मेरा नाम मोहम्मद रियाज़ है. और यह मेरी दुबई की कहानी है वैसे तो हम सब दुबई के बारे में जानते है दुबई अपनी खूबसूरती और भूर्ज खलीफा की वजह से दुनिया भर में फेमस है|
खूबसूरत इमारते और समुन्द्र का किनारा और दुबई की रात की रंगीन राते हर किसी का दिल छू जाती है बहुत सी खूबसूरत चीज़े और इस्लामिक देश होने के बाद भी दुबई आज भी अरबियो और आमीरो की आयाशियो की जगहों में जाना जाता है हमारे भारत देश के भी बहुत से आमिर वहा घूमने और एन्जॉय करने जाते है|
बहुत सी खूबसूरत जगहों के साथ साथ समुन्द्र का किनारा और साथ साथ युथ की जॉब्स का हब बन चूका दुबई और तेज़ी से तर्रकी की राह पे चलता ये दुबई जहा आज से 3 साल पहले में भी जॉब के लिए बहुत से सपंने सजाये हुए गया था मेरे घर वाले भी बहुत खुस थे और में भी और आखिर खुस हो क्यों न पुरे 1 साल की मेहनत के बाद मै दुबई जा रहा था अपने एक रिस्तेदार के वीसा दिलाने पर.
में बहुत खुस था और मैंने बहुत सी तैयारी भी करी थी क्युकी मुझे दुबई में जॉब मिल गयी थी वो भी मेरे एक रिस्तेदार के जरिये
बहुत जल्दी ही मेरा टिकट भी हो गया और फिर वो दिन भी आ गया जब मुझे लखनऊ एयरपोर्ट से दुबई एयरपोर्ट के लिए निकलना था |
मैं दुबई पाउच गया और वहां मुझे मेरे रिस्तेदार ने पिक किया और मै उनके साथ रूम तक गया खूबसूरत दुबई देखते ही बनता था लेफ्ट हैंड ड्राइविंग सिस्टम वेल मैनेज और डेकोरेटिव चीज़े मुझे बहुत खुसी हो रही थी
150 किलोमीटर ज्यादा से भागती गाड़िया और ट्रैफिक का सिस्टम सब कुछ बहुत आर्गनाइज्ड था ।
मुझे बोला गया था इंडिया में की आपको वहा एकाउंट्स और सेल्स का काम देखना है पर जब मई वहाँ गया तो मुझे काम कुछ और ही मिलने लगा वो एक नक़ाब की दुकान थी जिसको मुझे खोलना बंद करना था न कोई छुटटी थी और न मुझे एकाउंट्स और सेल्स का काम मिला
ये बात मैंने अपने रिस्तेदार को भी बोली पर उन्होंने कहा तुमेह एकाउंट्स और सेल्स का काम जल्दी ही मिलने लगेगा पैर सिर्फ 1 महीने के बाद वो इंडिया आ गए और मॉए वह अकेला फस गया दिन पे दिन हालत ख़राब होने लगे नौबत यहाँ तक आ गयी की मुझे सैलरी भी नहीं मिलती थी और ये सब बात मैंने घर पे नहीं बताई किसी को क्युकी घर वाले सब परेशान होते किसी तरह मैंने 6 महीने गुजारे और उसके बाद मैंने सब कुछ घर पे बाता दिया और फिर मेरे पापा ने मेरी टिकट भेजी पर उस दुकान के मालिक ने मेरा पासपोर्ट टिकट वाले दिन नहीं दिया और मेरा वो टिकट भी ख़राब हो गया उसके २ दिन बाद की पापा ने फिर से टिकट कराई और तब मुझे मेरा पासपोर्ट मिल चूका था लेकिन पासपोर्ट मिलने के बाद मैंने उस दुकान के मालिंक जो की एक बंगलादेशी था उसको मारा भी था क्युकी मेरा बहुत नुकसान हुआ था मेरा टाइम ख़राब हुआ था और अच्छे खासे पैसे भी और मैं बकरईद के 3 दिन बाद वापस इंडिया आ गया था पैर वो दिन बहुत धरड़नाक गुजरे थे.
इंडिया वापस आने के बाद मैंने अपनी एकाउंट्स और इनकम टैक्स की प्रैक्टिस चालू करि 1 साल लग गया था मुझे उस दर्द भरे दिनों से बहार निकलने में.
और आज मई एकाउंट्स इनकम टैक्स, GST की प्रैक्टिस कर रहा हु और बहुत खुस भी साइड बिज़नेस के लिए मैंने एक ऑनलाइन स्टोर ओपन कर लिया है और साथ साथ पार्ट टाइम में मई अपने स्टोर को ऑनलाइन प्रमोट भी करता रहता हु |
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