Ahoi Ashtami Vrat
अहोई अष्टमी, जो कि माता अहोई या अहोई माता की पूजा का विशेष दिन है, या माता की कृपा और समृद्धि की प्राप्ति के लिए मनया जाता है। ये त्यौहार माँ-बेटे की स्नेह, प्यार और समृद्धि को दर्शाता है। अहोई अष्टमी को उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस वर्ष, अहोई अष्टमी 5 नवंबर को रविवार को है।
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अहोई अष्टमी की पूजा में माता अहोई की स्थापना की जाती है और माता अहोई की कथा व्रत के शुरू में सुनी जाती है। इस दिन मां अहोई की तस्वीर या चित्र मंदिर में स्थापित की जाती है। सुबह सूर्योदय से थोड़ा पहले, स्त्री व्रत रखती हैं और माता अहोई की कथा सुनते हैं। माता अहोई के प्रति स्नेह और भक्ति से भरा व्रत रखा जाता है।
पूजा के समय, स्त्री आम तौर पर अहोई माता की तस्वीर या चित्र के सामने बैठती हैं और पूजा करते हैं। चावल, हलवा, पूरी, और आहार की थाली माता अहोई को समर्पित की जाती है। इस दिन माता अहोई के सामने नवरात्रों की मिठाइयां राखी जाती हैं।
अहोई अष्टमी के दिन, शाम को चन्द्र को अर्घ्य दिया जाता है और फिर व्रत खोला जाता है। इस समय पर माता अहोई के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
अहोई अष्टमी का महत्व है स्त्री और उनके बच्चों के लिए समृद्धि और खुशी को लाने का। ये दिन माताएं और उनके बच्चों के बीच प्रेम और स्नेह का परिचय है।
इस दिन, सभी लोग अहोई अष्टमी की पूजा करते हैं और माता अहोई की कृपा का प्रसाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। ये त्यौहार माताएं और उनके बच्चों के बीच प्रेम और समृद्धि का त्यौहार है।
अहोई अष्टमी पूजा को संपन्न करने के लिए निम्नलिखित सामग्री आपकी जरूरत हो सकती है:
- माता अहोई की छवि या प्रतिमा: पूजा के लिए माता अहोई की छवि या मूर्ति की आवश्यकता होती है।
- पूजनीय सामग्री: जैसे कि रोली, चावल, कुमकुम, धूप, दीप, अगरबत्ती, गुड़, सुपारी, नारियल, नवरत्न, नर्मदा शिला आदि।
- पूजनीय भोजन की सामग्री: हलवा, पूरी, चना, चावल, मिठाई, फल, नूट्स आदि।
- पूजा के लिए वस्त्र: लाल, सुहागी, या अन्य पूजनीय रंग का वस्त्र।
- पूजनीय द्रव्य: जैसे कि दूध, घी, मिठाई, फल, फूल आदि।
- अन्य सामग्री: पूजन के लिए बर्तन, थाली, चमचे, कटोरी, गंगाजल, और पूजनीय सामग्री को सजाने के लिए साज-सज्जा।
ध्यान दें कि ये सामग्री अलग-अलग परिवारों और संप्रदायों के अनुसार भिन्न हो सकती है। व्यक्तिगत आदतों और परंपराओं के अनुसार भी सामग्री में विभिन्नता हो सकती है।
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