शहर के धूप-छाँव के संग, एक गरीब पिता अपनी फटी धोती और फटी कमीज के साथ अपनी प्यारी बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। वह दोनों कुर्सी पर बैठे, एक वेटर उनके सामने आकर दो गिलास साफ ठंडे पानी के साथ पूछा, "आपके लिए क्या लाना है?"
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उस गरीब पिता ने अपनी बेटी के साथ किए गए वादे को याद करते हुए कहा, "मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि वह कक्षा दस में जिले में प्रथम आएगी तो मैं उसे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा। उसने वादा पूरा किया है, कृपया उसके लिए एक डोसा लेआओ।"
यह सुनकर वेटर ने होटल के मालिक के पास जाकर कहा, "मुझे उन दोनों को भर पेट नास्ता कराना है, लेकिन अभी मेरे पास पैसे नहीं है। क्या आप मेरी सैलरी से उनके बिल की रकम काट सकते हैं?"
मालिक ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।" होटल के स्टाफ ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और सभी उपस्थित ग्राहकों के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया।
मालिक ने उन्हें एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बाँटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। उन्होंने अपने घर चलते हुए खुशी के आंसू लिए।
समय बीतता गया, और एक दिन वही लड़की I.A.S. की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनी। उसने होटल में आयोजित एक समारोह में सबको बुलाया।
होटल के मालिक ने उसे गुलदस्ता भेंट किया और निवेदन किया कि आप आर्डर के लिए क्या चाहेंगी। उसने खड़े होकर होटल के मालिक और वेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा, "शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं। मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे, और आप दोनों ने मेरे प्रति मानवता के भावनाओं को समझते हुए मेरे लिए एक पार्टी दी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए मिठाई पैक करके दी थी।
आज मैं आप दोनों का एहसान मानती हूँ, और आपके इस कर्म की सबसे बड़ी बदलाव मैं हूँ। आप दोनों को यहाँ का सर्वोत्तम नागरिक सम्मानित किया जाएगा। धन्यवाद।"
इस घटना से हमें यह सिखने को मिलता है कि गरीबी के नाते यह सोचना कि कोई कुछ नहीं कर सकता गलत है। वास्तव में, हर किसी की प्रतिभा और उनकी मेहनत को समझना हमारी समाज की सच्ची सांस्कृतिक समृद्धि है। इससे गरीबों को भी सम्मान और मौके मिलते हैं, और उन्हें अपने असली पोटेंशियल को प्रकट करने का मौका मिलता है।
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