आप इसकी अनुभूति ले सकते है।
यह आसन महान संत ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगे तो अपने मित्रों के जरूर शेयर करे। अपनी महत्वपूर्ण राय आप कमेंट बॉक्स में दे सकते है।
Vasisthasana In Hindi | वशिष्ठासन योग
- जमीन पर चटाई बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाए। दोनों हाथों के तलवों को फर्श पर रखे।
- दोनों हाथों को ना हिलाते हुए ,शरीर को पीछे ले जाए।
- पैरों को सीधा करे। इस अवस्था में शरीर का भार दोनों हाथ एवं पैरों पर समान रूप से डाले। और शरीर को संतुलित करे।
- धीरे धीरे अपने हाथ से लेकर पैरों तक के भाग को अपनी बायीं और मोड़े। अपने बाएं हाथ को अपने कूल्हे पर रखे। और बाए पैर को दाहिने पैर पर आराम करने दे। इस स्थिति मे आपके शरीर का वजन आपके दाहिने हाथ और दाहिने पैर पर संतुलित है।
- श्वास भरते हुए अपने बाएं हाथ को सीधी रेखा में ऊपर उठाये। और उँगलियों को ऊपर की दिशा में इंगित करे। कुछ देर तक इसी अवस्था में बने रहे और गर्दन को मोड़कर, अपने ऊपर उठे हुए हाथ या उँगलियों को देखते रहे।
- श्वास छोड़ते हुए हाथ निचे लाये और पुनः सामान्य अवस्था में आ जाए।
- इसी आसन को अपने दूसरे हाथ से भी करे। इस आसन का अभ्यास करते समय आप अपना ध्यान भृकुटि या ऊपर उठे हुए हाथ की उँगलियों पर केंद्रित कर सकते है।
- शुरुवाती समय में संतुलन बनाने के लिए आप दीवार या अपने किसी साथी का सहारा ले सकते है।
Side Plank Benefits | वशिष्ठासन के फायदे
- इस आसन का अभ्यास आपके पैर , पेट तथा हाथों को मजबूती प्रदान करता है।
- यह आसन शरीर में नई ऊर्जा और शक्ति को बढ़ाता है।
- चेहरे को तेजस्वी और कांतिमय बनाने में मदद करता है।
- संतुलन शक्ति में वृद्धि करता है ,तथा आत्मिक बल को बढ़ाता है।
- यह पैर और पीठ के पीछे विशिष्ट खिचाव उत्पन्न करता है।
- समस्त धातुरोग तथा वीर्यदोषों का नाशक है।
- कमजोरी को दूर कर पुरुषत्व को बढ़ाता है।
- इस आसन का अभ्यास आपकी शारीरिक मुद्रा को बेहतर बनाता है।
- नियमित इस आसन का अभ्यास एकाग्रता क्षमता और निर्णय क्षमता को बढ़ाता है।
- फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाकर श्वास की गति को संतुलित रखता है।
- यह गले के रोग तथा थॉयरॉइड ग्रंथि की समस्याओं में लाभकारी है।
- इसका अभ्यास साधक में कठोरता ,निर्णय क्षमता ,एकाग्रता ,मजबूती को उजागर करता है।
Vasisthasana Precautions | वशिष्ठासन में सावधानी
- यह योगासन सरल है। पर इसे करने के लिए संतुलन का होना अति आवश्यक है।
- नियमित अभ्यास कर आप संतुलन शक्ति को बढ़ा सकते है।
- अगर आप किसी गंभीर चोट या समस्या से पीड़ित है तो वशिष्ठासन का अभ्यास ना करने की सलाह दी जाती है।
Things To Know About Side Plank Yoga | ध्यान रखने योग्य बाते
- सुबह सूर्योदय के समय अपने दैनिक योगसत्र के साथ इस आसन का अभ्यास करना अच्छी बात होगी .क्योकि इस समय पेट खाली रहता है. और आप नई ऊर्जा के साथ किसी भी योगासन को कर सकते है।
- पर अगर आपके पास समय नहीं है तो शाम को अभ्यास करने से पहले भोजन और अभ्यास के बिच ५ से ६ घंटे का अंतर होना आवश्यक है।
मित्रों इस लेख में मैंने आपको "वशिष्ठासन क्यों है विशेष ,इसके क्या लाभ है ?" की जानकारी दी। वशिष्ठासन योग ऊर्जा का अनंत स्रोत है ,इसका अभ्यास कर आप इसकी अनुभूति ले सकते है।
यह आसन महान संत ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगे तो अपने मित्रों के जरूर शेयर करे। अपनी महत्वपूर्ण राय आप कमेंट बॉक्स में दे सकते है।