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15 अगस्त पर कविता – Hindi Poem on Independence Day

Hindi Poem on Independence Day : दोस्तों आज हम ने स्वतंत्रता दिवस पर कविता लिखी है। 15 अगस्त पर लिखी गई यह कविता कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 और कॉलेज के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए लिखी गई है।

जो कि इन से प्रेरणा लेकर अच्छी कविता स्वतंत्रता दिवस के दिन बोल सकते है। कई सालों तक ब्रिटिश कंपनी का गुलाम रहने के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी यही वह दिन था जिस दिन से हमने सही मायनों में जीना शुरु किया था।

यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। जिसको प्रत्येक मजहब के लोग बनाना पसंद करते है.  इस दिन पूरे देश में हर्ष का वातावरण होता है। स्कूलों और कॉलेजों में तरह तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं जिनसे हमारी संस्कृति उन्हें  जीवित हो जाती है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने यह कविताएं लिखी हैं ताकि फिर से हमें उस दौर  के उन महापुरुषों, वीरों  को याद करके सम्मान दे सकें।

Hindi Poem on Independence Day

Hindi Poem on Independence Day

हिम्मत, ताकत, शौर्य विहंसते, तीन रंग हर्षाए है
संप्रभु हम, है राज हमारा, अंतर्मन मुस्कुराए है।
कुर्बानी ने नगमे गाए,
आजादी का वंदन है

जज्बातों की बगिया में महकी,
राष्ट्रधर्म-अभिनंदन है
ज्ञान और विज्ञान की गाथा,
हमने अंतरिक्ष जीता
सप्त दशक का सफर सुहाना,
हर दिन है सुख में बीता

कला और साहित्य प्रगति के, पैमाने तो भाए है
संप्रभु हम है राज हमारा अंतर्मन मुस्कुराए है.
शिक्षा और व्यापार विहंसते,
उद्योगों की जय-जय है।

अर्थव्यवस्था, रक्षा, सेना
मधुर सुहानी एक लय है
गंगा जमुनी तहजीबें है विश्व गुरु कहलाए है!
संप्रभु हम है राज हमारा अंतर्मन मुस्कुराए है।

– प्रो. शरद नारायण खरे

15 अगस्त पर कविता बोलने के लिए


आज 15 अगस्त है मौसम बड़ा मस्त है
हाथों में तिरंगा और दिल में बड़ा गर्व है
गर्व इस बात का कि मैं भारतीय हूं
जो आज मना रहा स्वतंत्रता का पर्व है।

पर ऐसा जो न किसी धर्म का, न किसी क्षेत्र का,
ये तो जसन पूरे भारतीयों का है
आज 15 अगस्त है मौसम बड़ा मस्त है
हाथों में तिरंगा और दिल में बड़ा गर्व है।

हर स्कूल का बच्चा-बच्चा यही कह रहा है
मेरा भारत महान है मेरा भारत महान है
मुझे भी याद है अपने स्कूल का 15 अगस्त,
जब होता था मैं बड़ा व्यस्त व्यस्त।

कई दिनों पहले से होती थी तैयारी आज भी
वो दिन मेरे दिल में इस दिन के समान हैं
आज 15 अगस्त है मौसम बड़ा मस्त है
हाथों में तिरंगा और दिल में बड़ा गर्व है।

कुछ गम भी याद दिलाता है ये
अपने देश के सच्चे वीर शहीदों का महत्व बताता है
ऐसे गमों को याद कर आंखें होती नम पर
उनके कारण मेरे खून में भारतीयता का आभास दिलाता है।

हर साल की तरह इस साल भी
15 अगस्त इस देश को स्वतंत्रता का आभास कराता है
आज 15 अगस्त है मौसम बड़ा मस्त है
हाथों में तिरंगा और दिल में बड़ा गर्व है।

– ज्ञानेश्वर

स्वतंत्रता दिवस पर कविता इन हिंदी


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा हमारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

सदा शक्ति बरसाने वाला
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हषनि वाला
मातृभूमि का तन-मन सहारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

स्वतंत्रता के भीषण रण में
लड़कर जोश भरे छन छन में
कांपे शत्रु देख कर मन में
मिट जाए वह संकट सहारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

इस झंडे के नीचे निर्भय
ले स्वराज्य अब हम चल निश्चय
बोले भारत माता की जय
स्वतंत्रता है ध्यये हमारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

आओ प्यारे वीरो आओ
देश धर्म पर बलि-बलि जाओ
एक साथ सब मिलकर गाओ
प्यारा भारत देश हमारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

इसकी शान न जाने पाये
चाहे जान भले ही जाये
विश्व विजय करके दिखलाये
तब हुए प्रण पूर्ण हमारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा

15 August Poem in Hindi


देश बंटा हुआ था जब टुकड़ों में
पटेल ने किया था योगदान
फिर हुआ अखंड सदा को
मेरा भारत देश महान

उत्तर में हिमालय शोभित
जो है इसकी उत्तम शान
दक्षिण में सागर की लहरें
करती है इसका गुणगान

भाषा बोली अलग-अलग हैं
फिर भी सबका है सम्मान
पूर्व से लेकर पश्चिम तक
सहारा इक है हिंदुस्तान

वीर सपूत जहां जन्म लेते
वो है मेरा हिंदुस्तान
जहां तरसते है जन्म लेने को
ऋषि मुनि और भगवान
ऐसा है मेरा हिंदुस्तान

जय हिंद, जय भारत!!

Independence Day Poem in Hindi


न हाथ एक शस्त्र हो
न हाथ एक अस्त्र हो
न अन्न वीर वस्त्र हो
हटो नहीं, डरो नहीं
बढ़े चलो, बढ़े चलो

रहे समक्ष हिम शिखर
तुम्हारा प्रण उठे निखर
भले ही जाए जन बिखर
रूको नहीं, झुको नहीं

घटा घरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही सुधा का घूंट हो
जियो चलो, मरे चलो
बढ़े चलो, बढ़े चलो

गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हो
लहू का अपने फाग हो
अड़ो वही, गड़ो वही
बढ़े चलो, बढ़े चलो

चलो नई मिसाल हो
जलो नई मशाल हो
बडो नया कमाल हो
झुको नहीं, रुको नहीं
बढ़े चलो, बढ़े चलो

अवशेष रक्त तोल दो
स्वतंत्रता का मोल दो
कड़ी युगों की खोल दो
डरो नहीं, मरो नहीं
बढ़े चलो, बढ़े चलो

15 August Par Kavita


तीन ओर से रक्षक सागर
उत्तर में हिमालय का कर
देवनंदी का स्पर्श पाकर
पावन होती हर मनु-संतति,
नमामि देवभूमि भारती.

स्वर्गसम कश्मीर की धरा
मेवा, केसर, हरीतिमा से भरा
गुनगार करती जगत-गिरा
ईश्वर की सर्वोत्तम कृति,
रामायण, गीता, गुरुवाणी
त्रिपिटक और जातक कहानी
विश्व ने जिनकी शिक्षा मानी
सुंदर संगम भाषा-संस्कृति,
नमामि देवी भारती.

चाणक्य, ज्योतिबा, भामाशाह
राष्ट्र उन्नति थी जिनकी चाह
विश्व उतारे जिसकी आरती
नमामि देवभूमि भारती

– महिपाल सिंह खड़िया


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