कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी की नेता और राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) से जुड़े एक सवाल पर कहा कि जो लोग भारत में पैदा हुए हैं या बचपन से यहां रह रहे हैं, उन्हें एनआरसी पर चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनसे सिटिजनशिप बिल में हिंदू शरणार्थी और मुस्लिम घुसपैठिए का कथित जिक्र होने को लेकर राय पूछी गई थी।
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रूपा गांगुली ने मीडिया को जवाब देते हुए कहा, ‘पाकिस्तान और बांग्लादेश का बंटवारा हुआ क्योंकि वहां मुस्लिम बहुतायत में थे। इसलिए केवल हिंदू ही शरणार्थी नहीं हैं। बौद्ध और जैन भी शरणार्थी हैं। अलग-अलग देशों में राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से उन्हें शरण लेनी पड़ी। भारत में मुस्लिमों समेत जो भी लोग रहते हैं, उन्हें एनआरसी के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है।’
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को विश्व मानवता दिवस पर कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मसौदा में जिन लोगों को शामिल नहीं किया गया है, उनके प्रति मेरी सहानुभूति है। एनआरसी में करीब 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘मानवाधिकारों का सम्मान करना हमारे संविधान के मूल तत्वों में से एक है। आज इस अवसर पर मेरे दिल में उन 40 लाख लोगों के प्रति सहानुभूति है, जो असम में एनआरसी के कारण अपने ही देश में शरणार्थी बन गए हैं।’
ममता बनर्जी 30 जून को एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी होने के बाद से इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाती रही हैं। उन्होंने दावा किया कि जिनके नाम नागरिक पंजी की सूची में शामिल नहीं किए गए उन्हें डिटेंशन कैम्प (हिरासत शिविर) भेजा जा रहा है। तृणमूल अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जो लोग इस देश में बरसों से रह रहे हैं उन पर घुसपैठिये का लेबल लग गया है। उन्होंने सत्तारूढ़ बीजेपी पर लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर इस मुहिम को चलाने का आरोप लगाया है।
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