एक गाँव में चुनाव के समय हर तरफ चर्चे थे। लोग उत्साहित थे, और चुनावी रैलियों में भाग लेने के लिए तैयार थे। गाँव में दो प्रमुख उम्मीदवार थे - एक था रामू, जो देशी पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहा था, और दूसरा था श्यामू, जो विदेशी पक्ष का समर्थन कर रहा था।
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रामू गाँव के एक पुराने और प्रिय नेता थे। वे लोगों के बीच लोकप्रिय थे और उन्हें बहुत सारे लोग समर्थन दे रहे थे। श्यामू नई उम्मीद थे, लेकिन उनके पास अच्छी योजनाएँ थीं और उनकी भाषा और शैली में कुशलता थी।
चुनावी यात्रा के दौरान, रामू अपने उम्मीदवारी का प्रचार करते हुए गाँव के हर कोने में जाते थे। उनकी भाषा सादगी और जनप्रियता से भरी हुई थी। वे लोगों को अपनी पूर्ववतन पहचान पर गर्व महसूस करवा रहे थे।
दूसरी ओर, श्यामू ने गाँव के नए और युवा तबके को ध्यान में रखते हुए अपनी अद्वितीय योजनाओं की चर्चा की। उन्होंने जनता के मुद्दों पर विचार किया और उन्हें समाधान ढूंढने का वादा किया।
चुनावी दिन आते ही, गाँव में एक उत्साह और जोश का माहौल बन गया। लोग वोट डालने के लिए उत्सुक थे। वोटिंग के बाद, गिनती शुरू हो गई।
जब नतीजे घोषित हुए, तो सभी को आश्चर्य हुआ। रामू के पक्ष ने चुनाव जीत लिया था। लेकिन जो बात सबसे अद्भुत थी, वह यह थी कि रामू ने श्यामू को अपने पर्वतीय द्वीप पर अपने सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था।
रामू ने समझा कि चुनाव के बाद भी वे एक ही समुदाय के हित में काम कर सकते हैं। उन्होंने श्यामू की योजनाओं को समझा और उन्हें मान्यता दी। इससे गाँव में विकास का काम सुचारू रूप से हो सका।
यह कहानी साबित करती है कि चुनाव न केवल एक नेता के चयन का विषय होता है, बल्कि यह एक समुदाय के उत्थान और विकास का माध्यम भी हो सकता है। जब नेताओं ने इकट्ठा रहकर काम किया, तो उन्होंने समृद्धि और संवाद का माहौल बनाया।
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