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जॉनी वॉकर के अलावा अन्य हास्य अभिनेता कौन कौन है

            आज हम करीब पिछले दो ढ़ाई वर्षों से कोरोना महामारी के संकट का सामना कर रहे है। यहाँ तक की हमने लम्बे समय तक लॉकडाउन का भी सामना किया है। इस दौरान हमने अपने आप को जैसे घर में  कैद कर लिया था। दिन भर समय काटना मुश्किल हो गया था। सारा वातावरण जैसे उदासी का दामन थामे आगे आगे दौड़ लगा रहा था। जहाँ सुनो वहाँ से मौत के समाचार हमारे कानों से टकरा रहे थे। 

        यह सब देख कर मन उदासी की बाढ़ में गोते लगाने लग जाता बढती बेचैनी को दूर भगाने हम मनोरंजन का सहारा थाम लेते परन्तु इसके लिए कुछ समय सिनेमा की कहानी में खो जाते। वह भी कॉमेडी सिनेमा में कुछ समय तो उस सिनेमा के कॉमेडी कलाकारों की कला से हम अपनी चिंता की गठरी बाँधने सफल हो जाते । 

        इस दौरान भारतीय हिंदी सिनेमा के इतिहास के पन्ने खंगालना शुरू किया। तब हमारे भारतीय हिंदी सिनेमा के हास्य कलाकारों के जीवन से परिचित होते हुए उनकी कला को समझने का एक प्रयास कर रहा हूँ।

भारतीय हिंदी सिनेमा : - [ बॉलीवुड ]

              हमारे देश में सिनेमा की शुरुवात मुंबई से शुरू हुई थी। आज हम इसे बॉलीवुड के नाम से भी जानते है। सिनेमा की शुरुवात के जनक के रूप में हम श्री. धुंडिराज गोविन्द फाल्केजी उर्फ़ दादा साहेब फाल्के जी को इसी नाम से जानते है। उन्होंने प्रथम हिंदी फिल्म '' राजा हरिश्चंद्र '' का निर्माण कर 21 अप्रैल 1913 को रिलीज़ किया था। 

              वैसे फिल्म  '' राजा हरिश्चंद्र '' मूक फिल्म थी। भारत की पहली फिल्म होने के कारण श्री. दादा साहेब फाल्के जी को भारतीय सिनेमा का  जनक माना जाता है। सं. 1930 में भारतीय सिनेमा में ध्वनि तकनीक का आविष्कार होते ही फिल्मों में मसाला फिल्मों का भी चलन आरंभ हो गया था।

             बस ! इसी के साथ फिल्म में मारधाड़, कॉमेडी,गीत और संगीत आदि को शामिल करने का आगाज़ शुरू हो गया। भारत की पहली बोलती फिल्म का श्रेय निर्देशक अर्देश ईरानी को जाता है। उन्होंने सं. 1931 में मास्टर विट्ठल, जुबैदा और पृथ्वीराज कपूर को लेकर पहली बोलती फिल्म '' आलम आरा '' का  निर्माण किया। 

बॉलीवुड में कॉमेडी कलाकार : - 

                                            जॉनी वॉकर बायोग्राफी 

जॉनी वॉकर

       जॉनी वॉकर का जन्म 11 नवंबर 1926 में तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत आनेवाले इंदौर रियासत में हुआ था। वैसे इनका वास्तविक नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था। 

       बदरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी अपने प्रारंभिक जीवन में मुंबई की बस सेवा में एक कंडक्टर का काम करते थे। उन्हें बचपन से ही औरों की नक्कल करने का शौक था। उनका यह शौक अपने काम के दौरान भी जारी था। बदरुद्दीन की हू - ब - हू नक्कल करने की कला उस दौर के जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी की नजरों में कैद हो गई। 

       बलराज सहानी ने तत्काल बदरुद्दीन को निर्माता गुरुदत्त से मिलवाया था। उन्होंने ही बदरुद्दीन का नाम बदलकर नया नाम '' जॉनी वॉकर '' रखा है। सं. 1951 में देवआनंद, गीता बाली, के. एन. सिंह और जॉनी वॉकर को लेकर फिल्म '' बाजी '' का निर्माण किया। इसी के साथ हिंदी सिनेमा में जॉनी वॉकर जैसे महान हास्य अभिनेता का जन्म हुआ। 

        जॉनी वॉकर के नाम पर हिंदी सिनेमा में करीब 250 - 300 फ़िल्में दर्ज है , जिनमे कुछ फ़िल्में इस प्रकार है --

       सं. 1954 में '' टैक्सी ड्राइवर '' और फिल्म '' मिस्टर एंड मिसेस '', सं. 1956 में फिल्म '' चोरी चोरी '' और फिल्म '' सी. आई. डी. '', सं. 1957 में फिल्म '' प्यासा '', सं. 1958 में फिल्म '' मधुमती '', सं. 1960 में फिल्म '' मुग़ल - ए - आज़म '', सं. 1963 में फिल्म '' मेरे महबूब '', सं. 1980 में फिल्म '' शान '' तथा सं. 1998 में फिल्म '' चाची 420 '' के आलावा कई फिल्मों में काम किया है। उनका निधन उनकी आयु के 80 वर्ष में 29 जुलाई 2003 में मुंबई में हुआ। 

     जॉनी वॉकर के आलावा हिंदी सिनेमा जगत में मेहमूद, जगदीप, राजेंद्र नाथ, केश्टो मुखर्जी, असरानी, भगवान दादा ने अपनी कला का लोहा मनवाया है। आज इसी सिनेमा जगत में कॉमेडी कलाकारों की पंक्ति में राज पाल यादव, जॉनी लिवर के आलावा कई नए कलाकारों ने पदार्पण किया है। 

मेहमूद की बायोग्राफी : -महमूद का वास्तविक नाम महमूद अली था। उनका जन्म 29 सितम्बर 1932 में मुंबई में हुआ था। हिंदी सिनेमा जगत में महमूद ने अपनी फ़िल्मी शुरुवात एक बाल कलाकार के रूप में की थी।

महमूद
  महमूद का वास्तविक नाम महमूद अली था। उनका जन्म 29 सितम्बर 1932 में मुंबई में हुआ था। हिंदी सिनेमा जगत में महमूद ने अपनी फ़िल्मी शुरुवात एक बाल कलाकार के रूप में की थी। 

      निर्माता - निर्देशक क़माल अमरोही ने सं. 1972 में एक फिल्म '' पाकीज़ा '' का निर्माण किया था,उस फिल्म की चर्चित अभिनेत्री ' मीना कुमारी ' की बहन मधु से महमूद ने विवाह  किया था। 

             महमूद के कैरियर में उन्हें किशोर कुमार का सामना एक चुनौती समान था। उस दौर में किशोर कुमार भी हास्य कलाकार के रूप  पर्दे पर छाए हुए थे। एक दूसरे की कला का मुकाबला करते हुए भी दोनों हास्य कलाकार सं. 1968 में बनी फिल्म '' पड़ोसन '' में एक साथ आये थे। ख़ास बात यह है की  फिल्म का निर्माण स्वयं महमूद तथा एन. सी. सिप्पी ने  किया था। '' पड़ोसन '' की अपार सफलता के चलते उस फिल्म को श्रेष्ठ हास्य फिल्मों की फेरिस्त में रखा गया था। 

             सं. 1957 में निर्माता -निर्देशक गुरु दत्त की फिल्म '' प्यासा '' और फिल्म '' दो बीघा जमीन '' में छोटी भूमिका का स्वीकार किया। महमूद को पहला ब्रेक एस. बेनर्जी द्वारा सं. 1958 में फिल्म '' परवरिश '' से मिला। इस फिल्म में   राज कपूर और माला सिन्हा की भूमिका थी। 

               महमूद ने अपना स्वयं का प्रोडक्शन हाउस आरम्भ किया था। उनके प्रोडक्शन की पहली फिल्म '' छोटे नवाब '' थी इसके आलावा सं. 1965 में उन्होंने फिल्म '' भूत बंगला ''  का भी निर्माण किया। इसी वर्ष बनी फिल्म '' गुमनाम '' का गीत '' हम काले है तो क्या हुआ  --------- '' और फिल्म '' कुंवारा बाप '' का गीत '' मैं हूँ घोडा ,यह है गाड़ी  ------- '' आज भी सुना जाता है। 

              महमूद ने अपनी आयु के 71 वें वर्ष  23 जुलाई 2004 में अमेरिका में अपनी अंतिम साँसे ली।

              महमूद केआलावा कॉमिडी कलाकारों में आय. एस. जोहर , जगदीप, असरानी, राजेन्द्रनाथ, केश्टो मुखर्जी,ओमप्रकाश आज के युग में राजपाल यादव, जॉनी लिवर और संजय को शामिल किया जाता है।

                                                                                                                 

           


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