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जिंदगी की ना टूटे लड़ी - संतोष आनंद


श्री. संतोष आनंद 



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               वर्ष 1981 में भारतीय सिनेमा घरों में प्रदर्शित फ़िल्म 'क्रांति' की बात करते है तो हमें स्वर कोकिला लता मंगेशकर एवं श्री.नितिन मुकेशजी ने गाया गीत "ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी" कानों में गूँजने लगता है। इस गीत को श्री. लक्ष्मीकांत एवं श्री. प्यारेलालजी ने अपने संगीत द्वारा तराशा गया था तो गीत के एक-एक शब्द में अपनी जान डालनेवाले श्री. संतोष आनंदजी को हम कैसे भूल पाएंगे?
             ऐसे महान गीतकार श्री. संतोष आनंदजी ने बॉलीवुड की अनेक फ़िल्मों के गीतों में अपनी क़लम की जादू से सबको परिचित कराया है, परन्तु शोहरत की बुलंदियों पर पहुँच चुके श्री. आनंदजी की क़िस्मत ने अपनी करवट बदल ली। आज वह महान गीतकार फ़िल्मी दुनिया से बेख़बर हो गुमनामी की राह पर चल पड़ा था, लेकिन सोनी टी. वी. पर प्रदर्शित होनेवाले सिंगिंग रियलिटी शो "इंडियन आइडल" के आयोजनकर्ताओ ने श्री. संतोष आनंदजी को गुमनामी की गलियों में खोने से बचाते हुए उनका हाथ थामकर उन्हें पुनः उनके प्रशंसकों के सामने लाया है।
           इसी "इंडियन आइडल" के कार्यक्रम में श्री. संतोष आनंदजी ने अपनी दर्द भरी दास्ताँ सुनाई है तो हर कला प्रेमी की आँखें नम हो गई। कार्यक्रम के दौरान ही आज की मशहूर गायिका नेहा कक्कड़ ने श्री. संतोषजी को आर्थिक मदत करते हुए सभी कलाप्रेमियों के आंसू पोंछे है।
          श्री. संतोष आनंदजी का जन्म 5 मार्च 1940 में गाजियाबाद से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद में हुआ था। 82 वर्षीय श्री. संतोषजी ने अलीग़ढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लाइब्रेरी सायन्स की पढ़ाई पूर्ण की, इसके पश्चात उन्होंने दिल्ली में लायब्ररीयन के तौर पर भी कार्य किया है।
                "ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी" के महान रचनाकार जब अपनी युवा अवस्था में थे, तब एक दुर्घटना के कारण उनका एक पैर नाकाम हो गया था। यहीं से उनके जीवन ने अपनी करवट बदलना आरंभ किया था। उन्होंने अपनी क़िस्मत को मात देते हुए जीवन का संघर्ष करते हुए जीवन के पथ पर चलना जारी रखा।
              इसी बीच उनका विवाह भी हो गया था। अपने विवाह के 10 वर्षों के पश्चात बड़ी मंनत्तों से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जिसका नाम संकल्प आनंद था। संकल्प के जन्म के बाद एक कन्या का भी उनके जीवन में पदार्पण हो चूका था। इस कन्या का नाम शैलजा आनंद रखा गया।
             श्री. संतोष आनंदजी का पुत्र संकल्प आनंद जो गृह मंत्रालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को समाजशास्त्र एवं अपराध शास्त्र की शिक्षा देते थे। वे काफ़ी समय से मानसिक रूप से पीड़ित थे।
            श्री. संतोषजी की क़िस्मत ने अपना रौद्र रूप दिखया जब उनके लाल संकल्प ने अपनी पत्नी के साथ अक्टूबर 2014 में आत्महत्या को अंजाम दिया। श्री. संकल्प ने 10 पृष्ठों का आत्महत्या पत्र भी लिखा था, जिसमे उन्होंने केंद्रीय गृह विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाया था। इसी घटना से श्री. संतोष आनंदजी ने उदासी का दामन थामा और शोहरत से कोसों दूर गुमनामी के बादलों में खिसकते चले गए।

संतोष आनंदजी के करियर की शुरुवात : -

          श्री. संतोष आनंदजी ने सं. 1970 में प्रदर्शित फिल्म '' पूरब और पश्चिम '' से अपने गीतकार करियर की शुरुवात की है। जिसका संगीत श्री. कल्याणजी आनंदजी ने दिया था। इस फिल्म के दो वर्ष पश्चात उन्होंने फिल्म '' शोर '' के लिए ' एक प्यार का नगमा ' गीत लिखा था। श्री. संतोषजी को यह ' एक प्यार का नगमा ' गीत बहुत पसंद है। 
            वर्ष 1974 में मनोज कुमारजी की फिल्म '' रोटी कपडा और मकान '' के लिए भी गीत लिखे थे। इस फिल्म का गीत '' मैं ना भूलूंगा---- '' को श्री. महेंद्र कपूरजी ने अपनी आवाज प्रदान कर लोकप्रिय गीत बनाया था। इसी गीत के कारण श्री. संतोष आनंदजी को उनके करियर का पहला फिल्म फेयर अवार्ड प्राप्त हुआ था। 
           श्री. संतोष आनंदजी के गीतों की फेरिस्त बढाती गई। सं. 1981 में जीतेन्द्र , रीना रॉय और मौशमी चटर्जी को लेकर श्री. प्रसन्न कपूर ने '' प्यासा सावन '' फिल्म बनायी थी। इस फिल्म के गीत भी श्री. संतोष आनंदजी ने लिखे है। इसी फिल्म का वह गीत '' मेघा रे मेघा --- '' जिसे श्री. सुरेश वाडकर ने अपनी आवाज में गाया था काफी लोकप्रिय हुआ था। तभी तो इस गीत को फिल्म फेयर अवार्ड मिला था। 
           श्री. राज कपूर द्वारा सं. 1982 में प्रदर्शित फिल्म '' प्रेम रोग '' के गीत ' ये गलियां  ये चौबारा '', '' यह प्यार था या कुछ और था '', '' मोहब्बत है ,क्या चीज '',  '' मै हूँ प्रेम रोगी--- '' इन गीतों को श्री. संतोष आनंदजी ने अपनी कलम के द्वारा उतारा है। उनके अधिकतर गीतों को श्री. लक्ष्मीकांत प्यारेलालजी की जोड़ी ने ही संगीत प्रदान किया है। 
            श्री. संतोष आनंदजी ने अपनी कलम के द्वारा 26 फिल्मों में कुल 109 गीत लिखे है। वहीं इनके गीतों को लता मंगेशकर, नीतिन मुकेश ,महेंद्र कपूर , मोहम्मद अजीज, कुमार शानू तथा कविता कृष्णमूर्ति ने अपनी आवाज प्रदान की है। 

श्री. संतोष आनंदजी के गीतों में :- 

               मुहब्बत है क्या चीज....(फ़िल्म: प्रेम रोग), इक प्यार का नगमा है।.... (फ़िल्म: शोर), जिंदगी की ना टूटे लड़ी .... (फ़िल्म: क्रांति), मारा ठुमका बदल गई चाल मितवा .... (फ़िल्म: क्रांति  1981 ), मेधा रे मेधा रे मत जा तू परदेश (फ़िल्म: प्यासा सवान   1981),मैं न भूलूंगा, इन रस्मों को, इन कसमों को (फ़िल्म: रोटी कपड़ा और मकान 1974 ), जिनका घर हो अयोध्या जैसा (फ़िल्म: बड़े घर की बेटी 1989 ), दिल दीवाने का ढोला (फ़िल्म: तहलका 1992 ), ये शान तिरंगा (फ़िल्म: तिरंगा 1993 ) मैंने तुमसे प्यार किया ...(फ़िल्म: सूर्या 1989 ) के आलावा और भी कई गीत उनके नाम पर दर्ज है। 
              आज संतोषजी की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। उनके बेटे के जाने के बाद टूट चुके श्री. आनंदजी को सन्मान और प्रेम की आवश्यकता है। वे जिस तरह जिंदगी का सामना कर रहे है उससे किसी भी कला प्रेमी की आँखें नम ही होगी। 
             खैर , '' जिंदगी की न टूटे लड़ी , पुनः आएगी उनके गीतों की लड़ी '' ।  



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